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INDIA AGAINST CORRUPTION INDIA AGAINST CORRUPTION INDIA AGAINST CORRUPTION INDIA AGAINST CORRUPTION
भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक
अन्ना के संगठन में स्वच्छ छवि वालों को तरजीह
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उन्होंने कहा कि अन्ना टीम के संगठन का आगाज हिमाचल से होगा। अन्ना हजारे टीम का लक्ष्य देश में जनता का असली राज लाना है। अन्ना हजारे के आंदोलनों के दौरान सभी पार्टियों के बड़े राजनीतिज्ञों को उनके बैनर तले आने का निमंत्रण दिया जाता है लेकिन संगठन में गैर राजनीतिक लोगों को ही महत्व दिया जाएगा। हर पंचायत से दस से 15 सदस्यों की टीम तैयार की जाएगी। हिमाचल में भी भ्रष्टाचार ने पांव पसार लिए हैं। जनता को इसे जड़ से उखाड़ फेंकना होगा। उन्होंने राज्यस्तरीय सम्मेलन को सफल करार दिया। वहीं, अन्ना टीम के सदस्य मनीष सिसोदिया ने कहा कि कार्यकर्ताओं को आने वाले समय में चुनौतियों का डटकर सामना करना है ताकि देश व प्रदेश बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार, भुखमरी, गरीबी आदि को जड़ से उखाड़ फेंका जा सके। इस अवसर पर हिमाचल में टीम अन्ना के सदस्य एवं समाजसेवी देशराज शर्मा व अन्य जिलों से आए कार्यकर्ता उपस्थित थे।
पाँच साल में अरबपति हो गईं मायावती
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती भले ही उत्तर प्रदेश चुनाव में हार गई हों मगर उनके कार्यकाल में उनकी संपत्ति दो गुनी हो चुकी है और अब वह अरबपति हो गई हैं.
राज्य में चुनाव हारने के बाद मायावती अगले पाँच साल केंद्र की सियासत करना चाहती हैं और अब उन्होंने राज्य सभा का पर्चा भरा है.
उम्मीदवारी की इस प्रक्रिया में उन्होंने अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया है और उसी में ये बात सामने आई है कि पिछले पाँच वर्षों में उनकी संपत्ति बढ़कर 111 करोड़ हो चुकी है.
इस ब्यौरे से पता चलता है कि मायावती की अचल संपत्ति लखनऊ और दिल्ली दोनों जगह है. इन दोनों ही जगहों पर उनके पास रिहायशी और व्यावसायिक इमारतें हैं.
इसके अलावा उनके बैंक में नकद राशि है और साथ ही सोने और हीरे जवाहरात भी हैं जिनकी कुल कीमत 111 करोड़ 64 लाख रुपए है.
जब वह 2010 में विधान परिषद के चुनाव में उतरी थीं तब उनकी संपत्ति लगभग 88 करोड़ थी और उससे पहले 2007 में वो 52.27 करोड़ थी.
किलो भर सोना
उनके कई बैंकों में कुल 13 करोड़ 95 लाख रुपए हैं जबकि उनके दिए ब्यौरे के अनुसार उनके पास 10 लाख 20 हज़ार रुपए नक़द हैं.
उनके पास आभूषण के रूप में एक किलो से ज़्यादा सोना है और 380.17 कैरेट के हीरे हैं जिनकी क़ीमत 96 लाख 53 हज़ार रुपए है.
इतना ही नहीं उनके पास 5390 रुपए की एक रिवॉल्वर भी है.
मायावती के पास दिल्ली के कनॉट प्लेस में दो व्यावसायिक इमारतें हैं जिनकी कुल क़ीमत लगभग 20 करोड़ रुपए होगी.
इसके अलावा उनके पास दिल्ली और लखनऊ में एक-एक कोठी भी है. इसमें दिल्ली की कोठी 61 करोड़ 86 लाख की और लखनऊ में मॉल एवेन्यू वाली 15 करोड़ 68 लाख की है.
मायावती ने जो ब्यौरा दिया है उसके मुताबिक़ उनके पास कोई कृषि योग्य ज़मीन नहीं है और न ही किसी गाड़ी का ज़िक्र है.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESराज्य में चुनाव हारने के बाद मायावती अगले पाँच साल केंद्र की सियासत करना चाहती हैं और अब उन्होंने राज्य सभा का पर्चा भरा है.
उम्मीदवारी की इस प्रक्रिया में उन्होंने अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया है और उसी में ये बात सामने आई है कि पिछले पाँच वर्षों में उनकी संपत्ति बढ़कर 111 करोड़ हो चुकी है.
इस ब्यौरे से पता चलता है कि मायावती की अचल संपत्ति लखनऊ और दिल्ली दोनों जगह है. इन दोनों ही जगहों पर उनके पास रिहायशी और व्यावसायिक इमारतें हैं.
इसके अलावा उनके बैंक में नकद राशि है और साथ ही सोने और हीरे जवाहरात भी हैं जिनकी कुल कीमत 111 करोड़ 64 लाख रुपए है.
जब वह 2010 में विधान परिषद के चुनाव में उतरी थीं तब उनकी संपत्ति लगभग 88 करोड़ थी और उससे पहले 2007 में वो 52.27 करोड़ थी.
किलो भर सोना
उनके कई बैंकों में कुल 13 करोड़ 95 लाख रुपए हैं जबकि उनके दिए ब्यौरे के अनुसार उनके पास 10 लाख 20 हज़ार रुपए नक़द हैं.
उनके पास आभूषण के रूप में एक किलो से ज़्यादा सोना है और 380.17 कैरेट के हीरे हैं जिनकी क़ीमत 96 लाख 53 हज़ार रुपए है.
इतना ही नहीं उनके पास 5390 रुपए की एक रिवॉल्वर भी है.
मायावती के पास दिल्ली के कनॉट प्लेस में दो व्यावसायिक इमारतें हैं जिनकी कुल क़ीमत लगभग 20 करोड़ रुपए होगी.
इसके अलावा उनके पास दिल्ली और लखनऊ में एक-एक कोठी भी है. इसमें दिल्ली की कोठी 61 करोड़ 86 लाख की और लखनऊ में मॉल एवेन्यू वाली 15 करोड़ 68 लाख की है.
मायावती ने जो ब्यौरा दिया है उसके मुताबिक़ उनके पास कोई कृषि योग्य ज़मीन नहीं है और न ही किसी गाड़ी का ज़िक्र है.
झुकी एमपी सरकार सीबीआई जांच के आदेश
मध्य प्रदेश में एक भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी नरेंद्र कुमार की हत्या की जांच सीबीआई को सौंप दी गयी है.
यह घोषणा राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की है.
उल्लेखनीय है कि इस हत्या के विरोध में मंगलवार को कांग्रेस ने राज्यव्यापी बंद का आयोजन किया है.
टीम अन्ना भी इस बंद का समर्थन कर रही है और वह तीन दिनों तक शहीद आईपीएस नरेंद्र कुमार की पत्नी को न्याय दिलाने के लिए धरने पर बैठ रही है.
यह बंद आधे दिन का है और इससे स्वास्थ्य, शिक्षण और परिवहन सेवा को दूर रखा गया है.
राज्य में बढ़ते अवैध खनन, माफियाराज सहित अपराधों को मुद्दा बनाने वाली कांग्रेस का आरोप है कि राज्य में सरकार के संरक्षण में अवैध उत्खनन का काम चल रहा है.
माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे अफसरों को भी निशाना बना रहे हैं.
मुरैना में तैनात आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार की हत्या इसका प्रमाण है.
कांग्रेस का बंद दोपहर तीन बजे तक ही रहेगा, साथ ही इससे स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन सेवा को दूर रखा गया है ताकि किसी को परेशानी न हो.
बंद का सुबह से ही मिला-जुला असर नजर आ रहा है.
कांग्रेस कार्यकर्ताओं की टोलियां सड़कों पर घूम रही है.
पुलिस का अभियान
इस बीच ग्वालियर पुलिस ने जिले में खनिजों के अवैध उत्खनन को रोकने के लिये एक बड़ा अभियान शुरु किया है. अभियान के तहत घाटीगांव एवं मोहना थानों के तहत उन 37 गांवों में धारा 144 लागू कर दी गई है जहां से अवैध उत्खनन की शिकायतें मिली हैं.
जिला कलेक्टर पी नरहरि ने बताया कि संबंधित क्षेत्र के लगभग दो हजार लाइसेंस धारियों को अपने हथियार एक सप्ताह में संबंधित थाना क्षेत्र में जमा करने के निर्देश दिये गये हैं. पिछले दिनों अवैध उत्खनन में लगे लोगों द्वारा पुलिस पर हमलों की घटनाओं को देखते हुए यह कदम उठाया गया है.
उन्होने बताया कि मुरैना में खनिज माफिया द्वारा एक युवा आईपीएस अधिकारी की हत्या के परिपेक्ष्य में शुरु किये गये इस अभियान के तहत जिले में पत्थर भंडारण के एक दर्जन लाइसेंस भी निरस्त कर दिये गये हैं. साथ ही 24 लोगों की सूची बनायी गयी है जो अक्सर वन एवं पुलिस के लोगों पर हमला करते हैं.
उन्होने कहा कि इन सभी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जिला बदर की कार्रवाई की जायेगी.
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उल्लेखनीय है कि इस हत्या के विरोध में मंगलवार को कांग्रेस ने राज्यव्यापी बंद का आयोजन किया है.
टीम अन्ना भी इस बंद का समर्थन कर रही है और वह तीन दिनों तक शहीद आईपीएस नरेंद्र कुमार की पत्नी को न्याय दिलाने के लिए धरने पर बैठ रही है.
यह बंद आधे दिन का है और इससे स्वास्थ्य, शिक्षण और परिवहन सेवा को दूर रखा गया है.
राज्य में बढ़ते अवैध खनन, माफियाराज सहित अपराधों को मुद्दा बनाने वाली कांग्रेस का आरोप है कि राज्य में सरकार के संरक्षण में अवैध उत्खनन का काम चल रहा है.
माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे अफसरों को भी निशाना बना रहे हैं.
मुरैना में तैनात आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार की हत्या इसका प्रमाण है.
कांग्रेस का बंद दोपहर तीन बजे तक ही रहेगा, साथ ही इससे स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन सेवा को दूर रखा गया है ताकि किसी को परेशानी न हो.
बंद का सुबह से ही मिला-जुला असर नजर आ रहा है.
कांग्रेस कार्यकर्ताओं की टोलियां सड़कों पर घूम रही है.
पुलिस का अभियान
इस बीच ग्वालियर पुलिस ने जिले में खनिजों के अवैध उत्खनन को रोकने के लिये एक बड़ा अभियान शुरु किया है. अभियान के तहत घाटीगांव एवं मोहना थानों के तहत उन 37 गांवों में धारा 144 लागू कर दी गई है जहां से अवैध उत्खनन की शिकायतें मिली हैं.
जिला कलेक्टर पी नरहरि ने बताया कि संबंधित क्षेत्र के लगभग दो हजार लाइसेंस धारियों को अपने हथियार एक सप्ताह में संबंधित थाना क्षेत्र में जमा करने के निर्देश दिये गये हैं. पिछले दिनों अवैध उत्खनन में लगे लोगों द्वारा पुलिस पर हमलों की घटनाओं को देखते हुए यह कदम उठाया गया है.
उन्होने बताया कि मुरैना में खनिज माफिया द्वारा एक युवा आईपीएस अधिकारी की हत्या के परिपेक्ष्य में शुरु किये गये इस अभियान के तहत जिले में पत्थर भंडारण के एक दर्जन लाइसेंस भी निरस्त कर दिये गये हैं. साथ ही 24 लोगों की सूची बनायी गयी है जो अक्सर वन एवं पुलिस के लोगों पर हमला करते हैं.
उन्होने कहा कि इन सभी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जिला बदर की कार्रवाई की जायेगी.
सोनिया के पास 45 हजार करोड़ की संपत्ति!
