SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
INDIA AGAINST CORRUPTION INDIA AGAINST CORRUPTION INDIA AGAINST CORRUPTION INDIA AGAINST CORRUPTION
भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक
अन्ना के स्वास्थ्य में सुधार: डाक्टर
गुड़गांव : डाक्टरों ने मंगलवार को कहा कि अस्पताल में भर्ती सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है और उन्हें सघन चिकित्सा इकाई से हटा दिया गया है।
अन्ना मेंदाता मेडासिटी अस्पताल में 28 जनवरी उपचार करा रहे हैं। उन्हें अगले दो-तीन दिनों में अस्पताल से छुट्टी दिये जाने की उम्मीद है। उन्हें उच्चरक्त चाप और सांस लेने में कठिनाई की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
डा. नरेश त्रेहन और डा. आरआर कास्लीवाल के नेतृत्व में चिकित्सकों का दल उनका उपचार कर रहा है।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. एके दुबे ने कहा कि उन्हें आईसीयू से एक निजी कक्ष में स्थानांतरित किया गया है। उनके रिपोर्ट सामान्य आई है। हम उनकी कुछ समय तक निगरानी करेंगे और उन्हें अगले दो से तीन दिन में छुट्टी दी जा सकती है।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESअन्ना मेंदाता मेडासिटी अस्पताल में 28 जनवरी उपचार करा रहे हैं। उन्हें अगले दो-तीन दिनों में अस्पताल से छुट्टी दिये जाने की उम्मीद है। उन्हें उच्चरक्त चाप और सांस लेने में कठिनाई की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
डा. नरेश त्रेहन और डा. आरआर कास्लीवाल के नेतृत्व में चिकित्सकों का दल उनका उपचार कर रहा है।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. एके दुबे ने कहा कि उन्हें आईसीयू से एक निजी कक्ष में स्थानांतरित किया गया है। उनके रिपोर्ट सामान्य आई है। हम उनकी कुछ समय तक निगरानी करेंगे और उन्हें अगले दो से तीन दिन में छुट्टी दी जा सकती है।
अन्ना के स्वास्थ्य में सुधार: डाक्टर
गुड़गांव : डाक्टरों ने मंगलवार को कहा कि अस्पताल में भर्ती सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है और उन्हें सघन चिकित्सा इकाई से हटा दिया गया है।
अन्ना मेंदाता मेडासिटी अस्पताल में 28 जनवरी उपचार करा रहे हैं। उन्हें अगले दो-तीन दिनों में अस्पताल से छुट्टी दिये जाने की उम्मीद है। उन्हें उच्चरक्त चाप और सांस लेने में कठिनाई की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
डा. नरेश त्रेहन और डा. आरआर कास्लीवाल के नेतृत्व में चिकित्सकों का दल उनका उपचार कर रहा है।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. एके दुबे ने कहा कि उन्हें आईसीयू से एक निजी कक्ष में स्थानांतरित किया गया है। उनके रिपोर्ट सामान्य आई है। हम उनकी कुछ समय तक निगरानी करेंगे और उन्हें अगले दो से तीन दिन में छुट्टी दी जा सकती है।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESअन्ना मेंदाता मेडासिटी अस्पताल में 28 जनवरी उपचार करा रहे हैं। उन्हें अगले दो-तीन दिनों में अस्पताल से छुट्टी दिये जाने की उम्मीद है। उन्हें उच्चरक्त चाप और सांस लेने में कठिनाई की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
डा. नरेश त्रेहन और डा. आरआर कास्लीवाल के नेतृत्व में चिकित्सकों का दल उनका उपचार कर रहा है।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. एके दुबे ने कहा कि उन्हें आईसीयू से एक निजी कक्ष में स्थानांतरित किया गया है। उनके रिपोर्ट सामान्य आई है। हम उनकी कुछ समय तक निगरानी करेंगे और उन्हें अगले दो से तीन दिन में छुट्टी दी जा सकती है।
टीम अन्ना ने किया कोर्ट के आदेश का स्वागत
टीम अन्ना ने उच्चतम न्यायालय के इस आदेश का मंगलवार को स्वागत किया जिसमें कहा गया है कि किसी लोक सेवक के अभियोजन की मंजूरी एक नियत समय के भीतर अवश्य ही देनी चाहिए।
केजरीवाल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने जन लोकपाल आंदोलन की प्रमुख मांगों में से एक का समर्थन किया है। यह है भ्रष्टाचार मामलों का समयबद्ध निपटारा।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने टूजी स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी के आग्रह पर प्रधानमंत्री को निर्देश जारी करने से इनकार करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त करते हुए कहा कि अगर चार माह के अंदर मंजूरी नहीं दी गई तो यह समक्ष लिया जाएगा कि मंजूरी दे दी गई।
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम के तहत कोई शिकायत दायर करना किसी नागरिक का संवैधानिक अधिकार है और सक्षम अधिकारी को किसी लोक सेवक के खिलाफ अभियोजन पर एक नियत समय के अंदर फैसला करना चाहिए।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
केजरीवाल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने जन लोकपाल आंदोलन की प्रमुख मांगों में से एक का समर्थन किया है। यह है भ्रष्टाचार मामलों का समयबद्ध निपटारा।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने टूजी स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी के आग्रह पर प्रधानमंत्री को निर्देश जारी करने से इनकार करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त करते हुए कहा कि अगर चार माह के अंदर मंजूरी नहीं दी गई तो यह समक्ष लिया जाएगा कि मंजूरी दे दी गई।
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम के तहत कोई शिकायत दायर करना किसी नागरिक का संवैधानिक अधिकार है और सक्षम अधिकारी को किसी लोक सेवक के खिलाफ अभियोजन पर एक नियत समय के अंदर फैसला करना चाहिए।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
2जी मामले में पीएमओ को झटका, स्वामी की अर्जी मंजूर
2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका मंजूर करते हुए किसी भी मंत्री के खिलाफ केस चलान के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा मुकदमा चलाए जाने की मंजूरी देने के लिए समयसीमा तय कर दी.
कोर्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय को भ्रष्टाचार से जुड़े किसी भी मामले में किसी मंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए 3 महीने के भीतर ही केस चलाने की मंजूरी देनी होगी. और अगर पीएमओ को अटर्नी जनरल से सलाह करनी हो तो इसके लिए 1 महीने का वक्त और ले सकती है.
कोर्ट के इस फैसले के बाद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा, 'कोर्ट ने इस फैसले से यह विश्वास पैदा किया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जो युद्ध चल रहा है उसमें देश को जीत मिलेगी. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने कहा है कि मंजूरी मिलने में किसी तरह की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
कोर्ट के फैसले के बारे में बताते हुए स्वामी ने कहा, 'कोर्ट ने कहा है कि भ्रष्टाचार के केसों में समयसीमा तय होनी चाहिए और संसद को संशोधन लाना चाहिए कि यदि 4 महीने में मंजूरी ना मिले तो उसे स्वत: मंजूरी मान लिया जाएगा.
बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कोर्ट के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी इस फैसले का स्वागत करती है. उन्होंने कहा कि ये फैसला प्रधानमंत्री के लिए झटका है.
दरअसल मामले की शुरुआत होती है उस वक्त से जब जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने ए राजा के खिलाफ मुकदमा चलाये जाने की इजाजत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. स्वामी ने कोर्ट में तब तर्क दिया था कि चूंकि ए राजा एक मंत्री थे इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री की इजाजत जरूरी थी. लेकिन स्वामी के मुताबिक कार्रवाई की इजाजत के लिए उन्हें 15 महीने तक इंतजार करना पड़ा और उसके बाद भी जब प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब नहीं मिला तो उन्हें अदालत में याचिका दायर करनी पड़ी.
अदालत ने न सिर्फ स्वामी की इस याचिका को गंभीरता से लिया बल्कि देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद प्रधानमंत्री कार्यालय से स्वामी और पीएमओ के बीच पत्राचार का लेखाजोखा मांगा. इसलिए आज के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर न सिर्फ पूर्व संचार मंत्री ए राजा की नजर है औऱ बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय की पैनी नजर है.
