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जुर्म और विधायक .........

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तीन माननीय विधायक विधानसभा के चलते हुए सत्र के दौरान पोर्नोग्राफी देखते हुए पाए गए। बहुजन समाज पार्टी के एक जोनल कॉर्डिनेटर के घर से प्रतिबंधित 9-एम.एम की पिस्टल, टेलिस्कोपिक राइफल और 40 लाख रुपए ज़ब्त किए गए। यह बरामदगी सी.बी.आई ने नहीं बल्कि स्थानीय पुलिस ने की।

पांच राज्यों के चुनाव में हर तीसरा प्रत्याशी जुर्म के मामले में फंसा हुआ है। अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, राज भैय्या, मुन्ना बजरंगी, बृजेश सिंह, जितेन्द्र सिंह बब्लू(इनमें से अधिकांश ने जेल से आकर नामांकन भरा)। यह कुछ नाम हैं जिन्हें अपराध की दुनिया में काफी “सम्मान” से जाना जाता है। पूरी कानून व्यवस्था और न्याय प्रक्रिया उन्हें सजा देने में लगी हुई है। यह सब प्रत्याशी हैं और अगर यह जीतते हैं तब प्रदेश की विधानसभा में बैठकर कानून बनाएंगे।

इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए नौ बार सांसद और विधायक रह चुके और आठ शादियां कर चुके झारखण्ड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बागुन सुम्ब्रुई कहते हैं कि अगर जनप्रतिनिधि अश्लील फिल्में देखने हैं तो इसमें बुराई क्या है? देश की संसद में 543 में से 199 सांसदों पर तथा नौ केन्द्रीय मंत्रियों पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। राज्यों के मंत्रियों की हालत तो और बुरी है।

उधर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का कर्नाटक विधायकों के मामले में बचाव सुनिए- “वह तीनों विधायकों का व्यक्तिगत आचरण है और पार्टी से उनका कोई संबंध नहीं है, उनको सज़ा मिलनी चाहिए”।

उधर बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख व उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती का कहना है- “पिछले विधानसभा में कुछ गलत टिकट बंट गए थे, अपराधी व भ्रष्टाचारी किस्म के लोग आ गए थे, अबकी बार सब कुछ ठीक है”। यानि उमाशंकर और जावेद इक़बाल समाजोत्थान की भावना से ओतप्रोत होकर चुनाव लड़ रहे हैं।

यही नहीं जो बहुजन समाज पार्टी के जोनल कॉर्डिनेटर के यहां प्रतिबंधित राइफल और पिस्टल मिली है वह भी समाज सेवा के लिए इस्तेमाल किए जाते और अगर इनसे सेवा न हो पायी तब मुलायम सिंह का हर दूसरा प्रत्याशी जो कि अपराधी है, इस समाज सेवा को अंजाम देंगे। साथ ही करीब आधा दर्जन जिन अपराधियों ने जेल से पर्चे भरे हैं वह भी समाज सेवा करेंगे।

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