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी दुनिया की चौथी सबसे दौलतमंद इंसान हैं। यह दावा किया है अमेरिका के एक मीडिया हाउस ने। इसका कहना है कि यूपीए अध्यक्ष के पास 10 हजार से 45 हजार करोड़ के बीच (2 से 19 अरब डॉलर) की संपत्ति है।
अमेरिकी वेबसाइट ' बिजनेस इनसाइडर ' ने दुनिया के सबसे रईस राजनेताओं की लिस्ट जारी की है। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष को चौथे नंबर पर रखा है। इस लिस्ट में हरियाणा की विधायक और जिंदल समूह की प्रमुख सावित्री जिंदल का नाम भी है। साइट के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष की संपत्ति यानी 10 हजार से 45 हजार करोड़ के बीच हो सकती है।
इससे पहले जर्मनी के अखबार 'डी वेल्ट' में भी इस बारे में खबर छपी थी। इस अखबार के वर्ल्ड्स लग्जरी गाइड सेक्शन में दुनिया के सबसे रईस 23 नेताओं की लिस्ट छापी गई थी। उसमें भी सोनिया गांधी चौथे स्थान पर हैं। 'बिजनेस इनसाइडर' ने वर्ल्ड्स लग्जरी गाइड का हवाला देते हुए लिस्ट छापी है। लेकिन सबसे नीचे यह भी लिखा गया है कि यह रिपोर्ट OpenSecrets.org, Forbes.com, Bloomberg.com, Wikipedia.org, Guardian.co.uk से मिली जानकारी के आधार पर तैयार की गई है।
लिस्ट में अहम नाम
1. अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अजीज शाह, सऊदी अरब
2. हसनल बोलखेह सुल्तान, ब्रुनेई
3. माइकल ब्लूमबर्ग मेयर, न्यूयॉर्क
4. सोनिया गांधी
6. व्लादीमिर पुतिन
7. सावित्री जिंदल
19. आसिफ अली जरदारी
सोनिया गांधी से हाल ही में एक आरटीआई कार्यकर्ता ने उनके आयकर रिटर्न का ब्यौरा मांगा था, लेकिन उन्होंने इसे निजी जानकारी बता कर सार्वजनिक करने से मना कर दिया था। लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने अपनी कुल संपत्ति 1.38 करोड़ रुपये की बताई थी। ऐसे में अमेरिकी वेबसाइट पर दिया गया ब्यौरा जमीन-आसमान का अंतर दर्शाता है। इसलिए इस साइट पर कांग्रेस या सोनिया की ओर से प्रतिक्रिया का इंतजार है और संभावना यह भी है कि सोनिया वेबसाइट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESअमेरिकी वेबसाइट ' बिजनेस इनसाइडर ' ने दुनिया के सबसे रईस राजनेताओं की लिस्ट जारी की है। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष को चौथे नंबर पर रखा है। इस लिस्ट में हरियाणा की विधायक और जिंदल समूह की प्रमुख सावित्री जिंदल का नाम भी है। साइट के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष की संपत्ति यानी 10 हजार से 45 हजार करोड़ के बीच हो सकती है।
इससे पहले जर्मनी के अखबार 'डी वेल्ट' में भी इस बारे में खबर छपी थी। इस अखबार के वर्ल्ड्स लग्जरी गाइड सेक्शन में दुनिया के सबसे रईस 23 नेताओं की लिस्ट छापी गई थी। उसमें भी सोनिया गांधी चौथे स्थान पर हैं। 'बिजनेस इनसाइडर' ने वर्ल्ड्स लग्जरी गाइड का हवाला देते हुए लिस्ट छापी है। लेकिन सबसे नीचे यह भी लिखा गया है कि यह रिपोर्ट OpenSecrets.org, Forbes.com, Bloomberg.com, Wikipedia.org, Guardian.co.uk से मिली जानकारी के आधार पर तैयार की गई है।
लिस्ट में अहम नाम
1. अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अजीज शाह, सऊदी अरब
2. हसनल बोलखेह सुल्तान, ब्रुनेई
3. माइकल ब्लूमबर्ग मेयर, न्यूयॉर्क
4. सोनिया गांधी
6. व्लादीमिर पुतिन
7. सावित्री जिंदल
19. आसिफ अली जरदारी
सोनिया गांधी से हाल ही में एक आरटीआई कार्यकर्ता ने उनके आयकर रिटर्न का ब्यौरा मांगा था, लेकिन उन्होंने इसे निजी जानकारी बता कर सार्वजनिक करने से मना कर दिया था। लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने अपनी कुल संपत्ति 1.38 करोड़ रुपये की बताई थी। ऐसे में अमेरिकी वेबसाइट पर दिया गया ब्यौरा जमीन-आसमान का अंतर दर्शाता है। इसलिए इस साइट पर कांग्रेस या सोनिया की ओर से प्रतिक्रिया का इंतजार है और संभावना यह भी है कि सोनिया वेबसाइट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें।
लोकपाल पर संसद में जोरदार हंगामा
नई दिल्ली : संसद के बजट सत्र में लोकपाल विधेयक और एनसीटीसी को लेकर पूरा विपक्ष एकजुट हो गया है और इस पर सरकार से आर-पार करने के मूड में है।
भाजपा ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल स्थगित कर लोकपाल विधेयक पर चर्चा कराने के लिए नोटिस दिया है। पार्टी दोनों सदनों में एनसीटीसी, आरपीएफ अधिनियम के गठन के माध्यम से देश के संघीय ढांचे पर प्रहार के मुद्दे और श्रीलंका में तमिलों की स्थिति पर भी सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर रही है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता एस एस आहलुवालिया ने कहा कि सदन में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने प्रश्नकाल स्थगित कर लोकपाल विधेयक पर चर्चा कराने के लिए नोटिस दिया है। मुख्य विपक्षी पार्टी मांग कर रही है कि संसद के विस्तारित शीतकालीन सत्र के दौरान 20 दिसंबर को 12 बजे जहां से लोकपाल पर चर्चा अधूरी रह गई थी, उस पर चर्चा आगे बढ़ायी जाए।
द्रमुक, अन्नाद्रमुक और वामदलों ने श्रीलंकाई तमिलों की प्रताड़ना के मुद्दे पर चर्चा के लिए अलग से प्रश्नकाल स्थगित कर चर्चा कराने का नोटिस दिया है। यह दल जानना चाहते हैं कि क्या भारत संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका समर्थित उस प्रस्ताव का समर्थन करेगा जिसमें श्रीलंका में लिट्टे के खिलाफ युद्ध के अंतिम चरण में तमिलों को प्रताड़ित किये जाने के मुद्दे पर वहां की सरकार को घेरे में रखा गया है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में भाजपा की ओर से एनसीटीसी और नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड (एनआईजी) पर संशोधन पेश किया जाएगा। पार्टी ने आरोप लगाया कि एनसीटीसी और एनआईजी के गठन के दौरान राज्य सरकारों को विश्वास में नहीं लिया गया और इन्हें कुछ ऐसे अधिकार दिये गए जो देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन करते हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा की शुरूआत लोकसभा में भाजपा की ओर से राजनाथ सिंह जबकि राज्यसभा में एम वेंकैया नायडु करेंगे।
मालूम हो कि लोकपाल विधेयक लोकसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान ही पारित हो गया था, लेकिन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की संख्या कम होने के कारण राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था। जबकि एनसीटीसी मुद्दे पर राज्यों के विरोध के बाद इसपर संसद में सरकार के टकराव होना तय माना जा रहा है। बजट सत्र में किसी भी टकराव को टालने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने घर को मजबूत करने की रणनीति के तहत यूपीए के घटक दलों को आज रात्रि भोज पर बुलाया है जहां इस संकट से निपटने के लिए मंत्रणा की जाएगी। इस मंत्रणा के बाद जरूरत पड़ी तो सरकार सर्वदलीय बैठक भी बुला सकती है।
बजट सत्र में लोकपाल के अलावा विचार करने और पारित कराने के लिए अन्य कई विधेयक पंक्ति में हैं, जिनमें भूमि अधिग्रहण विधेयक, शिकायत निवारण विधेयक, व्हिसिल ब्लोअर संरक्षण विधेयक, परमाणु सुरक्षा नियामक प्राधिकरण विधेयक, पेंशन कोष नियामक प्राधिकरण विधेयक, न्यायाधीश उत्तरदायित्व विधेयक, महिला आरक्षण विधेयक एवं बीज विधेयक प्रमुख हैं।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने संवाददाताओं से कहा कि सदन पटल पर रखने के लिए सरकार के पास 30 नए विधेयक और विचार तथा पारित कराने के लिए 39 विधेयक हैं। इसी सत्र में 16 मार्च को वर्ष 2012-2013 के लिए आम बजट पेश किया जाएगा। इसी सत्र के दौरान वित्त विधेयक 2012 पेश होगा, उस पर विचार किया जाएगा और उसे पारित कराया जाएगा।
लोकसभा में वर्ष 2012-2013 के लिए रेल बजट 14 मार्च को पेश किया जाएगा, जिसके बाद 15 मार्च को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 22 मई तक चलने वाले इस सत्र में कुल 35 बैठकें होंगी।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESभाजपा ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल स्थगित कर लोकपाल विधेयक पर चर्चा कराने के लिए नोटिस दिया है। पार्टी दोनों सदनों में एनसीटीसी, आरपीएफ अधिनियम के गठन के माध्यम से देश के संघीय ढांचे पर प्रहार के मुद्दे और श्रीलंका में तमिलों की स्थिति पर भी सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर रही है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता एस एस आहलुवालिया ने कहा कि सदन में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने प्रश्नकाल स्थगित कर लोकपाल विधेयक पर चर्चा कराने के लिए नोटिस दिया है। मुख्य विपक्षी पार्टी मांग कर रही है कि संसद के विस्तारित शीतकालीन सत्र के दौरान 20 दिसंबर को 12 बजे जहां से लोकपाल पर चर्चा अधूरी रह गई थी, उस पर चर्चा आगे बढ़ायी जाए।
द्रमुक, अन्नाद्रमुक और वामदलों ने श्रीलंकाई तमिलों की प्रताड़ना के मुद्दे पर चर्चा के लिए अलग से प्रश्नकाल स्थगित कर चर्चा कराने का नोटिस दिया है। यह दल जानना चाहते हैं कि क्या भारत संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका समर्थित उस प्रस्ताव का समर्थन करेगा जिसमें श्रीलंका में लिट्टे के खिलाफ युद्ध के अंतिम चरण में तमिलों को प्रताड़ित किये जाने के मुद्दे पर वहां की सरकार को घेरे में रखा गया है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में भाजपा की ओर से एनसीटीसी और नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड (एनआईजी) पर संशोधन पेश किया जाएगा। पार्टी ने आरोप लगाया कि एनसीटीसी और एनआईजी के गठन के दौरान राज्य सरकारों को विश्वास में नहीं लिया गया और इन्हें कुछ ऐसे अधिकार दिये गए जो देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन करते हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा की शुरूआत लोकसभा में भाजपा की ओर से राजनाथ सिंह जबकि राज्यसभा में एम वेंकैया नायडु करेंगे।