CWG घोटाला : शीला की चिट्ठी में चिदंबरम पर आरोप
नई दिल्ली: कॉमवेल्थ खेलों में हुए घोटाले को लेकर कोर्ट में याचिका दायर करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता विवेक गर्ग ने जो दो खत दिल्ली की अदालत में पेश किए हैं वह शीला दीक्षित ने प्रधानमंत्री को लिखे थे।
इनमें से एक चिट्ठी एनडीटीवी के हाथ लगी है जो कि शीला दीक्षित ने शुंगल कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद लिखी थी। इसमें दिल्ली की मुख्यमंत्री ने शंगुल कमेटी की रिपोर्ट की आलोचना के साथ-साथ तब के केन्द्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर अंगुली उठाई है। उन्होंने लिखा है कि चिदंबरम की ओर से तालमेल की कमी के चलते खेलों की तैयारियों में देरी हुई जिसके चलते बजट बढ़ गया।
इनमें से एक चिट्ठी एनडीटीवी के हाथ लगी है जो कि शीला दीक्षित ने शुंगल कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद लिखी थी। इसमें दिल्ली की मुख्यमंत्री ने शंगुल कमेटी की रिपोर्ट की आलोचना के साथ-साथ तब के केन्द्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर अंगुली उठाई है। उन्होंने लिखा है कि चिदंबरम की ओर से तालमेल की कमी के चलते खेलों की तैयारियों में देरी हुई जिसके चलते बजट बढ़ गया।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
Right to Reject
if right to reject is included at the election stage itself then the whole party system will collapse. sooner it is implemented the better for democracy.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
डॉक्टर ने कहा, अन्ना हजारे की सेहर स्थिर
लगातार गिरते स्वास्थ्य के चलते गुड़गाव के मेदाता मेडिसिटी अस्पताल में दाखिल हुए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की तबियत में कुछ सुधार हुआ है. मेदांता मेडिसिटी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डाक्टर एके दुबे ने कहा कि हमने उनकी कई चिकित्सा जांच की हैं और रिपोर्ट में कोई आश्चर्यजनक बात सामने नहीं आई है.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
किसी घोटाले में इतनी सारी मौतें देश के इतिहास में पहली बार हुईं,
किसी घोटाले में इतनी सारी मौतें देश के इतिहास में पहली बार हुईं, सीबीआई किसी आरोपी को कोर्ट में पेश करने की घोषणा करती है तो या तो उसकी हत्या हो जाती है या वह आत्महत्या कर लेता है...
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESWho are you to question us, SP asks Team Anna
The Samajwadi Party (SP) on Wednesday said that it was answerable only to people and not to social activist Anna Hazare or his “self-proclaimed organisation of five members.”
Stung by a letter written last Sunday by Team Anna to SP president Mulayam Singh questioning the party's stand on the Lokpal Bill as well as its plans for post-poll tie-up in Uttar Pradesh, party general secretary and spokesman Ram Gopal Yadav has responded in strong words.
“Who are you to question us? As a political entity, the SP is answerable only to the people; not to some self-proclaimed organisation of five members who themselves are not entirely clean,” Mr. Yadav said in his three-page-long letter released here.
Retaliating that the movement was going off-track, he said: “Neither you nor your team represents 125 crore people of the country, yet you want to know why the SP walked out of the Lok Sabha during the Lokpal Bill voting and also the future stance of the party with regard to the BJP and the Congress. I want to know in which haisiyat [status] are you asking this question.”
He said Team Anna was under a misconception if it thought the party would take its decisions after consulting them. If it wanted to raise political questions or give advice, it should join politics. “It is your call.”
The party's annoyance stems from the nature of questions raised in the public domain by Team Anna. They've asked Mr. Singh why his party walked out during voting on the Lokpal Bill in Parliament; whether they would tie up with the Congress or the BJP to form a government in Uttar Pradesh if they were in a position to; and whether the party would join the UPA government at the Centre after the U.P. election on the condition that the CBI cases against Mr. Singh on disproportionate assets be withdrawn.
Agreeing that the issue of corruption was “very relevant,” Mr. Yadav said he had said as much when he shared the platform at Jantar Mantar with Mr. Hazare during his fast in April last, but at the same time had stressed that under the constitution, Parliament had the right to enact laws.
“Yet you and your team were adamant for acceptance of each and every sentence of your Jan Lokpal Bill. Perhaps you do not understand the feelings of other groups who have stood by you in principle,” he said.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESStung by a letter written last Sunday by Team Anna to SP president Mulayam Singh questioning the party's stand on the Lokpal Bill as well as its plans for post-poll tie-up in Uttar Pradesh, party general secretary and spokesman Ram Gopal Yadav has responded in strong words.
“Who are you to question us? As a political entity, the SP is answerable only to the people; not to some self-proclaimed organisation of five members who themselves are not entirely clean,” Mr. Yadav said in his three-page-long letter released here.
Retaliating that the movement was going off-track, he said: “Neither you nor your team represents 125 crore people of the country, yet you want to know why the SP walked out of the Lok Sabha during the Lokpal Bill voting and also the future stance of the party with regard to the BJP and the Congress. I want to know in which haisiyat [status] are you asking this question.”
The party's annoyance stems from the nature of questions raised in the public domain by Team Anna. They've asked Mr. Singh why his party walked out during voting on the Lokpal Bill in Parliament; whether they would tie up with the Congress or the BJP to form a government in Uttar Pradesh if they were in a position to; and whether the party would join the UPA government at the Centre after the U.P. election on the condition that the CBI cases against Mr. Singh on disproportionate assets be withdrawn.
Agreeing that the issue of corruption was “very relevant,” Mr. Yadav said he had said as much when he shared the platform at Jantar Mantar with Mr. Hazare during his fast in April last, but at the same time had stressed that under the constitution, Parliament had the right to enact laws.
“Yet you and your team were adamant for acceptance of each and every sentence of your Jan Lokpal Bill. Perhaps you do not understand the feelings of other groups who have stood by you in principle,” he said.
गाँधी जी के शहीदी दिवस पर विशेष
अनुशासन, ईमानदारी, सच्चाई और न जाने किन-किन आदर्शों के लिए गाँधी जी को जाना जाता है. जो बस एक खानापूर्ति मात्र रह गया है. किताबों में इन आदर्शों के बारे में बच्चों को केवल ज्ञान दिया जाता है, जिसका आज के जीवन से बहुत कुछ सम्बन्ध होते हुए भी कुछ वास्ता नहीं रह गया है.
हमारा लाइफ स्टाइल ही कुछ ऐसा हो गया हैं जहाँ इन आदर्शों के कुछ मायने नहीं रह जाते. ये अलग बात हैं हम आज भी मंच पर जाकर उनकी आदर्शवादिता से रूबरू होते हैं, सुनने में अच्छा जो लगता है, और सामने वाला भी भला मानुस प्रतीत होता है. लेकिन सच तो ये है कि अनुशासन का अनुसरण करने वाला अब कोई नहीं रहा, ईमानदारी को भ्रष्टाचार के दीमक ने चट कर लिया और सच्चाई शब्दकोष में खो कर रह गई है.
भला ऐसे में शहीदी दिवस को क्यूँ न आदर्शों के शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाय. शायद इस वजह से थोड़ी शर्म आ जाय उन लोगों को जिन्होंने गाँधी की तस्वीर वाले नोटों को भी ब्लैक मनी में तब्दील कर दिया. उन लोगों को जिन्होंने भ्रष्टाचार में हम कई पायदान आगे धकेल दिया, उन लोगों को जिनको हमने देश का उत्तरदायित्व सौपा था अब वही गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों का मखौल उड़ाते हुए धर्म के नाम पे दंगे करवा रहे हैं, उन लोगों को जो देश में कालाबाजारी कर हमें महंगाई की आग में झोक रहे हैं, उन लोगों को जिनके रिश्वत लेने कि वजह से योग्य आदमी सही जगह नहीं पहुच पाता.
