संसद द्वारा लोकपाल विधेयक पारित किए जाने के एक दिन बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि अन्ना हजारे ने जिस तरह का आन्दोलन किया, उस तरह के आन्दोलनों ने लोकतान्त्रिक ढाँचों के नए आयाम खोले हैं जिनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।
राष्ट्रपति ने कहा कि महज 10 साल पहले कोई सामाजिक कार्यकर्ताओं, गैर-सरकारी संगठनों के बारे में सोचता तक नहीं था़। अब वे सिर्फ़ यही माँग नहीं करते कि लोगों के हित की रक्षा के लिए खास तरह का कानून लागू कीजिए बल्कि वे इस बात पर भी ज़ोर देते हैं कि आपको किस तरह का मॉडल या किस तरह का ढाँचा अपनाना है।
लोकपाल विधेयक पारित होने की ओर इशारा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमें राजी होना पड़ता है। हम आज इसी तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। गौरतलब है कि लोकपाल विधेयक के लिए अन्ना हजारे पिछले दो साल से भी ज़्यादा समय से अपना आन्दोलन चला रहे थे।
अन्ना हजारे के आन्दोलन के बाबत अपना अनुभव साझा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दो साल पहले जब यह आन्दोलन अपने चरम पर था तो प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने अन्ना से बातचीत करने के लिए गठित मन्त्री-समूह की अध्यक्षता करने को कहा था। प्रणब ने बताया कि वियतनाम दौरे के दौरान भी उनसे पूछा गया कि वह आन्दोलन से किस तरह निपटेंगे।