मालूम हो कि लोकपाल विधेयक लोकसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान ही पारित हो गया था, लेकिन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की संख्या कम होने के कारण राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था। जबकि एनसीटीसी मुद्दे पर राज्यों के विरोध के बाद इसपर संसद में सरकार के टकराव होना तय माना जा रहा है। बजट सत्र में किसी भी टकराव को टालने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने घर को मजबूत करने की रणनीति के तहत यूपीए के घटक दलों को आज रात्रि भोज पर बुलाया है जहां इस संकट से निपटने के लिए मंत्रणा की जाएगी। इस मंत्रणा के बाद जरूरत पड़ी तो सरकार सर्वदलीय बैठक भी बुला सकती है।
बजट सत्र में लोकपाल के अलावा विचार करने और पारित कराने के लिए अन्य कई विधेयक पंक्ति में हैं, जिनमें भूमि अधिग्रहण विधेयक, शिकायत निवारण विधेयक, व्हिसिल ब्लोअर संरक्षण विधेयक, परमाणु सुरक्षा नियामक प्राधिकरण विधेयक, पेंशन कोष नियामक प्राधिकरण विधेयक, न्यायाधीश उत्तरदायित्व विधेयक, महिला आरक्षण विधेयक एवं बीज विधेयक प्रमुख हैं।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने संवाददाताओं से कहा कि सदन पटल पर रखने के लिए सरकार के पास 30 नए विधेयक और विचार तथा पारित कराने के लिए 39 विधेयक हैं। इसी सत्र में 16 मार्च को वर्ष 2012-2013 के लिए आम बजट पेश किया जाएगा। इसी सत्र के दौरान वित्त विधेयक 2012 पेश होगा, उस पर विचार किया जाएगा और उसे पारित कराया जाएगा।
लोकसभा में वर्ष 2012-2013 के लिए रेल बजट 14 मार्च को पेश किया जाएगा, जिसके बाद 15 मार्च को आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 22 मई तक चलने वाले इस सत्र में कुल 35 बैठकें होंगी।
लोकपाल बिल पर अन्ना को सरकार पर भरोसा नहीं
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रंग लाई अन्ना की मुहिम, 6 साल बाद शिवसेना MLA अरेस्ट
मुंबई। शिवसेना विधायक सुरेश दादा जैन को घरकुल हाउसिंग प्रोजेक्ट में हुए 30 करोड़ से ज्यादा के घोटाले में पकड़ा गया है। पहली बार इस घोटाले को समाजसेवी अन्ना हजारे ने उठाया था। तब सुरेश दादा जैन महाराष्ट्र के मंत्री थे और जलगांव कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन थे। इसके बाद जस्टिस पीबी सावंत कमीशन और बाद में सुकथनकर टास्क फोर्स ने जांच की और जलगांव महानगरपालिका के तत्कालीन कमिश्नर ने जैन सहित 91 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। जैन को मामला सामने आने के 6 साल बाद पुलिस गिरफ्तार कर पाई है।
अन्ना का आरोप था कि जैन ने चेयरमैन रहते हुए जलगांव क्रेडिट कोऑपरेटिव बैंक में अपने परिचितों को लोन दिलवाकर ग्राहकों को करोड़ों का चूना लगाया। 2001 में अन्ना ने आरोप लगाया कि जैन ने घरकुल हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत अपने रिश्तेदारों की कंपनी खानदेश बिल्डर्स को गलत ढंग से ठेका दिलाया और करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया। लेकिन अन्ना के आरोपों के बावजूद जैन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। नाराज अन्ना सुरेश जैन और कांग्रेस-एनसीपी सरकार के 3 और मंत्रियों के खिलाफ 9 अगस्त 2003 को मुंबई के आजाद मैदान में आमरण अनशन पर बैठे। बदले में सुरेश जैन ने भी अन्ना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और अनशन शुरू कर दिया।
17 अगस्त 2003 को मुख्यमंत्री की तरफ से अन्ना को जांच का भरोसा मिला तो अन्ना ने अनशन तोड़ा। 2003 में महाराष्ट्र सरकार ने 4 मंत्रियों सुरेश जैन, नवाब मलिक, पद्मसिंह पाटिल और विजयकुमार गावित के खिलाफ पूर्व जस्टीस पीबी सावंत की अध्यक्षता में जांच कमेटी बना दी।
इस कमेटी ने 2 साल बाद यानी 23 फरवरी 2005 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जिसमें जैन, मलिक और पाटील को पैसों की अनिमितता बरतने का दोषी पाया गया लेकिन साथ ही अन्ना हजारे पर लगे भ्रष्ट्राचार के आरोपों से उन्हें क्लीनचिट दे दी गई।
सावंत कमेटी ने सुरेश जैन समेत कई को दोषी पाया था। नतीजा ये कि जैन, पद्मसिंह पाटिल और नवाब मलिक को मंत्रीपद छोड़ने पड़े। तभी, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुरेश जैन और जलगांव बैंक के बाकी डायरेक्टरों की चल-अचल संपत्ति अटैच करने के आदेश दे दिए।
अन्ना ने जैन को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की और रालेगनसिद्धी में 5 दिन तक अनशन किया। राज्य सरकार ने पूर्व चीफ सेक्रेटरी डीएम सुकथनकर टास्क फोर्स बनाई और इसकी रिपोर्ट आने तक अनशन न करने की अपील की। अन्ना ने अनशन छोड़ा लेकिन अपनी मांग नहीं छोड़ी।
2005 में सुकथनकर कमेटी ने सुरेश जैन पर पैसों की अनियमितता के आरोप लगाए थे, पर सबूतों की कमी की वजह से उन्हें क्लीन चिट देनी पड़ी थी। अन्ना ने इसके बाद घरकुल योजना में सुरेश जैन और उनके रिश्तेदारों के घोटाले को लेकर कई बार आवाज उठाई। जिसके बाद 2006 में जैन सहित 91 लोगों पर केस दर्ज हुआ। हालांकि जैन को 6 साल बाद ही गिरफ्तार किया जा सका।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESअन्ना का आरोप था कि जैन ने चेयरमैन रहते हुए जलगांव क्रेडिट कोऑपरेटिव बैंक में अपने परिचितों को लोन दिलवाकर ग्राहकों को करोड़ों का चूना लगाया। 2001 में अन्ना ने आरोप लगाया कि जैन ने घरकुल हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत अपने रिश्तेदारों की कंपनी खानदेश बिल्डर्स को गलत ढंग से ठेका दिलाया और करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया। लेकिन अन्ना के आरोपों के बावजूद जैन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। नाराज अन्ना सुरेश जैन और कांग्रेस-एनसीपी सरकार के 3 और मंत्रियों के खिलाफ 9 अगस्त 2003 को मुंबई के आजाद मैदान में आमरण अनशन पर बैठे। बदले में सुरेश जैन ने भी अन्ना पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और अनशन शुरू कर दिया।
17 अगस्त 2003 को मुख्यमंत्री की तरफ से अन्ना को जांच का भरोसा मिला तो अन्ना ने अनशन तोड़ा। 2003 में महाराष्ट्र सरकार ने 4 मंत्रियों सुरेश जैन, नवाब मलिक, पद्मसिंह पाटिल और विजयकुमार गावित के खिलाफ पूर्व जस्टीस पीबी सावंत की अध्यक्षता में जांच कमेटी बना दी।
इस कमेटी ने 2 साल बाद यानी 23 फरवरी 2005 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जिसमें जैन, मलिक और पाटील को पैसों की अनिमितता बरतने का दोषी पाया गया लेकिन साथ ही अन्ना हजारे पर लगे भ्रष्ट्राचार के आरोपों से उन्हें क्लीनचिट दे दी गई।
सावंत कमेटी ने सुरेश जैन समेत कई को दोषी पाया था। नतीजा ये कि जैन, पद्मसिंह पाटिल और नवाब मलिक को मंत्रीपद छोड़ने पड़े। तभी, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुरेश जैन और जलगांव बैंक के बाकी डायरेक्टरों की चल-अचल संपत्ति अटैच करने के आदेश दे दिए।
अन्ना ने जैन को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की और रालेगनसिद्धी में 5 दिन तक अनशन किया। राज्य सरकार ने पूर्व चीफ सेक्रेटरी डीएम सुकथनकर टास्क फोर्स बनाई और इसकी रिपोर्ट आने तक अनशन न करने की अपील की। अन्ना ने अनशन छोड़ा लेकिन अपनी मांग नहीं छोड़ी।
2005 में सुकथनकर कमेटी ने सुरेश जैन पर पैसों की अनियमितता के आरोप लगाए थे, पर सबूतों की कमी की वजह से उन्हें क्लीन चिट देनी पड़ी थी। अन्ना ने इसके बाद घरकुल योजना में सुरेश जैन और उनके रिश्तेदारों के घोटाले को लेकर कई बार आवाज उठाई। जिसके बाद 2006 में जैन सहित 91 लोगों पर केस दर्ज हुआ। हालांकि जैन को 6 साल बाद ही गिरफ्तार किया जा सका।
अन्ना ने अब 2014 की लोकपाल की डेडलाइन
रालेगण सिद्धि।। अन्ना हजारे मजबूत लोकपाल बिल को पारित करने के लिए समयसीमा को 2014 में आगामी आम चुनाव तक बढ़ाते हुए दिखे और उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होने पर वह दिल्ली के रामलीला मैदान लौटेंगे।
हजारे ने कहा कि प्रभावी लोकपाल विधेयक के अभियान के तहत वह दो महीने बाद अपना राष्ट्रव्यापी दौरा शुरू करेंगे। हजारे के करीबी सहयोगी सुरेश पठारे ने उनके हवाले से कहा, 'मैं दो महीने बाद अपना देशव्यापी दौरा शुरू करूंगा और लोगों को जागरूक करूंगा। जन लोकपाल 2014 तक। यदि यह नहीं आता तो फिर रामलीला मैदान में वापस।'
पठारे ने ट्विटर पर हजारे के हवाले से लिखा, 'मैं जन लोकपाल बिल के लिए सरकार के पास नहीं जाऊंगा। फैसला जनता पर छोड़ा गया है।' पठारे ने कहा कि हजारे की राय है कि अगले आम चुनाव से पहले मजबूत लोकपाल बिल लागू होना चाहिए।
74 वर्षीय हजारे ने पिछले साल दिसंबर में खराब सेहत के कारण अपना आंदोलन तथा प्रस्तावित देशव्यापी दौरे को रोकने की घोषणा की थी।
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पठारे ने ट्विटर पर हजारे के हवाले से लिखा, 'मैं जन लोकपाल बिल के लिए सरकार के पास नहीं जाऊंगा। फैसला जनता पर छोड़ा गया है।' पठारे ने कहा कि हजारे की राय है कि अगले आम चुनाव से पहले मजबूत लोकपाल बिल लागू होना चाहिए।
74 वर्षीय हजारे ने पिछले साल दिसंबर में खराब सेहत के कारण अपना आंदोलन तथा प्रस्तावित देशव्यापी दौरे को रोकने की घोषणा की थी।
जन लोकपाल के लिए करूंगा देशव्यापी दौरा: अन्ना
रालेगण सिद्धि: सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने सोमवार को कहा कि प्रभावी जन लोकपाल विधेयक के लिए प्रचार के सिलसिले में दो महीने बाद वह देशव्यापी दौरा करेंगे.
अन्ना के निकट सहयोगी सुरेश पठारे ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर एक बयान उद्धृत किया, जिसमें अन्ना ने कहा है, "मैं अपना देशव्यापी दौरा दो महीने बाद शुरू करूंगा और लोगों को जागरूक करूंगा कि वे सरकार से वर्ष 2014 तक मजबूत जन लोकपाल नियुक्त करने की मांग करें. यदि मांग पूरी नहीं हुई तो फिर से रामलीला मैदान जाऊंगा."
बयान में अन्ना ने कहा है, "मैं जन लोकपाल की मांग करने सरकार के पास नहीं जाऊंगा. हमने फैसला लोगों पर छोड़ दिया है."
उल्लेखनीय है कि 74 वर्षीय अन्ना पिछले वर्ष दिसम्बर में ही देशव्यापी दौरा करने वाले थे, लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने दौरा स्थगित करने की घोषणा की थी.
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बयान में अन्ना ने कहा है, "मैं जन लोकपाल की मांग करने सरकार के पास नहीं जाऊंगा. हमने फैसला लोगों पर छोड़ दिया है."
उल्लेखनीय है कि 74 वर्षीय अन्ना पिछले वर्ष दिसम्बर में ही देशव्यापी दौरा करने वाले थे, लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने दौरा स्थगित करने की घोषणा की थी.