और आखिर में हम सबको, क्योंकि इस व्यवस्था जिसका हिस्सा कहीं न कही हम भी हैं इन सबमे उनका साथ देने में. यानि हम सब हर रोज उनके आदर्शों की एक-एक पंक्तियाँ जला कर गाँधी को अपने आप से दूर कर रहे हैं
हमारा लाइफ स्टाइल ही कुछ ऐसा हो गया हैं जहाँ इन आदर्शों के कुछ मायने नहीं रह जाते. ये अलग बात हैं हम आज भी मंच पर जाकर उनकी आदर्शवादिता से रूबरू होते हैं, सुनने में अच्छा जो लगता है, और सामने वाला भी भला मानुस प्रतीत होता है. लेकिन सच तो ये है कि अनुशासन का अनुसरण करने वाला अब कोई नहीं रहा, ईमानदारी को भ्रष्टाचार के दीमक ने चट कर लिया और सच्चाई शब्दकोष में खो कर रह गई है.
भला ऐसे में शहीदी दिवस को क्यूँ न आदर्शों के शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाय. शायद इस वजह से थोड़ी शर्म आ जाय उन लोगों को जिन्होंने गाँधी की तस्वीर वाले नोटों को भी ब्लैक मनी में तब्दील कर दिया. उन लोगों को जिन्होंने भ्रष्टाचार में हम कई पायदान आगे धकेल दिया, उन लोगों को जिनको हमने देश का उत्तरदायित्व सौपा था अब वही गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों का मखौल उड़ाते हुए धर्म के नाम पे दंगे करवा रहे हैं, उन लोगों को जो देश में कालाबाजारी कर हमें महंगाई की आग में झोक रहे हैं, उन लोगों को जिनके रिश्वत लेने कि वजह से योग्य आदमी सही जगह नहीं पहुच पाता.
और आखिर में हम सबको, क्योंकि इस व्यवस्था जिसका हिस्सा कहीं न कही हम भी हैं इन सबमे उनका साथ देने में. यानि हम सब हर रोज उनके आदर्शों की एक-एक पंक्तियाँ जला कर गाँधी को अपने आप से दूर कर रहे हैं
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
अन्ना को पतंजलि योगपीठ आने का न्यौता
समाजसेवी अन्ना हजारे रविवार को दिल्ली पहुंचे और फिर उन्हें गुड़गांव के मेदांता मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्हें इन्फेक्शन, शरीर में सूजन और पेट में जलन की तकलीफ है। सोमवार सुबह अन्ना का हेल्थ बुलेटिन जारी होगा।
पेट में तकलीफ के बाद यहां लाया गया
जरूरी टेस्ट करने के बाद अन्ना को आईसीयू से स्पेशल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। टीम अन्ना के सदस्य मनीष सिसोदिया ने बताया कि हजारे को पेट में तकलीफ के बाद यहां लाया गया है। अन्ना के शरीर में पानी की अधिकता हो गई है। मुंबई में आंदोलन के दौरान सेहत बिगड़ने पर उन्हें पुणे के संचेती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कहा जा रहा है कि अन्ना को किसी दवा से रिएक्शन हुआ है लेकिन जांच रिपोर्ट आने के बाद ही असली वजह पता चलेगी।
रविवार को करीब डेढ़ बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे
रविवार को अन्ना का हाल जानने के लिए उनकी टीम के प्रशांत भूषण, अरविंद केजरीवाल, नवीन जयहिंद, स्वाति सहित अन्य सदस्य अस्पताल पहुंचे। इससे पहले अन्ना रविवार को करीब डेढ़ बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे। अन्ना के तमाम समर्थक एयरपोर्ट पर उनके इंतजार में बैठे थे। लेकिन वह बिना कुछ बोले सीधे गुड़गांव स्थित मेदांता मेडिसिटी पहुंचे। हजारे के वार्ड के बाहर पुलिस का सख्त पहरा है।
अन्ना को पतंजलि योगपीठ आने का न्यौता
टीम अन्ना की एक सदस्य ने बताया कि वे दो दिनों तक मेदांता में जांच कराएंगे और फिर रिपोर्ट लेकर मंगलुरू के जिंदल नेचर केयर इंस्टीट्यूट जाएंगे। हालांकि मेदांता के डॉक्टर जांच के बाद ही बताएंगे कि वे मंगलुरुजाने की स्थिति में कब होंगे। उधर, योगगुरू रामदेव ने पिछली बातें भुलाकर अन्ना को पतंजलि योगपीठ आने का न्यौता दे डाला है। रामदेव ने कहा कि अन्ना की तबीयत आयुर्वेद से एकदम ठीक हो सकती है। हालांकि गुड़गाव में जांच के बाद ही यह तय होगा कि अन्ना का इलाज कहां होगा।
पेट में तकलीफ के बाद यहां लाया गया
जरूरी टेस्ट करने के बाद अन्ना को आईसीयू से स्पेशल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। टीम अन्ना के सदस्य मनीष सिसोदिया ने बताया कि हजारे को पेट में तकलीफ के बाद यहां लाया गया है। अन्ना के शरीर में पानी की अधिकता हो गई है। मुंबई में आंदोलन के दौरान सेहत बिगड़ने पर उन्हें पुणे के संचेती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कहा जा रहा है कि अन्ना को किसी दवा से रिएक्शन हुआ है लेकिन जांच रिपोर्ट आने के बाद ही असली वजह पता चलेगी।
रविवार को करीब डेढ़ बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे
रविवार को अन्ना का हाल जानने के लिए उनकी टीम के प्रशांत भूषण, अरविंद केजरीवाल, नवीन जयहिंद, स्वाति सहित अन्य सदस्य अस्पताल पहुंचे। इससे पहले अन्ना रविवार को करीब डेढ़ बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे। अन्ना के तमाम समर्थक एयरपोर्ट पर उनके इंतजार में बैठे थे। लेकिन वह बिना कुछ बोले सीधे गुड़गांव स्थित मेदांता मेडिसिटी पहुंचे। हजारे के वार्ड के बाहर पुलिस का सख्त पहरा है।
अन्ना को पतंजलि योगपीठ आने का न्यौता
टीम अन्ना की एक सदस्य ने बताया कि वे दो दिनों तक मेदांता में जांच कराएंगे और फिर रिपोर्ट लेकर मंगलुरू के जिंदल नेचर केयर इंस्टीट्यूट जाएंगे। हालांकि मेदांता के डॉक्टर जांच के बाद ही बताएंगे कि वे मंगलुरुजाने की स्थिति में कब होंगे। उधर, योगगुरू रामदेव ने पिछली बातें भुलाकर अन्ना को पतंजलि योगपीठ आने का न्यौता दे डाला है। रामदेव ने कहा कि अन्ना की तबीयत आयुर्वेद से एकदम ठीक हो सकती है। हालांकि गुड़गाव में जांच के बाद ही यह तय होगा कि अन्ना का इलाज कहां होगा।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
दिल्ली पहुंचे अन्ना, स्वस्थ्य होते ही करेंगे चुनाव प्रचार
नई दिल्ली। समाजसेवी अन्ना हजारे चिकित्सा जांच के लिए रविवार को दिल्ली पहुंचे। गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में उनकी जांच होगी। अन्ना हजारे के स्वास्थ्य की देखभाल कर रहे एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया, "अन्ना हजारे के सीने में सूजन व दर्द है। डॉक्टरों का एक दल उनके रक्त के नमूनों की जांच करेगा। साथ ही ईसीजी और उनके हृदय की स्थिति को देखने के लिए कुछ अन्य परीक्षण भी किए जाएंगे।"
अन्ना (74) को दिसम्बर के आखिर में मुम्बई में दो अनशन के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जानकारी के मुताबिक, इलाज के बाद स्वस्थ्य होते ही अन्ना यूपी के चुनावी दंगल में प्रचार के लिए उतर सकते हैं। इस बारे में अन्ना ने कहा है कि, अभी तबियत ठीक नहीं है। इलाज के बाद स्वस्थ्य होते ही वह यूपी के चुनावी मैदान में जाएंगे।
उनके सहयोगियों के अनुसार, उनके शरीर में एंटीबायोटिक का प्रतिकूल असर हुआ है। समझा जाता है कि अन्ना मेदांता अस्पताल में दो दिन तक रहेंगे, जिसके बाद उन्हें बेंगलुरु के जिंदल नेचरकेयर इंस्टीट्यूट ले जाया जाएगा। डॉक्टर ने बताया, "जांच की रिपोर्ट सोमवार को आ जाएगी। डॉ. नरेश त्रेहन उनके स्वास्थ्य पर नजर रखेंगे।"
अन्ना (74) को दिसम्बर के आखिर में मुम्बई में दो अनशन के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जानकारी के मुताबिक, इलाज के बाद स्वस्थ्य होते ही अन्ना यूपी के चुनावी दंगल में प्रचार के लिए उतर सकते हैं। इस बारे में अन्ना ने कहा है कि, अभी तबियत ठीक नहीं है। इलाज के बाद स्वस्थ्य होते ही वह यूपी के चुनावी मैदान में जाएंगे।
उनके सहयोगियों के अनुसार, उनके शरीर में एंटीबायोटिक का प्रतिकूल असर हुआ है। समझा जाता है कि अन्ना मेदांता अस्पताल में दो दिन तक रहेंगे, जिसके बाद उन्हें बेंगलुरु के जिंदल नेचरकेयर इंस्टीट्यूट ले जाया जाएगा। डॉक्टर ने बताया, "जांच की रिपोर्ट सोमवार को आ जाएगी। डॉ. नरेश त्रेहन उनके स्वास्थ्य पर नजर रखेंगे।"
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
बाबा रामदेव अन्ना हजारे के ख़राब सेहत के बारे में सनसनीखेज खुलासा
बाबा रामदेव अन्ना हजारे के ख़राब सेहत के बारे में सनसनीखेज खुलासा करते हुए बताते है की जिस डॉक्टर के गलग इलाज के कारन अन्ना की सेहत इतनी ख़राब हुए है उसको कांग्रेस पार्टी पद्मविभुसन पुरूस्कार देने जा रही है। इससे साफ़ पता चलता है की अन्ना के खराब सेहत के पीछे कांग्रेस का हाथ है।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
"बापू हम शर्मिंदा हैं, भ्रष्टाचार जिन्दा है|"
'गणतन्त्र के पुनर्निर्माण' का अन्ना का सन्देश पहुँचाने हेतु राजघाट,दिल्ली से लखनऊ तक कार-मशाल रैली, ३० जनवरी, बापू की पुण्यतिथि, से शुरू होगी|
"बापू हम शर्मिंदा हैं, भ्रष्टाचार जिन्दा है|"
यह यात्रा अलीगढ, कानपुर होते हुए लखनऊ जाएगी एवं मुरादाबाद होते हुए वापस ग़ाज़ीयाबाद आयेगी.
