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रंग लाई अन्ना की मुहिम, 6 साल बाद शिवसेना MLA अरेस्ट

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मुंबई। शिवसेना विधायक सुरेश दादा जैन को घरकुल हाउसिंग प्रोजेक्ट में हुए 30 करोड़ से ज्यादा के घोटाले में पकड़ा गया है। पहली बार इस घोटाले को समाजसेवी अन्ना हजारे ने उठाया था। तब सुरेश दादा जैन महाराष्ट्र के मंत्री थे और जलगांव कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन थे। इसके बाद जस्टिस पीबी सावंत कमीशन और बाद में सुकथनकर टास्क फोर्स ने जांच की और जलगांव महानगरपालिका के तत्कालीन कमिश्नर ने जैन सहित 91 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। जैन को मामला सामने आने के 6 साल बाद पुलिस गिरफ्तार कर पाई है।


अन्ना का आरोप था कि जैन ने चेयरमैन रहते हुए जलगांव क्रेडिट कोऑपरेटिव बैंक में अपने परिचितों को लोन दिलवाकर ग्राहकों को करोड़ों का चूना लगाया। 2001 में अन्ना ने आरोप लगाया कि जैन ने घरकुल हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत अपने रिश्तेदारों की कंपनी खानदेश बिल्डर्स को गलत ढंग से ठेका दिलाया और करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया। लेकिन अन्ना के आरोपों के बावजूद जैन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। नाराज अन्ना सुरेश जैन और कांग्रेस-एनसीपी सरकार के 3 और मंत्रियों के खिलाफ 9 अगस्त 2003 को मुंबई के आजाद मैदान में आमरण अनशन पर बैठे। बदले में सुरेश जैन ने भी अन्ना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और अनशन शुरू कर दिया।


17 अगस्त 2003 को मुख्यमंत्री की तरफ से अन्ना को जांच का भरोसा मिला तो अन्ना ने अनशन तोड़ा। 2003 में महाराष्ट्र सरकार ने 4 मंत्रियों सुरेश जैन, नवाब मलिक, पद्मसिंह पाटिल और विजयकुमार गावित के खिलाफ पूर्व जस्टीस पीबी सावंत की अध्यक्षता में जांच कमेटी बना दी।


इस कमेटी ने 2 साल बाद यानी 23 फरवरी 2005 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जिसमें जैन, मलिक और पाटील को पैसों की अनिमितता बरतने का दोषी पाया गया लेकिन साथ ही अन्ना हजारे पर लगे भ्रष्ट्राचार के आरोपों से उन्हें क्लीनचिट दे दी गई।
सावंत कमेटी ने सुरेश जैन समेत कई को दोषी पाया था। नतीजा ये कि जैन, पद्मसिंह पाटिल और नवाब मलिक को मंत्रीपद छोड़ने पड़े। तभी, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुरेश जैन और जलगांव बैंक के बाकी डायरेक्टरों की चल-अचल संपत्ति अटैच करने के आदेश दे दिए।
अन्ना ने जैन को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की और रालेगनसिद्धी में 5 दिन तक अनशन किया। राज्य सरकार ने पूर्व चीफ सेक्रेटरी डीएम सुकथनकर टास्क फोर्स बनाई और इसकी रिपोर्ट आने तक अनशन न करने की अपील की। अन्ना ने अनशन छोड़ा लेकिन अपनी मांग नहीं छोड़ी।


2005 में सुकथनकर कमेटी ने सुरेश जैन पर पैसों की अनियमितता के आरोप लगाए थे, पर सबूतों की कमी की वजह से उन्हें क्लीन चिट देनी पड़ी थी। अन्ना ने इसके बाद घरकुल योजना में सुरेश जैन और उनके रिश्तेदारों के घोटाले को लेकर कई बार आवाज उठाई। जिसके बाद 2006 में जैन सहित 91 लोगों पर केस दर्ज हुआ। हालांकि जैन को 6 साल बाद ही गिरफ्तार किया जा सका।
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