सीडब्ल्यूजी घोटाला: सात पर आरोप तय
दिल्ली की एक अदालत ने राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान लगाए गए स्ट्रीट लाइटों में घोटाला मामले में सोमवार को सात लोगों के खिलाफ आरोप तय कर दिया। इनमें चार अधिकारी दिल्ली नगर निगम के हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के न्यायाधीश प्रदीप चड्ढ़ा ने कहा कि अदालत ने आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं। मामले की सुनवाई तीन अप्रैल से शुरू होगी।
अदाल ने दिल्ली नगर निगम के चार अधिकारियों सुपरीटेंडेंट इंजीनियर डी. के. सुगन, कार्यकारी इंजीनियर ओ. पी. महाला, लेखपाल राजू वी. तथा क्लर्क गुरचरण सिंह के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी तथा फर्जीवाड़ा के आरोप तय किए हैं। निजी कंपनी स्वेस्क पावरटेक इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक जेपी सिंह तथा प्रबंध निदेकश टीपी सिंह के खिलाफ भी आरोप तय किए हैं। एक अन्य आरोपी फिलिप्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी मेहुल कार्निक हैं।
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अदाल ने दिल्ली नगर निगम के चार अधिकारियों सुपरीटेंडेंट इंजीनियर डी. के. सुगन, कार्यकारी इंजीनियर ओ. पी. महाला, लेखपाल राजू वी. तथा क्लर्क गुरचरण सिंह के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी तथा फर्जीवाड़ा के आरोप तय किए हैं। निजी कंपनी स्वेस्क पावरटेक इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक जेपी सिंह तथा प्रबंध निदेकश टीपी सिंह के खिलाफ भी आरोप तय किए हैं। एक अन्य आरोपी फिलिप्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी मेहुल कार्निक हैं।
जयराम ने दी अन्ना को गांधीगीरी से दूर रहने की सलाह
पुणे। खुद को गांधी के विचारधारा की पार्टी बताने वाली कांग्रेस के एक केंद्रीय मंत्री ने ही गांधीवादी विचारों से दूर रहने की सलाह दे डाली है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने अहमदनगर के गांव हिवरे बाजार को मॉडल गांव बनाने वाले समाजसेवी पोपट पवार को गांधीवादी तरीकों से दूर रहने की सलाह दी है। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का उदाहरण देते हुए रमेश ने कहा कि पवार को अपने इस मिशन के लिए गांधीवादी विचारों को अपनाने की जरूरत नहीं है।
हिवरे बाजार में ग्राम पंचायत को संबोधित करते हुए रमेश ने गांव को शिरडी की उपमा भी दी। उन्होंने पवार से कहा, 'मैं यह नहीं चाहूंगा कि आप भी अनशन करें या फिर गांधी टोपी पहनें। हालांकि विवाद के डर से पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने अन्ना हजारे की तारीफ करते हुए कहा कि अन्ना के चलते रालेगण सिद्धि गांव में जल संरक्षण और प्रबंधन की योजनाएं बेहद सफल रही हैं। 30 साल के प्रयास से अन्ना ने वहां सकारात्मक बदलाव किए हैं।
रमेश का मानना है कि, हिवरे बाजार में पवार का काम भी उसी दर्जे का है, लेकिन ये अलग बात है कि उनके इस प्रयास को तुलनात्मक रूप से कम तवज्जो मिला है। महाराष्ट्र सरकार के मॉडल गांव निर्माण योजना के तहत अध्यक्ष के रूप में काम करने वाले पवार, अन्ना को अपना आदर्श मानते हैं।
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रमेश का मानना है कि, हिवरे बाजार में पवार का काम भी उसी दर्जे का है, लेकिन ये अलग बात है कि उनके इस प्रयास को तुलनात्मक रूप से कम तवज्जो मिला है। महाराष्ट्र सरकार के मॉडल गांव निर्माण योजना के तहत अध्यक्ष के रूप में काम करने वाले पवार, अन्ना को अपना आदर्श मानते हैं।
३ दिवसीय उपवास एवम धरना, भोपाल
आईपीएस नरेंद्र कुमार के लिए न्याय की मांग.
राज्य सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध. - अनशन
स्थान @ ज्योति सिनेमा, एम पी नगर, भोपाल
मार्च 13, 14 और 15 पर.
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स्थान @ ज्योति सिनेमा, एम पी नगर, भोपाल
मार्च 13, 14 और 15 पर.
हिमाचल प्रदेश में राज्य स्तरीय सम्मलेन
हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर में अन्ना आन्दोलन से जुड़े साथियों का पहला राज्य स्तरीय सम्मलेन आज से शुरू हो रहा है. दो दिन के इस सम्मलेन में पूरे राज्य से करीब ५०० साथी आए हैं. अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और नविन जयहिंद इस सम्मलेन में शामिल होने के लिए पहुँच चुके हैं.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESसिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही, मेरी कोशिश है की ये सूरत बदलनी चाहिए..
His wife Madhurani Teotia - an IAS officer, is currently pregnant with a child. Lets assure her she is not alone in this fight. Entire country is with her.
Lets light a candle... today at 7 pm, Holy Child Crossing, Nehru nagar, Ghaziabad, U.P. (contact- 99990399905)
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही, मेरी कोशिश है की ये सूरत बदलनी चाहिए..
फिल्म में कनपुरिया मनमौजी बने अन्ना हजारे
अन्ना हजारे के आंदोलन से बॉलीवुड भी प्रभावित है। उनकी लोकप्रियता को भुनाने के लिए रॉक स्टार और सरकार जैसी हिट फिल्में देने वाले निर्देशक मनीष गुप्ता अन्ना हजारे पर फिल्म बना रहे है। कानपुर के हास्य कलाकार मनमौजी को इस फिल्म में अन्ना हजारे का किरदार निभाने का मौका मिला है। फिल्म की शूटिंग शुरू हो चुकी है। मई के प्रथम सप्ताह में फिल्म रिलीज होगी।
शास्त्री नगर कॉलोनी की गलियों से बॉलीवुड तक का सफर तय करने वाले पुरुषोत्तम नारायण मिश्र उर्फ मनमौजी ने फोन पर बातचीत में बताया कि फिल्म का विषय अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध छेड़े गए आंदोलन पर केंद्रित है। किरन बेदी, अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया आदि के किरदार भी फिल्म में नजर आएंगे।
सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार से त्रस्त आम आदमी की पीड़ा को फिल्म में बेहद संजीदगी से उकेरागया है। फिल्म में दिखाया गया है कि अन्ना के आंदोलन में कूदने वाले लोग कुछ समय बाद ईमानदारी की राह पर चलते-चलते परेशान होने लगते हैं। घर में खाने को नहीं बचता, बच्चों की स्कूल की फीस नहीं जमा होती। यह नौबत आने पर वे अन्ना से ही उलझ पड़ते हैं।
अन्ना उन्हें समझाते हैं कि ईमानदारी का रास्ता बहुत मुश्किल होता है और भ्रष्टाचार का उतना ही आसान। मगर आसान रास्ता अंत में बहुत मुश्किल होता है। यह राम-रावण के युद्ध की तरह है। रावण को हराने के लिए राम को अनगिनत कष्ट झेलने पड़ते हैं। फिल्म का अंत इस लड़ाई को जनता के हाथों में छोड़कर होता है। मनमौजी ने बताया कि पहली बार किसी फिल्म में गंभीर रोल मिला है, वर्ना तो अधिकतर फिल्मों में कामेडी ही की है।
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सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार से त्रस्त आम आदमी की पीड़ा को फिल्म में बेहद संजीदगी से उकेरागया है। फिल्म में दिखाया गया है कि अन्ना के आंदोलन में कूदने वाले लोग कुछ समय बाद ईमानदारी की राह पर चलते-चलते परेशान होने लगते हैं। घर में खाने को नहीं बचता, बच्चों की स्कूल की फीस नहीं जमा होती। यह नौबत आने पर वे अन्ना से ही उलझ पड़ते हैं।
अन्ना उन्हें समझाते हैं कि ईमानदारी का रास्ता बहुत मुश्किल होता है और भ्रष्टाचार का उतना ही आसान। मगर आसान रास्ता अंत में बहुत मुश्किल होता है। यह राम-रावण के युद्ध की तरह है। रावण को हराने के लिए राम को अनगिनत कष्ट झेलने पड़ते हैं। फिल्म का अंत इस लड़ाई को जनता के हाथों में छोड़कर होता है। मनमौजी ने बताया कि पहली बार किसी फिल्म में गंभीर रोल मिला है, वर्ना तो अधिकतर फिल्मों में कामेडी ही की है।
हमारी कोशिश से एक शहीद को इंसाफ मिलेगा और लाखों देशभक्तों को हौसला मिलेगा...
शहीदों की चिताओ पर राजनीती रोटिया सेकती है,
मुआवजे के नाम पर नोटों के बण्डल फेंकती है
गुस्सा राजनीती पर नहीं लोगो पर आता है,
क्योकि जनता बिना कुछ बोले तमाशा देखती है
गाजियाबाद के रहने वाले अरुण कुमार ने मध्य प्रदेश के सीएम को पोस्टकार्ड लिखकर नरेंद्र की मौत की सीबीआई जांच की मांग की है...आप भी शिवराज सिंह चौहान को पोस्ट कार्ड लिखिए और बताइये कि जनता क्या चाहती है, इसमें बस पचास पैसे और आपके चंद मिनट खर्च होंगे |
हमारी कोशिश से एक शहीद को इंसाफ मिलेगा और लाखों देशभक्तों को हौसला मिलेगा...|
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गुस्सा राजनीती पर नहीं लोगो पर आता है,
क्योकि जनता बिना कुछ बोले तमाशा देखती है
गाजियाबाद के रहने वाले अरुण कुमार ने मध्य प्रदेश के सीएम को पोस्टकार्ड लिखकर नरेंद्र की मौत की सीबीआई जांच की मांग की है...आप भी शिवराज सिंह चौहान को पोस्ट कार्ड लिखिए और बताइये कि जनता क्या चाहती है, इसमें बस पचास पैसे और आपके चंद मिनट खर्च होंगे |
हमारी कोशिश से एक शहीद को इंसाफ मिलेगा और लाखों देशभक्तों को हौसला मिलेगा...|
भ्रष्टाचार के खिलाफ मोबाइल बनेगा हथियार
मोबाइल फोन अब महज बात करने, संगीत सुनने या सुनहरे पलों को तस्वीर के रूप में कैद करने का जरिया ही नहीं रहेगा बल्कि सरकारी योजनाओं में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आम आदमी का हथियार भी बनेगा। भ्रष्ट सरकारी तंत्र या योजनाओं के क्रियान्वयन में किसी तरह के भ्रष्टाचार को मोबाइल में कैद करके इसकी शिकायत एसएमएस या ई मेल के जरिए की जा सकेगी। इससे आम आदमी के जरिए मिलने वाली भ्रष्टाचार की शिकायत पर केंद्र सरकार तत्काल संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई कर सकेगी।
आम लोग उखाड़ेंगे भ्रष्टाचार
सरकारी योजनाओं में दीमक की तरह फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सरकार को अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल पा रही है। लिहाजा अब इस लड़ाई को सरकार आम आदमी के सहयोग से लड़ने की तैयारी में है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री श्रीकांत जेना ने अमर उजाला को बताया कि योजना के मुताबिक कोई भी अपने मोबाइल कैमरे से भ्रष्टाचार की तस्वीर खींचकर उसका विवरण टाइप कर केंद्र सरकार के एक कॉमन नंबर पर एसएमएस या ईमेल करेगा। केंद्र सरकार की ओर से उसकी शिकायत प्राप्त होने की पुष्टि की जाएगी। साथ ही इस पर क्या कार्रवाई की जा रही है। उसका विवरण भी दिया जाएगा।
शिकायत पर तलब होंगे राज्य सरकार
सरकार प्राप्त शिकायत के आधार पर उस क्षेत्र के संबंधित अधिकारी व राज्य सरकार को तलब कर जवाब मांगेगा। सप्ताह भर में जवाब न आने पर कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस योजना का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया गया है। इस योजना के लिए साफ्टवेयर विकसित करने की जिम्मेदारी यूएआईडी के चेयरमैन नंदन नीलेकणी को दी जाएगी। इस संबंध में नीलेकणी से विचार-विमर्श चल रहा है।
कैसे होगी शिकायत
कोई भी अपने आस-पास की किसी भी योजना में किसी तरह के भ्रष्टाचार के कृत्य की तस्वीर अपने मोबाइल में कैद कर इसकी शिकायत सरकार के कॉमन नंबर पर एसएमएस या ई-मेल से कर सकेगा। शिकायत कर्ता का नाम तो गुप्त रहेगा। लेकिन उसकी शिकायत पर सरकार क्या कार्रवाई कर रही है। इसकी जानकारी उसे दी जाएगी।
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सरकारी योजनाओं में दीमक की तरह फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सरकार को अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल पा रही है। लिहाजा अब इस लड़ाई को सरकार आम आदमी के सहयोग से लड़ने की तैयारी में है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री श्रीकांत जेना ने अमर उजाला को बताया कि योजना के मुताबिक कोई भी अपने मोबाइल कैमरे से भ्रष्टाचार की तस्वीर खींचकर उसका विवरण टाइप कर केंद्र सरकार के एक कॉमन नंबर पर एसएमएस या ईमेल करेगा। केंद्र सरकार की ओर से उसकी शिकायत प्राप्त होने की पुष्टि की जाएगी। साथ ही इस पर क्या कार्रवाई की जा रही है। उसका विवरण भी दिया जाएगा।
शिकायत पर तलब होंगे राज्य सरकार
सरकार प्राप्त शिकायत के आधार पर उस क्षेत्र के संबंधित अधिकारी व राज्य सरकार को तलब कर जवाब मांगेगा। सप्ताह भर में जवाब न आने पर कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस योजना का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया गया है। इस योजना के लिए साफ्टवेयर विकसित करने की जिम्मेदारी यूएआईडी के चेयरमैन नंदन नीलेकणी को दी जाएगी। इस संबंध में नीलेकणी से विचार-विमर्श चल रहा है।
कैसे होगी शिकायत
कोई भी अपने आस-पास की किसी भी योजना में किसी तरह के भ्रष्टाचार के कृत्य की तस्वीर अपने मोबाइल में कैद कर इसकी शिकायत सरकार के कॉमन नंबर पर एसएमएस या ई-मेल से कर सकेगा। शिकायत कर्ता का नाम तो गुप्त रहेगा। लेकिन उसकी शिकायत पर सरकार क्या कार्रवाई कर रही है। इसकी जानकारी उसे दी जाएगी।
भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को मिले संरक्षण : केजरीवाल
अन्ना हजारे के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने मध्य प्रदेश में अवैध खनन रोकने के प्रयास में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईपीएस) के अधिकारी की मौत की भर्त्सना करते हुए शुक्रवार को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों के संरक्षण के लिए कठोर कानून बनाने की मांग की। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार (32 वर्ष) की गुरुवार को अवैध पत्थर लदे ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी गई।