राजघाट,दिल्ली: 30 Jan, 12 noon
अलीगढ: 30 Jan, 6pm मशाल रैली,
कानपुर : 31 Jan, 6pm मशाल रैली,
लखनऊ : 1 Feb, 6pm मशाल रैली,
मुरादाबाद : 2 Feb, 6pm मशाल रैली,
ग़ाज़ीयाबाद : 3 Feb, 6pm मशाल रैली|
आप सभी इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित हैं|
संपर्क करें: 8750750507, 9911540134, 9971891996.
Car-Mashaal rally from Rajghat, Delhi to Lucknow for spreading Anna's message of 'Rebuilding the Republic' will start on 30th January, the death anniversary of Mahatma Gandhi.
This rally will go to Lucknow via Aligarh, Kanpur and come back to Ghaziabad through Muradabad.
Rajghat, Delhi: 30 Jan, 12 noon
Aligarh: 30 Jan, 6pm Mashaal rally,
Kanpur: 31 Jan, 6pm Mashaal rally,
Lucknow: 1 Feb, 6pm Mashaal rally,
Muradabad: 2 Feb, 6pm Mashaal rally,
Ghaziabad: 3 Feb, 6pm Mashaal rally.
All of you are invited to participate in it.
Contact: 8750750507, 9911540134, 9971891996 for details.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
"बापू हम शर्मिंदा हैं, भ्रष्टाचार जिन्दा है|"
यह यात्रा अलीगढ, कानपुर होते हुए लखनऊ जाएगी एवं मुरादाबाद होते हुए वापस ग़ाज़ीयाबाद आयेगी.
राजघाट,दिल्ली: 30 Jan, 12 noon
अलीगढ: 30 Jan, 6pm मशाल रैली,
कानपुर : 31 Jan, 6pm मशाल रैली,
लखनऊ : 1 Feb, 6pm मशाल रैली,
मुरादाबाद : 2 Feb, 6pm मशाल रैली,
ग़ाज़ीयाबाद : 3 Feb, 6pm मशाल रैली|
आप सभी इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित हैं|
संपर्क करें: 8750750507, 9911540134, 9971891996.
Car-Mashaal rally from Rajghat, Delhi to Lucknow for spreading Anna's message of 'Rebuilding the Republic' will start on 30th January, the death anniversary of Mahatma Gandhi.
This rally will go to Lucknow via Aligarh, Kanpur and come back to Ghaziabad through Muradabad.
Rajghat, Delhi: 30 Jan, 12 noon
Aligarh: 30 Jan, 6pm Mashaal rally,
Kanpur: 31 Jan, 6pm Mashaal rally,
Lucknow: 1 Feb, 6pm Mashaal rally,
Muradabad: 2 Feb, 6pm Mashaal rally,
Ghaziabad: 3 Feb, 6pm Mashaal rally.
All of you are invited to participate in it.
Contact: 8750750507, 9911540134, 9971891996 for details.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
हिंसा शांतिपूर्ण आन्दोलन का पर्याय नहीं हो सकता
एक जवान हरविंदर सिंह ने शरद पवार, कृषि मंत्री, भारत सरकार के मुंह पर थप्पड़ मारा और लोगों में हल्ला गुल्ला मच गया. किसी ने मुझ से पूछा शरद पवार के मुंह पर एक जवान ने एक थप्पड़ मारा, मैंने कहा एक ही थप्पड़ मारा? और प्रत्यक्ष थप्पड़ मारने वाले से “एक ही थप्पड़ मारा” कहने वाले को कई लोगों ने अधिक अपराधी माना.
मैंने कई बार ये कहा है कि, अन्ना हजारे कि तुलना महात्मा गाँधी जी से करना ठीक नहीं है. गाँधी जी के पास बैठने की भी मेरी पात्रता नहीं है. लेकिन उनके विचारों का थोड़ा सा प्रभाव मेरे जीवन में पड़ने के कारण देश की उन्नति के लिए ग्राम विकास और अहिंसात्मक संघर्ष जैसा थोडा सा कार्य मैं कर पाया.
मैंने ये भी कहा था कि मैं महात्मा गाँधी जी के आदर्श को मानता हूँ लेकिन कभी-कभी छत्रपति शिवाजी महाराज का भी आदर्श सामने रखता हूँ. मैं किसी पर तलवार से वार नहीं करना चाहता, किसी पर शस्त्र नहीं चलाना चाहिए, किसी से हाथापाई नहीं करना चाहिए. लेकिन किसी को कठोर शब्द प्रयोग करना इस बात को भी महात्मा गाँधी जी ने हिंसा कहा हैं.
समाज और देश कि भलाई के लिए कठोर शब्द की हिंसा मैं बार बार कई सालों से करता आया हूँ. एक ही थप्पड़ मारा? ये मेरी हिंसा हो गई थी. लेकिन समाज कि भलाई के लिए ऐसी हिंसा करने को मैं दोष नहीं मानता. राजनीति में कई लोगों को थप्पड़ मारने का बहुत बुरा लग गया था. कईयों को गुस्सा भी आ गया था. लेकिन उस जवान ने थप्पड़ क्यों मारा था? इस बात को भी सोचना जरुरी था.
आज दिन ब दिन भ्रष्टाचार बढता जा रहा है. इस भ्रष्टाचार से सामान्य लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. बढते भ्रष्टाचार के कारण मंहगाई बढती जा रही है. उस कारण परिवारिक लोगों को परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. जब सहनशीलता की मर्यादा का अंत होता है तो कुछ लोग कानून को हाथ में लेकर ऐसे कृत्य करते है. इस जवान ने जो किया है वो गलत किया है. इस पर किसी को भी दो राय नहीं है. मैंने भी निषेध किया है. लेकिन थप्पड़ क्यों मारा इस बात को सोचने की जरुरत है. एक थप्पड़ लगने से राजनीति में लोगों को गुस्सा आ गया. लेकिन जब सरकार किसान पर उनका दोष न होते हुए वह जब अपना हक मांगते हैं. तब सरकार लाठी चार्ज करती है. कई किसान घायल होते है. कई बार सरकार गोलियां चलाती है. उसमें कई किसानों की मृत्यु भी हो जाती है. लेकिन कृषि प्रधान भारत देश में उस पर किसी को गुस्सा नहीं आता. यह दुर्भाग्य की बात है. महाराष्ट्र में किसान आत्महत्याएं करते हैं, उस पर किसी राजनेता को गुस्सा नहीं आता? यह दुर्भाग्य की बात है.
