2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका मंजूर करते हुए किसी भी मंत्री के खिलाफ केस चलान के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा मुकदमा चलाए जाने की मंजूरी देने के लिए समयसीमा तय कर दी.
कोर्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय को भ्रष्टाचार से जुड़े किसी भी मामले में किसी मंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए 3 महीने के भीतर ही केस चलाने की मंजूरी देनी होगी. और अगर पीएमओ को अटर्नी जनरल से सलाह करनी हो तो इसके लिए 1 महीने का वक्त और ले सकती है.
कोर्ट के इस फैसले के बाद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा, 'कोर्ट ने इस फैसले से यह विश्वास पैदा किया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जो युद्ध चल रहा है उसमें देश को जीत मिलेगी. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने कहा है कि मंजूरी मिलने में किसी तरह की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
कोर्ट के फैसले के बारे में बताते हुए स्वामी ने कहा, 'कोर्ट ने कहा है कि भ्रष्टाचार के केसों में समयसीमा तय होनी चाहिए और संसद को संशोधन लाना चाहिए कि यदि 4 महीने में मंजूरी ना मिले तो उसे स्वत: मंजूरी मान लिया जाएगा.
बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कोर्ट के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी इस फैसले का स्वागत करती है. उन्होंने कहा कि ये फैसला प्रधानमंत्री के लिए झटका है.
दरअसल मामले की शुरुआत होती है उस वक्त से जब जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने ए राजा के खिलाफ मुकदमा चलाये जाने की इजाजत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. स्वामी ने कोर्ट में तब तर्क दिया था कि चूंकि ए राजा एक मंत्री थे इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री की इजाजत जरूरी थी. लेकिन स्वामी के मुताबिक कार्रवाई की इजाजत के लिए उन्हें 15 महीने तक इंतजार करना पड़ा और उसके बाद भी जब प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब नहीं मिला तो उन्हें अदालत में याचिका दायर करनी पड़ी.
अदालत ने न सिर्फ स्वामी की इस याचिका को गंभीरता से लिया बल्कि देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद प्रधानमंत्री कार्यालय से स्वामी और पीएमओ के बीच पत्राचार का लेखाजोखा मांगा. इसलिए आज के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर न सिर्फ पूर्व संचार मंत्री ए राजा की नजर है औऱ बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय की पैनी नजर है.