माइक्रोब्लागिंग साइट ट्विटर पर उन्होंने कहा कि किसी भी मंत्री के शोक संवेदना वाले बयान की जरूरत नहीं है। क्या सरकार अब ऐसे लोगों की मौत को रोकने के लिए उपाय कर सकती है? भ्रष्टाचार रोकने के लिए कई लोगों ने अपनी जान दी है। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने वालों के संरक्षण के लिए कठोर कानून बनाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को संरक्षण देने के लिए कड़े कानून की आवश्यकता है। सरकार के कानून भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देते हैं और आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित करते हैं।
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उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को संरक्षण देने के लिए कड़े कानून की आवश्यकता है। सरकार के कानून भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देते हैं और आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित करते हैं।
भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को मिले संरक्षण : केजरीवाल
अन्ना हजारे के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने मध्य प्रदेश में अवैध खनन रोकने के प्रयास में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईपीएस) के अधिकारी की मौत की भर्त्सना करते हुए शुक्रवार को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों के संरक्षण के लिए कठोर कानून बनाने की मांग की। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार (32 वर्ष) की गुरुवार को अवैध पत्थर लदे ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी गई।
माइक्रोब्लागिंग साइट ट्विटर पर उन्होंने कहा कि किसी भी मंत्री के शोक संवेदना वाले बयान की जरूरत नहीं है। क्या सरकार अब ऐसे लोगों की मौत को रोकने के लिए उपाय कर सकती है? भ्रष्टाचार रोकने के लिए कई लोगों ने अपनी जान दी है। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने वालों के संरक्षण के लिए कठोर कानून बनाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को संरक्षण देने के लिए कड़े कानून की आवश्यकता है। सरकार के कानून भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देते हैं और आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित करते हैं।
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उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को संरक्षण देने के लिए कड़े कानून की आवश्यकता है। सरकार के कानून भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देते हैं और आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित करते हैं।
Indians Use Facebook, Twitter, and Mobile Phones to Fight Against Rampant Corruption : Wikimedia
A litany of corruption scandals in India have been making headlines for the past year. These scams are being brought to light in such rapid succession that there is now a paper (JanLokpal Daily) and even a hash tag on Twitter #LootLoIndia dedicated solely to breaking this news. This however, in some ways, is heartening. Corruption has been rampant in the country for decades. The very fact that these scandals, once taken for granted, are now considered newsworthy is a sign of new citizen engagement and mobilization.
India’s rapid economic growth has created a new middle-class that refuses to accept the status quo. Urbanization and growth has mobilized a new generation of Indians that expect the fruits of economic development to reach them without being pilfered by corrupt middlemen and bureaucrats. Tens of thousands of Indians rallied around an anti-corruption Bill, the Jan Lokpal Bill last year, hailing its figurehead, Anna Hazare, as the Gandhi of the 21st century. According to a 2011 Facebook report, the Bill was the most mentioned topic on Indian statuses.
Although this revolutionary bill was (unsurprisingly) shelved, change is still clearly afoot. A strong illustration of this point is Bihar, India’s poorest state. Once known as the Jungle Raaj for its lack of governance and rampant corruption, it has now been named the least corrupt state in the country, and even hailed by other countries for its good governance and rule of law. This state has set a strong example for others in the country in using technology to introduce accountability and transparency in governance. The Chief Minister, largely credited for introducing strong political reform in the state, has introduced a system to ensure that the hand-written grievances of citizens are posted on the Internet, and complaints of bribery are loaded onto YouTube to shame corrupt officials.
While other Chief Ministers might not be as bent on fighting the system from which they greatly benefit, a technology revolution in the country continues to build new frameworks to fight corruption. India has a famously outspoken Twitter community, and sites that monitor corruption such as IPaidABribe.com and that publish public and criminal records of politicians continue to flourish. The website that organized the rally around the Jan Lokpal Bill, India Against Corruption, has grown into a veritable force as it continues to promote its cause and engage with the public both online and online.
Additionally, as internet penetration in India remains poor, groups are looking at other using forms of technology to increase transparency in the country. As more Indians now have more mobile phones than toilets, Stanford’s Program on Liberation Technology is examining the uses of mobile phones in social audit. Perhaps the most inspiring of these innovative programs is Aadhaar, a Unique Identification (UID) project. This is one of the most ambitious programs to have ever been undertaken by the Indian government and has been assigned the Herculean task of creating the world’s largest biometric database in order to assign over billion Indians a Unique Identity Number to ensure intended recipients benefit from government subsidies designed for them.
And yet, it is clear that mobilizing the masses online and promoting transparency through technology is not sufficient to battle corruption. Effective laws, speedy trials, an honest police-force, and the political will to fight corruption are essential elements of the struggle; but shaming corrupt officials publicly and instilling a sense of accountability is an important first step.
India has a long way to go before this movement translates into better governance and improved infrastructure. Yet, news that the government is doing its best to hamper this internet revolution by censoring social media and dragging Google and Facebook to court is a sure sign that the movement is making progress.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESIndia’s rapid economic growth has created a new middle-class that refuses to accept the status quo. Urbanization and growth has mobilized a new generation of Indians that expect the fruits of economic development to reach them without being pilfered by corrupt middlemen and bureaucrats. Tens of thousands of Indians rallied around an anti-corruption Bill, the Jan Lokpal Bill last year, hailing its figurehead, Anna Hazare, as the Gandhi of the 21st century. According to a 2011 Facebook report, the Bill was the most mentioned topic on Indian statuses.
Although this revolutionary bill was (unsurprisingly) shelved, change is still clearly afoot. A strong illustration of this point is Bihar, India’s poorest state. Once known as the Jungle Raaj for its lack of governance and rampant corruption, it has now been named the least corrupt state in the country, and even hailed by other countries for its good governance and rule of law. This state has set a strong example for others in the country in using technology to introduce accountability and transparency in governance. The Chief Minister, largely credited for introducing strong political reform in the state, has introduced a system to ensure that the hand-written grievances of citizens are posted on the Internet, and complaints of bribery are loaded onto YouTube to shame corrupt officials.
While other Chief Ministers might not be as bent on fighting the system from which they greatly benefit, a technology revolution in the country continues to build new frameworks to fight corruption. India has a famously outspoken Twitter community, and sites that monitor corruption such as IPaidABribe.com and that publish public and criminal records of politicians continue to flourish. The website that organized the rally around the Jan Lokpal Bill, India Against Corruption, has grown into a veritable force as it continues to promote its cause and engage with the public both online and online.
Additionally, as internet penetration in India remains poor, groups are looking at other using forms of technology to increase transparency in the country. As more Indians now have more mobile phones than toilets, Stanford’s Program on Liberation Technology is examining the uses of mobile phones in social audit. Perhaps the most inspiring of these innovative programs is Aadhaar, a Unique Identification (UID) project. This is one of the most ambitious programs to have ever been undertaken by the Indian government and has been assigned the Herculean task of creating the world’s largest biometric database in order to assign over billion Indians a Unique Identity Number to ensure intended recipients benefit from government subsidies designed for them.
And yet, it is clear that mobilizing the masses online and promoting transparency through technology is not sufficient to battle corruption. Effective laws, speedy trials, an honest police-force, and the political will to fight corruption are essential elements of the struggle; but shaming corrupt officials publicly and instilling a sense of accountability is an important first step.
India has a long way to go before this movement translates into better governance and improved infrastructure. Yet, news that the government is doing its best to hamper this internet revolution by censoring social media and dragging Google and Facebook to court is a sure sign that the movement is making progress.
मन बहुत खराब है : श्रधांजलि कविता कुमार विश्वास के द्वारा
मन बहुत खराब है ,उन सब सपनो कि किरचें आखोँ में चुभ रहीं हैं,जो इन दोनों ने देखें होंगे..उफ्फ..दुःख तब हुआ जब नेट-नियामक योद्धा इस शाहदत पर भी प्रश्न-चिह्न लगाते दिखे!कैसे लडें..?जब हमें, जिन के साथ और जिन के लिए लड़ना है वो ही मिलने पर औटोग्राफ-फोटोग्राफ ले कर पूछते हैं कि "आपका" आन्दोलन कैसा चल रहा है ?जैसे खुद इजरायल में रहतें हों!हज़ार साल कि गुलामी यूँ ही नहीं झेली हम ने ...?खैर सलाम इस जाबांज को और प्रणाम इस सिंदूर को!
"सच के लिए लड़ो मत साथी
भारी पड़ता है..................!
जीवन भर जो लड़ा अकेला,
बाहर-अन्दर का दुःख झेला,
पग-पग पर कर्त्तव्य-समर में,
जो प्राणों की बाज़ी खेला,
ऐसे सनकी कोतवाल को,चोर डपटता है.....!
सच के लिए लड़ो मत साथी,भारी पड़ता है...!
किरणों को दागी बतलाना,
या दर्पण से आँख चुराना,
कीचड में धंस कर औरों को,
गंगा जी की राह बताना,
इस सब से ही अन्धकार का,सूरज चढ़ता है...!
सच के लिए लड़ो मत साथी,भारी पड़ता है.....!"
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES"सच के लिए लड़ो मत साथी
भारी पड़ता है..................!
जीवन भर जो लड़ा अकेला,
बाहर-अन्दर का दुःख झेला,
पग-पग पर कर्त्तव्य-समर में,
जो प्राणों की बाज़ी खेला,
ऐसे सनकी कोतवाल को,चोर डपटता है.....!
सच के लिए लड़ो मत साथी,भारी पड़ता है...!
किरणों को दागी बतलाना,
या दर्पण से आँख चुराना,
कीचड में धंस कर औरों को,
गंगा जी की राह बताना,
इस सब से ही अन्धकार का,सूरज चढ़ता है...!
सच के लिए लड़ो मत साथी,भारी पड़ता है.....!"