१९८९ में महाराष्ट्र में बिजली संकट का निर्माण हुआ था. किसानों के इलेक्ट्रिक पम्प के लिए वोल्टेज नहीं मिल रही थी. किसानों की फसल जल रही थी, कम पावर (वोल्टेज) के कारण किसानों के इलेक्ट्रिक पम्प जल रहे थे. डी.पी. जल रही थी, बिजली में सुधार लाने के लिए मैंने तीन चार साल प्रयास किया. सरकार बिजली सुधार के लिए आश्वासन देती रही लेकिन कोई फर्क नहीं आया. इसलिए मैंने अनशन-आन्दोलन शुरू किया था. आठ दिन के बाद मुझे सरकार जबरन सरकारी हॉस्पिटल में ले गयी और मुझे हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया.
उस कारण सरकार के प्रति किसानों के दिल में गुस्सा निर्माण हो गया. उन्होंने अहमदनगर जिले में वाडेगव्हन गाँव के पास रास्ता रोको आन्दोलन किया और सरकार ने किसानों के उस आन्दोलन पर गोली चलाई. चार किसान मृत्यु मुखी पड़ गए, कई लोग घायल हो गए. उस समय शरद पवार राज्य के मुख्यमंत्री थे. लेकिन किसी भी राजनेता को उस पर गुस्सा नहीं आया था. उस आन्दोलन को आज २२ साल बीत गए हैं. लेकिन बिजली का संकट आज भी कायम है, समाप्त नहीं हुआ.
केंद्र में शरद पवार कृषि मंत्री और राज्य में बिजली मंत्री भी उन्ही का है. फिर भी २२ साल हो गए. आज किसानों के इलेक्ट्रिक पम्प को वोल्टेज पुरे नहीं मिलने के कारण जलते हैं, फसल जलती है, डी.पी. जलती है. उस पर गुस्सा किसी राजनेता को नहीं आता है. यह दुर्भाग्य की बात है. पुणे के पास मावल में किसानों ने आन्दोलन किया उस आन्दोलन पर गोली चलाई गई तीन (३) किसानों की म्रत्यु हो गई. राजनेता को गुस्सा नहीं आया.
कृषि मंत्री के नाते शरद पवार करोड़ों रुपयों का सडा-फुड़ा गेहूं आयात किया और जनता को खाने के लायक न होने के कारण जे.सी.बी. से बड़े-बड़े गड्डे करके ज़मीं में दफनाया गया. और देश के जनता के करोड़ो रुपयों का चुना लगाया. लेकिन उसका गुस्सा किसी भी राजनेता को नहीं आया? शरद पवार जी के एक रिश्तेदार पदमसिंह पाटिल जो शरद पवार के मंत्रिमंडल में मंत्री रहकर भ्रष्टाचार किया था. मैं जाँच करने का आग्रह किया. लेकिन जाँच नहीं हो रही थी. मैं आन्दोलन किया और उस मंत्री की जाँच हो गई. मंत्री दोषी पाया गया और उनको मंत्रीमंडल से निकलना पड़ा. उसका बदला लेने के लिए इस मंत्री ने मेरी हत्या करने के लिए तीस (३०) लाख रूपये की सुपारी दी थी. लेकिन मरने वाला जब पकड़ा गया तो उसने न्यायाधीश के सामने कबूल किया कि अन्ना हजारे को मारने की मुझे इस मंत्री ने सुपारी दी थी. उस कारण मंत्री को जेल जाना पड़ा. उस वक़्त किसी भी राजनेता को गुस्सा नहीं आया. जितना शरद पवार को एक थप्पड़ मारने का गुस्सा आ गया? विशेषतः पदमसिंह पाटिल भ्रष्टाचारी है, यह साबित हुआ था, मुझे मारने की सुपारी दी थी यह भी स्पष्ट हो गया था. फिर भी चुनाव के समय शरद पवार उनके कार्यक्रम में जाकर जनता को अपील किया था कि सभी कार्यकर्ताओं का पदमसिंह पाटिल का साथ देना है. भ्रष्टाचारी होते हुए शरद पवार उनको समर्थन करते है. लेकिन उस वक़्त भी राजनेताओं को को गुस्सा नहीं आया? इस लिए मैंने कहा था कि, भ्रष्टाचारियों को साथ में लेकर जाने कि शरद पवार की पुरानी आदत हैं. कई राजनेताओं को एक थप्पड़ का गुस्सा आकर कई बसें जलाकर राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान किया, कई दुकानें तोड़ फोड़ कर दी, कई निजी वाहनों को नुकसान पहुँचाया. इस बात पर किसी को गुस्सा नहीं आया. यह दुर्भाग्य की बात है.
हजारों कार्यकर्ताओं के साथ २० साल से हम आन्दोलन कर रहे है, लेकिन आज तक किसी भी राष्ट्रीय सम्पति का नुकसान नहीं होने दिया. किसी व्यक्ति की सम्पति का नुकसान नहीं होने दिया. दिनाक १६ अगस्त २०११ को देश के करोडो लोग रास्ते पर आ गए थे लेकिन किसी व्यक्ति ने एक पत्थर भी हाथ में नहीं उठाया. आन्दोलन करना दोष नहीं, लेकिन अहिंसा के मार्ग से आन्दोलन होना जरुरी है. राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान कर हम अपना ही नुकसान करते है. यह आन्दोलनकारियों की भावना होनी चाहिए. जो लोग महात्मा गाँधी जी के समाधि पर प्रार्थना करने गए थे. उन्हें इस बात को सोचना ज़रूरी है. भ्रष्टाचार किया स्पष्ट हो गया और पदमसिंह पाटिल जैसा आदमी जेल में भी गया ऐसा व्यक्ति प्रार्थना करता है?
१९९१/९२ में शरद पवार मुख्यमंत्री थे और वन विभाग के उच्च स्तर के अफसरों ने मिलकर बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया था. उनके सबूत मेरे हाथ में आये थे, मैं सबूत के साथ शरद पवार को बताया, सब सबूत है. इन अफसरों की जाँच करके उन पर कठोर कार्यवाही करें. लेकिन उनकी जाँच नहीं हुई. मैं लगातार दो साल कोशिश करता रहा. आखिर मैंने, राजीव गाँधी जी ने मुझे इंदिरा गाँधी वृक्षमित्र अवार्ड दिया था उसको वापस कर दिया. फिर भी शरद पवार ने उन पर कोई कार्यवाही नहीं की. आखिर मैंने, राष्ट्रपति ने मुझे पद्मश्री अवार्ड दिया था वह भी राष्ट्रपति जी को वापस कर दिया तब सरकार की नींद खुली और उन अफसरों की जाँच हुई और उन पर कार्यवाही करनी पड़ी. उस वक़्त गो.रा. खैरनार और हमारे आन्दोलन से सरकार गिर गई थी. महाराष्ट्र में पचास सालों में हजारों एकड़ वन जमीन गायब हुई है. उसके लिए शरद पवार ज़िम्मेदार है. मैं तीन साल से गायब ज़मीन की जाँच करने की मांग कर रहा हूँ. लेकिन जाँच नहीं हो रही है. अगर जाँच हो गई तो कौन ज़िम्मेदार है स्पष्ट हो जायेगा.