रामदेव ने कांग्रेस को डूबता जहाज बताया
नई दिल्ली । पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर चुटकी लेते हुए बाबा रामदेव ने कांग्रेस पार्टी को डूबता जहाज करार दिया। उन्होंने कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ ताल ठोकते हुए संसद के मानसून सत्र के दौरान अगस्त में रामलीला मैदान में एक बार फिर से बड़ी रैली करने की घोषणा की है।
मंगलवार को कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में योग गुरु ने कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों से साफ हो गया है कि कांग्रेस के भ्रष्टाचार से लोग पूरी तरह उब चुके हैं। बाबा रामदेव ने समाजवादी पार्टी के युवा सांसद अखिलेश यादव को असली युवराज करार दिया। उन्होंने अखिलेश के राजतिलक करने की सलाह दी। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए बाबा रामदेव ने राहुल गांधी को अपना गुरु बदलने की नसीहत दी। उनका इशारा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की तरफ था।
बाबा रामदेव ने कहा कि विधानसभा चुनाव के नतीजों से उन्हें नई ताकत मिली है। कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ संसद के मानसून सत्र में दिल्ली के रामलीला मैदान सहित देशभर में आंदोलन करेंगे। बाबा ने कहा संत पर लाठी डंडे चलाने की सजा जनता ने कांग्रेस को दे दिया है। शायद यही वजह है कि उत्तरप्रदेश में सारी ताकत झोंकने के बाद भी कांग्रेस को हाथ मलने के सिवाय कुछ भी हाथ नहीं आया। योग गुरु ने कहा कि कांग्रेस को समय रहते आम लोगों की बुनियादी समस्याओं के प्रति जवाबदेह होने की जरूरत है। भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा देने की बजाय उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम उठाने चाहिए।
समाजसेवी अण्णा हजारे ने भी मानसून सत्र में ही आंदोलन करने का इशारा किया है। अण्णा ने कहा कि देशभर में भ्रमण कर सशक्त लोकपाल के लिए जनता को तैयार करेंगे। उन्होंने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि अब लोग अपने अधिकारों के लिए सजग हो रहे हैं यह लोकतंत्र के लिए अच्छी बात है।
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मंगलवार को कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में योग गुरु ने कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों से साफ हो गया है कि कांग्रेस के भ्रष्टाचार से लोग पूरी तरह उब चुके हैं। बाबा रामदेव ने समाजवादी पार्टी के युवा सांसद अखिलेश यादव को असली युवराज करार दिया। उन्होंने अखिलेश के राजतिलक करने की सलाह दी। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए बाबा रामदेव ने राहुल गांधी को अपना गुरु बदलने की नसीहत दी। उनका इशारा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की तरफ था।
बाबा रामदेव ने कहा कि विधानसभा चुनाव के नतीजों से उन्हें नई ताकत मिली है। कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ संसद के मानसून सत्र में दिल्ली के रामलीला मैदान सहित देशभर में आंदोलन करेंगे। बाबा ने कहा संत पर लाठी डंडे चलाने की सजा जनता ने कांग्रेस को दे दिया है। शायद यही वजह है कि उत्तरप्रदेश में सारी ताकत झोंकने के बाद भी कांग्रेस को हाथ मलने के सिवाय कुछ भी हाथ नहीं आया। योग गुरु ने कहा कि कांग्रेस को समय रहते आम लोगों की बुनियादी समस्याओं के प्रति जवाबदेह होने की जरूरत है। भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा देने की बजाय उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम उठाने चाहिए।
समाजसेवी अण्णा हजारे ने भी मानसून सत्र में ही आंदोलन करने का इशारा किया है। अण्णा ने कहा कि देशभर में भ्रमण कर सशक्त लोकपाल के लिए जनता को तैयार करेंगे। उन्होंने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि अब लोग अपने अधिकारों के लिए सजग हो रहे हैं यह लोकतंत्र के लिए अच्छी बात है।
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पहले भी कई अफसरों को जान देकर चुकानी पड़ी है ईमानदारी की कीमत
ईमानदार अफसरों को ईमानदारी की कीमत पहले भी चुकानी पड़ी है। सत्येंद्र दुबे, एस. मंजूनाथ, यशवंत सोनावाणे ऐसे कई नाम हैं जो ईमानदारी दिखाते-दिखाते शहीद हो गए।
सत्येंद्र दुबे: 27 नवंबर 2003 को सत्येंद्र दुबे को गया सर्किट हाउस में गोली मार दी गई थी। दुबे ने एनएचएआई में भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सीधे पत्र लिखा था इस बारे में विस्तृत जानकारी दी थी।
हालांकि इस पत्र पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए थे लेकिन उन्होंने इसके साथ अपना बायो डाटा भेजा था ताकि मामले को गंभीरता से लिया जाए। घटना के कई साल बाद पटना की एक अदालत ने दुबे की हत्या के मामले में तीन लोगों को सज़ा सुनाई।
एस. मंजूनाथ: आईआईएम-लखनऊ के ग्रेजुएट और इंडियन ऑयल के सेल्स मैनेजर एस. मंजूनाथ की हत्या 19 नवंबर 2005 को हुई थी। मंजूनाथ मिलावटी पेट्रोल बेचने वाले इस पेट्रोल पंप के मालिक मित्तल को कई बार चेतावनी दे चुके थे। हत्या के दिन वह सैंपल लेने गए थे। वह सैंपल ले पाते, इससे पहले ही उन्हें गोली मार दी गई। उनका शव कुछ दिन बाद पड़ोसी सीतापुर जिले से बरामद किया गया।
यशवंत सोनावाणे: बीते साल 25 जनवरी को नासिक जिले के मनमाड के पास एडीएम यशवंत सोनावाणे को तेल में मिलावट की जांच पड़ताल के दौरान कुछ लोगों ने जला दिया था। उनकी मौके पर ही मौत हो गयी और इस दौरान आग का शिकार हुए प्रमुख आरोपी पोपट शिंदे की भी बाद में मौत हो गयी।
उत्तर प्रदेश के साढ़े आठ हजार करोड़ के हेल्थ मिशन घोटाले से जुड़े मामले में भी 9 लोगों की मौत हो गई है। बीते 15 फरवरी को स्वास्थ्य विभाग के एक अकाउंटेंट का शव मिला था। क्लर्क नौ दिन से गायब था। उनके परिजनों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने ली जान। जान गंवाने वाले क्लर्क महेंद्र शर्मा की पत्नी मिथिलेश ने कहा कि उनके पति का बार-बार तबादला किया जाता था। कई माह से तनख्वाह भी रोक दी गई थी। बेटे तुषार ने बताया पिता पर अफसरों का कागजात पर दस्तखत का दबाव था।
इससे पहले इन अफसरों की भी गई जान:
1- डॉ. बच्चीलाल रावत, डीजी मेडिकल एंड हेल्थ
कैसे : घर लौटते समय गोली मारकर हत्या।
वजह: ड्रग माफिया की मदद से इंकार।
2- आरएस शर्मा, एडिशनल डायरेक्टर
कैसे : लखनऊ में उनके चेम्बर के बाहर गोली मारी।
वजह : माफिया को दवा ठेके देने का विरोध किया।
3- डॉ. ओमप्रकाश चिंपा, सीएमओ इटावा
कैसे: आधी रात को घर के बाहर गोली मारकर हत्या।
वजह: ठेके देने में ड्रग माफिया को नाराज किया।
4- डॉ. विनोद आर्य, एनआरएचएम सीएमओ
कैसे : अक्टूबर 2010 को सैर के दौरान हत्या।
वजह: ड्रग माफिया को ठेके देने से इनकार किया था।
5- डॉ. बीपी सिंह, एनआरएचएम सीएमओ
कैसे : अप्रैल 2011 में मॉर्निग वॉक के दौरान हत्या।
वजह : महकमे की कई गड़बड़ियां पकड़ी थीं।
6- डॉ. योगेंद्र सचान, डिप्टी सीएमओ
कैसे : जून 2011 में लखनऊ जेल में फांसी पर लटके मिले। पोस्टमार्टम में शरीर पर गहरे जख्म।
वजह : बीपी सिंह और आर्य की हत्या का आरोप। पूछताछ में बड़े नाम उजागर होने के संकेत थे।
सुनील वर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर
कैसे : जनवरी 2012 में गोली मारकर खुदकुशी।
वजह: बड़े नामों का खुलासा करने का दबाव था। एजेंसियों को पूछताछ में सफलता मिलने वाली थी।
7- डॉ. शैलेष यादव, डिप्टी सीएमओ
कैसे: यादव की कार ट्राले में घुसी। मौके पर मौत।
वजह: सीबीआई के सामने खुलासे करने वाले थे।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESसत्येंद्र दुबे: 27 नवंबर 2003 को सत्येंद्र दुबे को गया सर्किट हाउस में गोली मार दी गई थी। दुबे ने एनएचएआई में भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सीधे पत्र लिखा था इस बारे में विस्तृत जानकारी दी थी।
हालांकि इस पत्र पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए थे लेकिन उन्होंने इसके साथ अपना बायो डाटा भेजा था ताकि मामले को गंभीरता से लिया जाए। घटना के कई साल बाद पटना की एक अदालत ने दुबे की हत्या के मामले में तीन लोगों को सज़ा सुनाई।
एस. मंजूनाथ: आईआईएम-लखनऊ के ग्रेजुएट और इंडियन ऑयल के सेल्स मैनेजर एस. मंजूनाथ की हत्या 19 नवंबर 2005 को हुई थी। मंजूनाथ मिलावटी पेट्रोल बेचने वाले इस पेट्रोल पंप के मालिक मित्तल को कई बार चेतावनी दे चुके थे। हत्या के दिन वह सैंपल लेने गए थे। वह सैंपल ले पाते, इससे पहले ही उन्हें गोली मार दी गई। उनका शव कुछ दिन बाद पड़ोसी सीतापुर जिले से बरामद किया गया।
यशवंत सोनावाणे: बीते साल 25 जनवरी को नासिक जिले के मनमाड के पास एडीएम यशवंत सोनावाणे को तेल में मिलावट की जांच पड़ताल के दौरान कुछ लोगों ने जला दिया था। उनकी मौके पर ही मौत हो गयी और इस दौरान आग का शिकार हुए प्रमुख आरोपी पोपट शिंदे की भी बाद में मौत हो गयी।
उत्तर प्रदेश के साढ़े आठ हजार करोड़ के हेल्थ मिशन घोटाले से जुड़े मामले में भी 9 लोगों की मौत हो गई है। बीते 15 फरवरी को स्वास्थ्य विभाग के एक अकाउंटेंट का शव मिला था। क्लर्क नौ दिन से गायब था। उनके परिजनों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने ली जान। जान गंवाने वाले क्लर्क महेंद्र शर्मा की पत्नी मिथिलेश ने कहा कि उनके पति का बार-बार तबादला किया जाता था। कई माह से तनख्वाह भी रोक दी गई थी। बेटे तुषार ने बताया पिता पर अफसरों का कागजात पर दस्तखत का दबाव था।
इससे पहले इन अफसरों की भी गई जान:
1- डॉ. बच्चीलाल रावत, डीजी मेडिकल एंड हेल्थ
कैसे : घर लौटते समय गोली मारकर हत्या।
वजह: ड्रग माफिया की मदद से इंकार।
2- आरएस शर्मा, एडिशनल डायरेक्टर
कैसे : लखनऊ में उनके चेम्बर के बाहर गोली मारी।
वजह : माफिया को दवा ठेके देने का विरोध किया।
3- डॉ. ओमप्रकाश चिंपा, सीएमओ इटावा
कैसे: आधी रात को घर के बाहर गोली मारकर हत्या।
वजह: ठेके देने में ड्रग माफिया को नाराज किया।
4- डॉ. विनोद आर्य, एनआरएचएम सीएमओ
कैसे : अक्टूबर 2010 को सैर के दौरान हत्या।
वजह: ड्रग माफिया को ठेके देने से इनकार किया था।
5- डॉ. बीपी सिंह, एनआरएचएम सीएमओ
कैसे : अप्रैल 2011 में मॉर्निग वॉक के दौरान हत्या।
वजह : महकमे की कई गड़बड़ियां पकड़ी थीं।
6- डॉ. योगेंद्र सचान, डिप्टी सीएमओ
कैसे : जून 2011 में लखनऊ जेल में फांसी पर लटके मिले। पोस्टमार्टम में शरीर पर गहरे जख्म।
वजह : बीपी सिंह और आर्य की हत्या का आरोप। पूछताछ में बड़े नाम उजागर होने के संकेत थे।
सुनील वर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर
कैसे : जनवरी 2012 में गोली मारकर खुदकुशी।