इस से पता चलता है की भ्रष्टाचारी लोगों को संभालने की शरद पवार को बहुत पुरानी आदत है. सन २००३ में शरद पवार के चार मंत्रियों ने भ्रष्टाचार किया था. उनके भ्रष्टाचार के सब सबूत मेरे हाथ में आये थे. मैंने आग्रह किया कि इन चार मंत्रियों के भ्रष्टाचार की जाँच करो. लेकिन सरकार जाँच करने को तैयार नहीं थी. मुझे आन्दोलन करना पड़ा. मैंने राष्ट्रपति को पद्मभूषण अवार्ड को वापस करने का नोटिस दिया था. जब उन मंत्रियों की जाँच करने को सरकार राज़ी ही गई. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पी.बी.सावंत आयोग की नियुक्ति हो गई. एक मंत्री ने हमारे बारे में भी शिकायत की और मंत्रियों के साथ साथ अन्ना हजारे की भी जाँच करने का आग्रह किया. मैं उसको मेरी और हमारे संस्था की जाँच की अनुमति दी, जब कर नहीं तो डर किस लिए?
चार मंत्रियों के लिए किसके लिए कौन वकील देना इसका नियोजन इन्ही से हुआ था. न्यायाधीश पी.बी. सावंत आयोग का कामकाज तारीख २१.१०.२००३ से शुरू हो गया. हर दिन सवेरे ११ बजे से शाम ५ बजे तक चलता रहा. एक साल दो महीने बाद तारीख २४.१२.२००३ को आयोग का कामकाज पूरा हो गया और आयोग की तरफ से अपनी रिपोर्ट सरकार को तारीख २३.०२.२००५ को भेज दिया. उस रिपोर्ट में चार मंत्रियों में से तीन मंत्रियों ने भ्रष्टाचार किया यह स्पष्ट हो गया. हमारे बारे मंत्रियों ने आयोग को बताया था कि अन्ना के सभी संस्थाओं के कुछ कागज लेने कि हमें अनुमति मिले. आयोग ने हमे पूछा मंत्री आपके संस्था के सभी कागज रालेगन सिद्धी में जाकर लेना चाहते हैं, तो हमने तुरंत अनुमति दी. मंत्रियों के तरफ से ६ सी.ए. (चार्टर्ड अकाउंटैंट) ६ दिन तक हमारी संस्था कि छानबीन करके आधा टेम्पो कागज फोटोकॉपी करके ले गए. उनका खाना, रहना सब इंतजाम रालेगन सिद्धी में हमारी संस्था ने किया था. लेकिन हमारा १०० रूपये का भी भ्रष्टाचार नहीं मिला. सिर्फ कागज समय पर नहीं भेजा, इतनी ही अनियमितता का दोष था. लेकिन उनको भ्रष्टाचार नहीं मिला और शरद पवार टीम का मैं दोषी है, मुझे जेल भेजने का सपना अधूरा ही रह गया. उनको लगता था अन्ना हजारे दोषी पाए जायेंगे और जेल जायेंगे. लेकिन तीन मंत्रियों को रिपोर्ट में भ्रष्टाचार स्पष्ट होने के कारण अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. मैं ५-६ सालों से सरकार को बार-बार कह रहा हूँ कि सावंत आयोग ने जिन मंत्रियों को भ्रष्टाचार के कारण दोषी पाया. उन पर क़ानूनी कार्यवाही की जाये. सरकार अभी भी उन पर क़ानूनी कार्यवाही करने को तैयार नहीं है. कारण वह शरद पवार जी के मंत्री है.
जनलोकपाल कानून आने के बाद इन मंत्रियों पर कार्यवाही करने के लिया आन्दोलन करना पड़ेगा. कारण कई बार इन मंत्रियों पर कार्यवाही करने के लिए मैं राज्य के मुख्यमंत्री को ख़त भेजे हैं. भ्रष्टाचारियों को संभालने की आदत बहुत पुरानी है. क्या होगा इस राज्य का? इस देश का? प्रश्न है विशेषत: ऐसे भ्रष्टाचारी मंत्री गाँधी जी की समाधि पर थप्पड़ मरने वाली को सद्बुद्धि मांग रहे है. मैं गाँव में संत यादव बाबा के मंदिर में रहता हूँ. सोने का एक बिस्तर खाने की एक थाली के आलावा कुछ नहीं रखा. करोड़ों रुपयें की योजनाएं अपनायीं लेकिन आज तक किसी बैंक में बैलेंस नहीं रखा. अपना पूरा जीवन समाज और देश की सेवा के लिए अर्पण ऐसे स्थिति में शरद पवार के कई मंत्रियों ने मेरे ऊपर अलग जगह पर कोर्ट में दावे लगाये हुए है. मेरे पास केस चलने के लिए पैसा नहीं है. ९/१० वकीलों ने एक रुपया न लेते हुए सात साल से केस लड़ रहे हैं. आज भी कोर्ट में केस चल रहे है और मुझे कोर्ट में हाजिर रहना पड़ता है. फकीर होने के कारण मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता हैं. जनता की सेवा और देश की सेवा में आनंद मिलता है. इस कारण दुःख महसूस होता नहीं.
एक थप्पड़ का गुस्सा कई लोगों को आया लेकिन पूरा जीवन समाज और देश के लिए अर्पण करते हुए इतनी तकलीफ दी जाती है. उसका गुस्सा किसी को नहीं आता. यह दुर्भाग्य की बात है. मेरी विनती है, मुझ पर गुस्सा आता है तो जैसे मेरे पुतले जलाये है. आगे भी जलाते रहो. मेरी प्रेतयात्रा निकालो, मेरी बदनामी के लिए चाहे जैसा करो. लेकिन राष्ट्र संपत्ति का कभी भी नुकसान मत करो. वह हमारी सब की संपत्ति समझ कर उसका जतन करो. शरद पवार के कार्यकर्ताओं ने मुझे माँ-बहन की गाली दिया है. उसका मैंने मेरे समाधान के लिए रिकॉर्ड (सीडी) करके रखा है. समय आने पर मैं जनता को बजाकर सुनाऊंगा. जब जब वह रिकॉर्ड मैं सुनूंगा तब मुझे और समाधान मिलेगा. इसलिए और भी गाली देना है तो दे दो मुझे गाली देने से दुःख नहीं होगा, लेकिन राष्ट्रीय सम्पति की हानि नहीं करना इससे मुझे बहुत दुःख होगा.
कि.बा. उपनाम अण्णा हज़ारे
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
मैंने कई बार ये कहा है कि, अन्ना हजारे कि तुलना महात्मा गाँधी जी से करना ठीक नहीं है. गाँधी जी के पास बैठने की भी मेरी पात्रता नहीं है. लेकिन उनके विचारों का थोड़ा सा प्रभाव मेरे जीवन में पड़ने के कारण देश की उन्नति के लिए ग्राम विकास और अहिंसात्मक संघर्ष जैसा थोडा सा कार्य मैं कर पाया.
मैंने ये भी कहा था कि मैं महात्मा गाँधी जी के आदर्श को मानता हूँ लेकिन कभी-कभी छत्रपति शिवाजी महाराज का भी आदर्श सामने रखता हूँ. मैं किसी पर तलवार से वार नहीं करना चाहता, किसी पर शस्त्र नहीं चलाना चाहिए, किसी से हाथापाई नहीं करना चाहिए. लेकिन किसी को कठोर शब्द प्रयोग करना इस बात को भी महात्मा गाँधी जी ने हिंसा कहा हैं.
समाज और देश कि भलाई के लिए कठोर शब्द की हिंसा मैं बार बार कई सालों से करता आया हूँ. एक ही थप्पड़ मारा? ये मेरी हिंसा हो गई थी. लेकिन समाज कि भलाई के लिए ऐसी हिंसा करने को मैं दोष नहीं मानता. राजनीति में कई लोगों को थप्पड़ मारने का बहुत बुरा लग गया था. कईयों को गुस्सा भी आ गया था. लेकिन उस जवान ने थप्पड़ क्यों मारा था? इस बात को भी सोचना जरुरी था.
आज दिन ब दिन भ्रष्टाचार बढता जा रहा है. इस भ्रष्टाचार से सामान्य लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. बढते भ्रष्टाचार के कारण मंहगाई बढती जा रही है. उस कारण परिवारिक लोगों को परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. जब सहनशीलता की मर्यादा का अंत होता है तो कुछ लोग कानून को हाथ में लेकर ऐसे कृत्य करते है. इस जवान ने जो किया है वो गलत किया है. इस पर किसी को भी दो राय नहीं है. मैंने भी निषेध किया है. लेकिन थप्पड़ क्यों मारा इस बात को सोचने की जरुरत है. एक थप्पड़ लगने से राजनीति में लोगों को गुस्सा आ गया. लेकिन जब सरकार किसान पर उनका दोष न होते हुए वह जब अपना हक मांगते हैं. तब सरकार लाठी चार्ज करती है. कई किसान घायल होते है. कई बार सरकार गोलियां चलाती है. उसमें कई किसानों की मृत्यु भी हो जाती है. लेकिन कृषि प्रधान भारत देश में उस पर किसी को गुस्सा नहीं आता. यह दुर्भाग्य की बात है. महाराष्ट्र में किसान आत्महत्याएं करते हैं, उस पर किसी राजनेता को गुस्सा नहीं आता? यह दुर्भाग्य की बात है.
१९८९ में महाराष्ट्र में बिजली संकट का निर्माण हुआ था. किसानों के इलेक्ट्रिक पम्प के लिए वोल्टेज नहीं मिल रही थी. किसानों की फसल जल रही थी, कम पावर (वोल्टेज) के कारण किसानों के इलेक्ट्रिक पम्प जल रहे थे. डी.पी. जल रही थी, बिजली में सुधार लाने के लिए मैंने तीन चार साल प्रयास किया. सरकार बिजली सुधार के लिए आश्वासन देती रही लेकिन कोई फर्क नहीं आया. इसलिए मैंने अनशन-आन्दोलन शुरू किया था. आठ दिन के बाद मुझे सरकार जबरन सरकारी हॉस्पिटल में ले गयी और मुझे हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया.
उस कारण सरकार के प्रति किसानों के दिल में गुस्सा निर्माण हो गया. उन्होंने अहमदनगर जिले में वाडेगव्हन गाँव के पास रास्ता रोको आन्दोलन किया और सरकार ने किसानों के उस आन्दोलन पर गोली चलाई. चार किसान मृत्यु मुखी पड़ गए, कई लोग घायल हो गए. उस समय शरद पवार राज्य के मुख्यमंत्री थे. लेकिन किसी भी राजनेता को उस पर गुस्सा नहीं आया था. उस आन्दोलन को आज २२ साल बीत गए हैं. लेकिन बिजली का संकट आज भी कायम है, समाप्त नहीं हुआ.
केंद्र में शरद पवार कृषि मंत्री और राज्य में बिजली मंत्री भी उन्ही का है. फिर भी २२ साल हो गए. आज किसानों के इलेक्ट्रिक पम्प को वोल्टेज पुरे नहीं मिलने के कारण जलते हैं, फसल जलती है, डी.पी. जलती है. उस पर गुस्सा किसी राजनेता को नहीं आता है. यह दुर्भाग्य की बात है. पुणे के पास मावल में किसानों ने आन्दोलन किया उस आन्दोलन पर गोली चलाई गई तीन (३) किसानों की म्रत्यु हो गई. राजनेता को गुस्सा नहीं आया.
कृषि मंत्री के नाते शरद पवार करोड़ों रुपयों का सडा-फुड़ा गेहूं आयात किया और जनता को खाने के लायक न होने के कारण जे.सी.बी. से बड़े-बड़े गड्डे करके ज़मीं में दफनाया गया. और देश के जनता के करोड़ो रुपयों का चुना लगाया. लेकिन उसका गुस्सा किसी भी राजनेता को नहीं आया? शरद पवार जी के एक रिश्तेदार पदमसिंह पाटिल जो शरद पवार के मंत्रिमंडल में मंत्री रहकर भ्रष्टाचार किया था. मैं जाँच करने का आग्रह किया. लेकिन जाँच नहीं हो रही थी. मैं आन्दोलन किया और उस मंत्री की जाँच हो गई. मंत्री दोषी पाया गया और उनको मंत्रीमंडल से निकलना पड़ा. उसका बदला लेने के लिए इस मंत्री ने मेरी हत्या करने के लिए तीस (३०) लाख रूपये की सुपारी दी थी. लेकिन मरने वाला जब पकड़ा गया तो उसने न्यायाधीश के सामने कबूल किया कि अन्ना हजारे को मारने की मुझे इस मंत्री ने सुपारी दी थी. उस कारण मंत्री को जेल जाना पड़ा. उस वक़्त किसी भी राजनेता को गुस्सा नहीं आया. जितना शरद पवार को एक थप्पड़ मारने का गुस्सा आ गया? विशेषतः पदमसिंह पाटिल भ्रष्टाचारी है, यह साबित हुआ था, मुझे मारने की सुपारी दी थी यह भी स्पष्ट हो गया था. फिर भी चुनाव के समय शरद पवार उनके कार्यक्रम में जाकर जनता को अपील किया था कि सभी कार्यकर्ताओं का पदमसिंह पाटिल का साथ देना है. भ्रष्टाचारी होते हुए शरद पवार उनको समर्थन करते है. लेकिन उस वक़्त भी राजनेताओं को को गुस्सा नहीं आया? इस लिए मैंने कहा था कि, भ्रष्टाचारियों को साथ में लेकर जाने कि शरद पवार की पुरानी आदत हैं. कई राजनेताओं को एक थप्पड़ का गुस्सा आकर कई बसें जलाकर राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान किया, कई दुकानें तोड़ फोड़ कर दी, कई निजी वाहनों को नुकसान पहुँचाया. इस बात पर किसी को गुस्सा नहीं आया. यह दुर्भाग्य की बात है.
हजारों कार्यकर्ताओं के साथ २० साल से हम आन्दोलन कर रहे है, लेकिन आज तक किसी भी राष्ट्रीय सम्पति का नुकसान नहीं होने दिया. किसी व्यक्ति की सम्पति का नुकसान नहीं होने दिया. दिनाक १६ अगस्त २०११ को देश के करोडो लोग रास्ते पर आ गए थे लेकिन किसी व्यक्ति ने एक पत्थर भी हाथ में नहीं उठाया. आन्दोलन करना दोष नहीं, लेकिन अहिंसा के मार्ग से आन्दोलन होना जरुरी है. राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान कर हम अपना ही नुकसान करते है. यह आन्दोलनकारियों की भावना होनी चाहिए. जो लोग महात्मा गाँधी जी के समाधि पर प्रार्थना करने गए थे. उन्हें इस बात को सोचना ज़रूरी है. भ्रष्टाचार किया स्पष्ट हो गया और पदमसिंह पाटिल जैसा आदमी जेल में भी गया ऐसा व्यक्ति प्रार्थना करता है?
१९९१/९२ में शरद पवार मुख्यमंत्री थे और वन विभाग के उच्च स्तर के अफसरों ने मिलकर बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया था. उनके सबूत मेरे हाथ में आये थे, मैं सबूत के साथ शरद पवार को बताया, सब सबूत है. इन अफसरों की जाँच करके उन पर कठोर कार्यवाही करें. लेकिन उनकी जाँच नहीं हुई. मैं लगातार दो साल कोशिश करता रहा. आखिर मैंने, राजीव गाँधी जी ने मुझे इंदिरा गाँधी वृक्षमित्र अवार्ड दिया था उसको वापस कर दिया. फिर भी शरद पवार ने उन पर कोई कार्यवाही नहीं की. आखिर मैंने, राष्ट्रपति ने मुझे पद्मश्री अवार्ड दिया था वह भी राष्ट्रपति जी को वापस कर दिया तब सरकार की नींद खुली और उन अफसरों की जाँच हुई और उन पर कार्यवाही करनी पड़ी. उस वक़्त गो.रा. खैरनार और हमारे आन्दोलन से सरकार गिर गई थी. महाराष्ट्र में पचास सालों में हजारों एकड़ वन जमीन गायब हुई है. उसके लिए शरद पवार ज़िम्मेदार है. मैं तीन साल से गायब ज़मीन की जाँच करने की मांग कर रहा हूँ. लेकिन जाँच नहीं हो रही है. अगर जाँच हो गई तो कौन ज़िम्मेदार है स्पष्ट हो जायेगा.