वजह: बड़े नामों का खुलासा करने का दबाव था। एजेंसियों को पूछताछ में सफलता मिलने वाली थी।
7- डॉ. शैलेष यादव, डिप्टी सीएमओ
कैसे: यादव की कार ट्राले में घुसी। मौके पर मौत।
वजह: सीबीआई के सामने खुलासे करने वाले थे।
यूपी चुनाव में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों का प्रभाव नहीं रहा: हेगड़े
टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य न्यायमूर्ति एन. संतोष हेगड़े ने बुधवार को स्वीकार किया कि उत्तर प्रदेश चुनावों में भ्रष्टाचार और सुशासन जैसे मुद्दों का प्रभाव नहीं रहा, हालांकि गोवा में निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार विरोधी धारणा का असर दिखा।
यह पूछे जाने पर कि क्या उत्तर प्रदेश में टीम अन्ना के अभियान का कोई असर रहा, हेगड़े ने कहा कि ऐसा प्रभाव होने का कोई सबूत नहीं है। अगर भ्रष्टाचार कोई मुद्दा होता तो, मैं नहीं समझता कि सपा की ऐसी जीत होती।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हेगड़े ने कहा कि ऐसा नहीं लगता कि उत्तर प्रदेश में सुशासन कोई मुद्दा था। उन्होंने संकेत दिया कि भ्रष्टाचार और सुशासन को छोड़कर अन्य मुद्दों के आधार पर सपा को चुनावों में जीत मिली। लोगों ने सपा को दस साल तक देखा है। सपा ने कभी भी अच्छी सरकार नहीं दी।
उन्होंने मीडिया की उन रिपोर्टों का भी जिक्र किया जिनमें सपा के सत्ता में आने के बाद कानून व्यवस्था की समस्या की बात की गयी है। लेकिन उन्होंने जोर देते हुए कहा कि गोवा में भ्रष्टाचार के खिलाफ जन भावना का असर रहा जहां भाजपा को चुनावों में जीत मिली।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESयह पूछे जाने पर कि क्या उत्तर प्रदेश में टीम अन्ना के अभियान का कोई असर रहा, हेगड़े ने कहा कि ऐसा प्रभाव होने का कोई सबूत नहीं है। अगर भ्रष्टाचार कोई मुद्दा होता तो, मैं नहीं समझता कि सपा की ऐसी जीत होती।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हेगड़े ने कहा कि ऐसा नहीं लगता कि उत्तर प्रदेश में सुशासन कोई मुद्दा था। उन्होंने संकेत दिया कि भ्रष्टाचार और सुशासन को छोड़कर अन्य मुद्दों के आधार पर सपा को चुनावों में जीत मिली। लोगों ने सपा को दस साल तक देखा है। सपा ने कभी भी अच्छी सरकार नहीं दी।
उन्होंने मीडिया की उन रिपोर्टों का भी जिक्र किया जिनमें सपा के सत्ता में आने के बाद कानून व्यवस्था की समस्या की बात की गयी है। लेकिन उन्होंने जोर देते हुए कहा कि गोवा में भ्रष्टाचार के खिलाफ जन भावना का असर रहा जहां भाजपा को चुनावों में जीत मिली।
आईपीएस ऑफिसर नरेंद्र का बलिदान या बलि ?
मध्यप्रदेश के मुरैना में अवैध खनन रोकने गए एक नौजवान आईपीएस अधिकारी की गुरुवार को हत्या कर दी गई। इलाके के एसडीओपी नरेंद्र कुमार को अवैध खनन के बारे में जानकारी मिली थी। वो अवैध खनन का काम रोकने के लिए गए थे जहां एक ट्रैक्टर चालक ने उनके ऊपर ट्रैक्टर चढ़ा दिया। इससे नरेंद्र कुमार घायल हो गए। उन्हें उपचार के लिए ग्वालियर ले जाया जा रहा था लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।
2009 बैच के आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार मुरैना जिले के बामौर कस्बे में एसडीओपी पद पर पिछले महीने ही आए थे। नरेंद्र कुमार ने यहां आते ही पत्थर के अवैध उत्खनन के खिलफ मुहिम छेड़ दी थी।
गुरुवार को भी उन्होंने बामौर से चंद किलोमीटर दूर बानमोर गांव में एक ट्रैक्टर को रोका था। वो अवैध उत्खनन किए गए पत्थर से भरी ट्रैक्टर ट्राली को अपने आगे लेकर थाने आ रहे के कि बामौर के पास ट्रैक्टर ड्राइवर ने भागने की कोशिश की। उसने उनकी जिप्सी को टक्कर मारते हुए ट्रैक्टर एक पगडंडी पर दौड़ा दिया।
नरेंद्र कुमार के साथ गनर और ड्राइवर भी मौजूद था लेकिन वो खुद ही रिवॉल्वर निकालकर ट्रैक्टर के आगे आ गए और ड्राईवर से रूकने के लिए कहा। यह देख ड्राईवर चिल्लाने लगा कि मर जाउंगा या मार दूंगा लेकिन ट्रैक्टर नहीं रोकूंगा। जब उन्होंने ट्रैक्टर पर चढ़कर उसे रोकने की कोशिश की तो ड्राइवर ने उन पर पहिया चढ़ा दिया जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गए। नरेंद्र कुमार को इलाज के लिए ग्वालियर ले जाया जा रहा था लेकिन उनकी रास्ते में ही मौत हो गई।
मुरैना जिले के इस इलाके में यह किसी अधिकारी पर पहला हमला नहीं है। इससे पहले साल 2007 में तत्कालीन जिलाधिकारी आकाश त्रिपाठी और पुलिस अधीक्षक हरि सिंह यादव पर भी अवैध खनन माफिया ने हमला किया था। उस वक्त हुई गोलीबारी में ये अधिकारी बाल-बाल बच गए थे।
अवैध खनन माफिया का शिकार बने नरेंद्र कुमार की पत्नी मधुरानी भी आईएएस अधिकारी हैं। वो ग्वालियर में तैनात हैं। नरेंद्र की पत्नी मधुरानी गर्भवती हैं।
नरेंद्र कुमार की दुखद मौत पर मध्य प्रदेश में राजनीति भी शुरु हो गई है। इस घटना पर प्रतक्रिया देते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह ने कहा है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के संरक्षण में माफिया अपनी समानांतर सरकार चला रहे हैं। राज्य में जो भी उनके हितों के रास्ते में आ रहा है वो बेखौफ होकर उसे रास्ते से हटा रहे हैं। आज की दुखद घटना इस बात का प्रमाण है कि सरकार माफिया के सामने कितनी कमजोर हो गई है।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES2009 बैच के आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार मुरैना जिले के बामौर कस्बे में एसडीओपी पद पर पिछले महीने ही आए थे। नरेंद्र कुमार ने यहां आते ही पत्थर के अवैध उत्खनन के खिलफ मुहिम छेड़ दी थी।
गुरुवार को भी उन्होंने बामौर से चंद किलोमीटर दूर बानमोर गांव में एक ट्रैक्टर को रोका था। वो अवैध उत्खनन किए गए पत्थर से भरी ट्रैक्टर ट्राली को अपने आगे लेकर थाने आ रहे के कि बामौर के पास ट्रैक्टर ड्राइवर ने भागने की कोशिश की। उसने उनकी जिप्सी को टक्कर मारते हुए ट्रैक्टर एक पगडंडी पर दौड़ा दिया।
नरेंद्र कुमार के साथ गनर और ड्राइवर भी मौजूद था लेकिन वो खुद ही रिवॉल्वर निकालकर ट्रैक्टर के आगे आ गए और ड्राईवर से रूकने के लिए कहा। यह देख ड्राईवर चिल्लाने लगा कि मर जाउंगा या मार दूंगा लेकिन ट्रैक्टर नहीं रोकूंगा। जब उन्होंने ट्रैक्टर पर चढ़कर उसे रोकने की कोशिश की तो ड्राइवर ने उन पर पहिया चढ़ा दिया जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गए। नरेंद्र कुमार को इलाज के लिए ग्वालियर ले जाया जा रहा था लेकिन उनकी रास्ते में ही मौत हो गई।
मुरैना जिले के इस इलाके में यह किसी अधिकारी पर पहला हमला नहीं है। इससे पहले साल 2007 में तत्कालीन जिलाधिकारी आकाश त्रिपाठी और पुलिस अधीक्षक हरि सिंह यादव पर भी अवैध खनन माफिया ने हमला किया था। उस वक्त हुई गोलीबारी में ये अधिकारी बाल-बाल बच गए थे।
अवैध खनन माफिया का शिकार बने नरेंद्र कुमार की पत्नी मधुरानी भी आईएएस अधिकारी हैं। वो ग्वालियर में तैनात हैं। नरेंद्र की पत्नी मधुरानी गर्भवती हैं।
नरेंद्र कुमार की दुखद मौत पर मध्य प्रदेश में राजनीति भी शुरु हो गई है। इस घटना पर प्रतक्रिया देते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह ने कहा है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के संरक्षण में माफिया अपनी समानांतर सरकार चला रहे हैं। राज्य में जो भी उनके हितों के रास्ते में आ रहा है वो बेखौफ होकर उसे रास्ते से हटा रहे हैं। आज की दुखद घटना इस बात का प्रमाण है कि सरकार माफिया के सामने कितनी कमजोर हो गई है।
आदर्श घोटाले में सीबीआई का सनसनीखेज खुलासा!
आदर्श सोसायटी घोटाले की जांच से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व विधायक कन्हैयालाल वी. गिडवाणी, उनके बेटे और कर परामर्शदाता एवं जांच एजेंसी के वकील सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया। एक अधिकारी ने बताया कि सभी आरोपियों को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया। न्यायाधीश ने उन्हें 16 मार्च तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया। गिडवाणी पर 1.250 करोड़ रुपये वित्तीय परामर्शदाता जेके जगियासी को देकर आदर्श हाउसिंग सोसायटी मामले की जांच कर रहे अधिकारियों को प्रभावित करने का आरोप है।
एक अधिकारी ने बताया कि गिडवाणी सोसायटी के मुख्य प्रवर्तकों में से एक हैं। आदर्श हाउसिंग सोसायटी के तीन फ्लैट गिडवाणी और उनके परिवार के स्वामित्व में हैं। इस सोसायटी की 31 मंजिली विवादास्पद इमारत दक्षिणी मुंबई के कोलाबा इलाके में है। सीबीआई के अनुसार जगियासी ने 20.50 लाख रुपये सीबीआई के वकील मंदार गोस्वामी को रिश्वत के तौर पर दिए थे। गोस्वामी पहले राज्य कानून विभाग में विशेष अधिवक्ता थे।
रिवश्त देने के मामले में कथित संलिप्तता के आरोप में पूर्व विधायक गिडवाणी के बेटे कैलाश के. गिडवाणी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। पिछले वर्ष सितंबर में कांग्रेस नेता गिडवाणी को आदर्श सोसायटी घोटाले की जांच कर रहे दो सदस्यीय आयोग का सामना भी करना पड़ा था। बयान लिए जाने के दौरान गिडवाणी ने कहा था कि आदर्श सोसायटी की इमारत में अतिरिक्त मंजिल बनवाने की पूरी जिम्मेदारी उन्होंने अपने ऊपर ली थी। यह सब उन्होंने अपने राजनीतिक संपर्क की बदौलत और जुगाड़ से किया था। उल्लेखनीय है कि इस घोटाले के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESएक अधिकारी ने बताया कि गिडवाणी सोसायटी के मुख्य प्रवर्तकों में से एक हैं। आदर्श हाउसिंग सोसायटी के तीन फ्लैट गिडवाणी और उनके परिवार के स्वामित्व में हैं। इस सोसायटी की 31 मंजिली विवादास्पद इमारत दक्षिणी मुंबई के कोलाबा इलाके में है। सीबीआई के अनुसार जगियासी ने 20.50 लाख रुपये सीबीआई के वकील मंदार गोस्वामी को रिश्वत के तौर पर दिए थे। गोस्वामी पहले राज्य कानून विभाग में विशेष अधिवक्ता थे।
रिवश्त देने के मामले में कथित संलिप्तता के आरोप में पूर्व विधायक गिडवाणी के बेटे कैलाश के. गिडवाणी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। पिछले वर्ष सितंबर में कांग्रेस नेता गिडवाणी को आदर्श सोसायटी घोटाले की जांच कर रहे दो सदस्यीय आयोग का सामना भी करना पड़ा था। बयान लिए जाने के दौरान गिडवाणी ने कहा था कि आदर्श सोसायटी की इमारत में अतिरिक्त मंजिल बनवाने की पूरी जिम्मेदारी उन्होंने अपने ऊपर ली थी। यह सब उन्होंने अपने राजनीतिक संपर्क की बदौलत और जुगाड़ से किया था। उल्लेखनीय है कि इस घोटाले के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
लोकपाल का मुद्दा मंहगा पड़ा कांग्रेस को: किरण बेदी
विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर किरण बेदी ने कहा है कि अच्छे लोकपाल बिल का विरोध करना कांग्रेस को चुनावों में मंहगा पड़ा है.
अपने ट्वीट में किरण बेदी ने ये भी कहा कि अगर राष्टीय दलों ने भ्रष्टाचार के मुद्दे और मजबूत लोकायुक्त बनाने पर ध्यान दिया होता तो लोग उनका साथ देते. लेकिन किसी पार्टी ने ऐसा नहीं किया
अपने ट्वीट में किरण बेदी ने ये भी कहा कि अगर राष्टीय दलों ने भ्रष्टाचार के मुद्दे और मजबूत लोकायुक्त बनाने पर ध्यान दिया होता तो लोग उनका साथ देते. लेकिन किसी पार्टी ने ऐसा नहीं किया
अपने गढ़ में कांग्रेस और बीजेपी की बुरी गत
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस को उन सीटों पर करारी शिकस्त मिली है, जहां उनका दबदबा था और जो उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ी थी। कांग्रेस को जहां रायबरेली, अमेठी और सुल्तानपुर में हार का मुंह देखना पड़ा है, वहीं बीजेपी को अयोध्या में हार मिली है। इन जगहों पर इन पार्टियों की हार के कई मायने हैं, क्योंकि वहां जीत के लिए इन्होंने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था।
गांधी परिवार की मेहनत नहीं लाई रंग: रायबरेली, अमेठी और सुल्तानपुर में सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी से लेकर पूरा गांधी परिवार जी-जान से चुनाव प्रचार में जुटा हुआ था। तीनों इलाके जोड़ दिये जाएं तो वहां कुल 15 सीटें थीं, जिसमें 2 को छोड़कर बाकी सभी पर पार्टी को हार मिली। रायबरेली की पांच सीटों में एक भी सीट कांग्रेस के खाते में नहीं आई। कुछ सीटों पर तो पार्टी तीसरे और चौथे नंबर पर रही। अमेठी में कांग्रेस को थोड़ी राहत जरूर मिली। उसे इलाके की पांच में से दो सीटें मिली।
पहले के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत बेहतर नहीं रहा था लेकिन, इस बार कांग्रेस को उम्मीद थी कि पिछले चुनावों का मिथ तोड़ते हुए वह इस बार अच्छा प्रदर्शन करेगी। एक दर्जन से अधिक सीटें कांग्रेस के रडार पर थी लेकिन फिर भी कांग्रेस की हार ने पार्टी को करारा झटका दिया है। कांग्रेस के लिए यह हार और ज्यादा इसलिए मायने रखती है, क्योंकि राहुल गांधी अमेठी से और सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद हैं। इसके अलावा संजय सिंह भी सुल्तानपुर से पार्टी सांसद है।
अयोध्या में हारी बीजेपी: कभी राम मंदिर के मुद्दे पर राजनीति की सीढ़ी पर छलांग मारने वाली बीजेपी अयोध्या में ही हार गई। अयोध्या सीट से बीजेपी को 1992 से अब तक हार का मुंह नहीं देखना पड़ा था। पार्टी ने इस सीट को प्रतिष्ठा से जोड़ रखा था। लेकिन, हार से बीजेपी को निराशा हाथ लगी है। हालांकि, मथुरा और काशी में मिली जीत ने इस दर्द पर मरहम लगाने का थोड़ा काम किया है।
अभी तक लखनऊ को बीजेपी का गढ़ माना जाता था। हो भी क्यों न, यह आखिर उसके सबसे कद्दावर नेता अटल बिहार वाजपेयी का संसदीय क्षेत्र हुआ करता था। इस बार चुनाव में अटल का जादू नहीं था और एसपी की साइकिल इस कदर दौड़ी की पूर्वी लखनऊ विधानसभा को छोड़कर कमल कहीं नहीं खिल सका। नौ में से सात सीटों पर कब्जा करके सपा ने लखनऊ में पहली बार यह साबित कर दिया कि अब उसका गढ़ राजधानी ही होगी। वर्तमान में लखनऊ में उसका कोई अपना विधायक नहीं था। मेयर भी बीजेपी के तो सांसद भी बीजेपी के । 110 में से 50 पार्षद भी बीजेपी के हैं। समाजवादी पार्टी की अप्रत्याशित जीत ने बीजेपी के सांसद लालजी टंडन को भी झटका दिया है, क्योंकि उत्तर लखनऊ से उनके बेटे आशुतोष टंडन गोपाल मैदान में थे। बेटे के टिकट के लिए टंडन ने पूरी ताकत लगा दी थी, लेकिन गोपाल को तीसरे पायदान पर जाना पड़ा।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESगांधी परिवार की मेहनत नहीं लाई रंग: रायबरेली, अमेठी और सुल्तानपुर में सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी से लेकर पूरा गांधी परिवार जी-जान से चुनाव प्रचार में जुटा हुआ था। तीनों इलाके जोड़ दिये जाएं तो वहां कुल 15 सीटें थीं, जिसमें 2 को छोड़कर बाकी सभी पर पार्टी को हार मिली। रायबरेली की पांच सीटों में एक भी सीट कांग्रेस के खाते में नहीं आई। कुछ सीटों पर तो पार्टी तीसरे और चौथे नंबर पर रही। अमेठी में कांग्रेस को थोड़ी राहत जरूर मिली। उसे इलाके की पांच में से दो सीटें मिली।
पहले के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत बेहतर नहीं रहा था लेकिन, इस बार कांग्रेस को उम्मीद थी कि पिछले चुनावों का मिथ तोड़ते हुए वह इस बार अच्छा प्रदर्शन करेगी। एक दर्जन से अधिक सीटें कांग्रेस के रडार पर थी लेकिन फिर भी कांग्रेस की हार ने पार्टी को करारा झटका दिया है। कांग्रेस के लिए यह हार और ज्यादा इसलिए मायने रखती है, क्योंकि राहुल गांधी अमेठी से और सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद हैं। इसके अलावा संजय सिंह भी सुल्तानपुर से पार्टी सांसद है।
अयोध्या में हारी बीजेपी: कभी राम मंदिर के मुद्दे पर राजनीति की सीढ़ी पर छलांग मारने वाली बीजेपी अयोध्या में ही हार गई। अयोध्या सीट से बीजेपी को 1992 से अब तक हार का मुंह नहीं देखना पड़ा था। पार्टी ने इस सीट को प्रतिष्ठा से जोड़ रखा था। लेकिन, हार से बीजेपी को निराशा हाथ लगी है। हालांकि, मथुरा और काशी में मिली जीत ने इस दर्द पर मरहम लगाने का थोड़ा काम किया है।
अभी तक लखनऊ को बीजेपी का गढ़ माना जाता था। हो भी क्यों न, यह आखिर उसके सबसे कद्दावर नेता अटल बिहार वाजपेयी का संसदीय क्षेत्र हुआ करता था। इस बार चुनाव में अटल का जादू नहीं था और एसपी की साइकिल इस कदर दौड़ी की पूर्वी लखनऊ विधानसभा को छोड़कर कमल कहीं नहीं खिल सका। नौ में से सात सीटों पर कब्जा करके सपा ने लखनऊ में पहली बार यह साबित कर दिया कि अब उसका गढ़ राजधानी ही होगी। वर्तमान में लखनऊ में उसका कोई अपना विधायक नहीं था। मेयर भी बीजेपी के तो सांसद भी बीजेपी के । 110 में से 50 पार्षद भी बीजेपी के हैं। समाजवादी पार्टी की अप्रत्याशित जीत ने बीजेपी के सांसद लालजी टंडन को भी झटका दिया है, क्योंकि उत्तर लखनऊ से उनके बेटे आशुतोष टंडन गोपाल मैदान में थे। बेटे के टिकट के लिए टंडन ने पूरी ताकत लगा दी थी, लेकिन गोपाल को तीसरे पायदान पर जाना पड़ा।
कांग्रेस ने चुकाई विरोध की कीमत:अन्ना
अन्ना हजारे ने चुनावों के नतीजों पर कहा कि अगर कांग्रेस मजबूत लोकपाल विधेयक लाती तो विधानसभा चुनावों में उसकी स्थिति बेहतर होती.हजारे ने चुनाव परिणामों पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों ने चुनाव परिणामों पर असर डाला.
अगर कांग्रेस मजबूत लोकपाल विधेयक लायी होती तो चुनाव में मतदाता उसका समर्थन करते. उन्होंने कहा, कांग्रेस निकंमा लोकपाल विधेयक लाना चाहती थी और उसे इसका परिणाम भुगताना पड़ा.
वहीं टीम अन्ना सदस्य किरण बेदी ने कांग्रेसी नेताओं पर निशाना साधते हुए दावा किया कि एक प्रभावशाली लोकपाल का विरोध करने की कीमत कांग्रेस को चुकानी पड़ी. अपनी ट्वीट में बेदी ने कहा कि कांग्रेस ने भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को बदनाम करने के लिए सत्ता का प्रयोग किया इससे उसके जमीनी कार्यकर्ताओं को रक्षात्मक होना पड़ा. उन्होंने कहा है, ‘प्रभावशाली लोकपाल विधेयक का विरोध करने के कारण कांग्रेस को यह नुकसान उठाना पड़ा और यह जारी है.’
कांग्रेस नेतृत्व को निशाना बनाते हुए उन्होंने कहा, ‘लोगों को जरुरत होती है कि उनका राजनैतिक नेतृत्व उनके साथ संवाद करे न कि लिखित बयान पढ़े.मतदाताओं ने उन्हें सबक सिखा दिया.’
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESअगर कांग्रेस मजबूत लोकपाल विधेयक लायी होती तो चुनाव में मतदाता उसका समर्थन करते. उन्होंने कहा, कांग्रेस निकंमा लोकपाल विधेयक लाना चाहती थी और उसे इसका परिणाम भुगताना पड़ा.
वहीं टीम अन्ना सदस्य किरण बेदी ने कांग्रेसी नेताओं पर निशाना साधते हुए दावा किया कि एक प्रभावशाली लोकपाल का विरोध करने की कीमत कांग्रेस को चुकानी पड़ी. अपनी ट्वीट में बेदी ने कहा कि कांग्रेस ने भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को बदनाम करने के लिए सत्ता का प्रयोग किया इससे उसके जमीनी कार्यकर्ताओं को रक्षात्मक होना पड़ा. उन्होंने कहा है, ‘प्रभावशाली लोकपाल विधेयक का विरोध करने के कारण कांग्रेस को यह नुकसान उठाना पड़ा और यह जारी है.’
कांग्रेस नेतृत्व को निशाना बनाते हुए उन्होंने कहा, ‘लोगों को जरुरत होती है कि उनका राजनैतिक नेतृत्व उनके साथ संवाद करे न कि लिखित बयान पढ़े.मतदाताओं ने उन्हें सबक सिखा दिया.’
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