इस से पता चलता है की भ्रष्टाचारी लोगों को संभालने की शरद पवार को बहुत पुरानी आदत है. सन २००३ में शरद पवार के चार मंत्रियों ने भ्रष्टाचार किया था. उनके भ्रष्टाचार के सब सबूत मेरे हाथ में आये थे. मैंने आग्रह किया कि इन चार मंत्रियों के भ्रष्टाचार की जाँच करो. लेकिन सरकार जाँच करने को तैयार नहीं थी. मुझे आन्दोलन करना पड़ा. मैंने राष्ट्रपति को पद्मभूषण अवार्ड को वापस करने का नोटिस दिया था. जब उन मंत्रियों की जाँच करने को सरकार राज़ी ही गई. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पी.बी.सावंत आयोग की नियुक्ति हो गई. एक मंत्री ने हमारे बारे में भी शिकायत की और मंत्रियों के साथ साथ अन्ना हजारे की भी जाँच करने का आग्रह किया. मैं उसको मेरी और हमारे संस्था की जाँच की अनुमति दी, जब कर नहीं तो डर किस लिए?
चार मंत्रियों के लिए किसके लिए कौन वकील देना इसका नियोजन इन्ही से हुआ था. न्यायाधीश पी.बी. सावंत आयोग का कामकाज तारीख २१.१०.२००३ से शुरू हो गया. हर दिन सवेरे ११ बजे से शाम ५ बजे तक चलता रहा. एक साल दो महीने बाद तारीख २४.१२.२००३ को आयोग का कामकाज पूरा हो गया और आयोग की तरफ से अपनी रिपोर्ट सरकार को तारीख २३.०२.२००५ को भेज दिया. उस रिपोर्ट में चार मंत्रियों में से तीन मंत्रियों ने भ्रष्टाचार किया यह स्पष्ट हो गया. हमारे बारे मंत्रियों ने आयोग को बताया था कि अन्ना के सभी संस्थाओं के कुछ कागज लेने कि हमें अनुमति मिले. आयोग ने हमे पूछा मंत्री आपके संस्था के सभी कागज रालेगन सिद्धी में जाकर लेना चाहते हैं, तो हमने तुरंत अनुमति दी. मंत्रियों के तरफ से ६ सी.ए. (चार्टर्ड अकाउंटैंट) ६ दिन तक हमारी संस्था कि छानबीन करके आधा टेम्पो कागज फोटोकॉपी करके ले गए. उनका खाना, रहना सब इंतजाम रालेगन सिद्धी में हमारी संस्था ने किया था. लेकिन हमारा १०० रूपये का भी भ्रष्टाचार नहीं मिला. सिर्फ कागज समय पर नहीं भेजा, इतनी ही अनियमितता का दोष था. लेकिन उनको भ्रष्टाचार नहीं मिला और शरद पवार टीम का मैं दोषी है, मुझे जेल भेजने का सपना अधूरा ही रह गया. उनको लगता था अन्ना हजारे दोषी पाए जायेंगे और जेल जायेंगे. लेकिन तीन मंत्रियों को रिपोर्ट में भ्रष्टाचार स्पष्ट होने के कारण अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. मैं ५-६ सालों से सरकार को बार-बार कह रहा हूँ कि सावंत आयोग ने जिन मंत्रियों को भ्रष्टाचार के कारण दोषी पाया. उन पर क़ानूनी कार्यवाही की जाये. सरकार अभी भी उन पर क़ानूनी कार्यवाही करने को तैयार नहीं है. कारण वह शरद पवार जी के मंत्री है.
जनलोकपाल कानून आने के बाद इन मंत्रियों पर कार्यवाही करने के लिया आन्दोलन करना पड़ेगा. कारण कई बार इन मंत्रियों पर कार्यवाही करने के लिए मैं राज्य के मुख्यमंत्री को ख़त भेजे हैं. भ्रष्टाचारियों को संभालने की आदत बहुत पुरानी है. क्या होगा इस राज्य का? इस देश का? प्रश्न है विशेषत: ऐसे भ्रष्टाचारी मंत्री गाँधी जी की समाधि पर थप्पड़ मरने वाली को सद्बुद्धि मांग रहे है. मैं गाँव में संत यादव बाबा के मंदिर में रहता हूँ. सोने का एक बिस्तर खाने की एक थाली के आलावा कुछ नहीं रखा. करोड़ों रुपयें की योजनाएं अपनायीं लेकिन आज तक किसी बैंक में बैलेंस नहीं रखा. अपना पूरा जीवन समाज और देश की सेवा के लिए अर्पण ऐसे स्थिति में शरद पवार के कई मंत्रियों ने मेरे ऊपर अलग जगह पर कोर्ट में दावे लगाये हुए है. मेरे पास केस चलने के लिए पैसा नहीं है. ९/१० वकीलों ने एक रुपया न लेते हुए सात साल से केस लड़ रहे हैं. आज भी कोर्ट में केस चल रहे है और मुझे कोर्ट में हाजिर रहना पड़ता है. फकीर होने के कारण मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता हैं. जनता की सेवा और देश की सेवा में आनंद मिलता है. इस कारण दुःख महसूस होता नहीं.
एक थप्पड़ का गुस्सा कई लोगों को आया लेकिन पूरा जीवन समाज और देश के लिए अर्पण करते हुए इतनी तकलीफ दी जाती है. उसका गुस्सा किसी को नहीं आता. यह दुर्भाग्य की बात है. मेरी विनती है, मुझ पर गुस्सा आता है तो जैसे मेरे पुतले जलाये है. आगे भी जलाते रहो. मेरी प्रेतयात्रा निकालो, मेरी बदनामी के लिए चाहे जैसा करो. लेकिन राष्ट्र संपत्ति का कभी भी नुकसान मत करो. वह हमारी सब की संपत्ति समझ कर उसका जतन करो. शरद पवार के कार्यकर्ताओं ने मुझे माँ-बहन की गाली दिया है. उसका मैंने मेरे समाधान के लिए रिकॉर्ड (सीडी) करके रखा है. समय आने पर मैं जनता को बजाकर सुनाऊंगा. जब जब वह रिकॉर्ड मैं सुनूंगा तब मुझे और समाधान मिलेगा. इसलिए और भी गाली देना है तो दे दो मुझे गाली देने से दुःख नहीं होगा, लेकिन राष्ट्रीय सम्पति की हानि नहीं करना इससे मुझे बहुत दुःख होगा.
कि.बा. उपनाम अण्णा हज़ारे
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
सोनिया गांधी पर आरटीआई का अब तक नहीं मिला जवाब
सोनिया गांधी का मामला सिर्फ कांग्रेस पार्टी के लिए ही नहीं , देश की चुनावी मशीनरी को हैंडल करने वाले इलेक्शन कमिशन के लिए भी बहुत मायने रखता है। तभी तो जब सोनिया गांधी को इशू किए गए मतदाता पहचान पत्र का डिटेल आरटीआई के जरिए मांगा गया तो चुनाव आयोग में हड़कंप मच गया और फटाफट आवेदन की फाइल दूसरे डिपार्टमेंट को ट्रांसफर की जाने लगी। यहां तक कि मामला 9 विभाग को ट्रांसफर किया गया , मगर नतीजा सिफर ही है अब तक।
दरअसल , जुहू के आरटीआई कार्यकर्ता मनोरंजन रॉय ने 12 दिसंबर 2011 को चुनाव आयोग से सूचना अधिकार कानून के जरिए जानकारी मांगी थी कि सोनिया गांधी को कब मतदाता पहचान पत्र इशू किया गया था और श्रीमती गांधी ने यह मतदाता पत्र को पाने के लिए कौन से डॉक्युमेंट सबमिट किए थे। इसके अलावा सबमिट किए गए डॉक्युमेंट्स की भी कॉपी मांगी गई थी , और यह भी पूछा गया था कि अगर आपके ( चुनाव आयोग के ) पास यह जानकारी नहीं है तो इसे संबंधित विभाग में ट्रांसफर कर दिया जाए। चूंकि मामला सोनिया गांधी जैसी बड़ी हस्ती से जुड़ा था , सो चुनाव आयोग ने इस आवेदन को 19 दिसंबर को चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर ( रजिस्ट्रेशन ) को ट्रांसफर कर दिया और कहा कि वह चुनाव आयोग को बताए बिना पूरी जानकारी आवेदक को दे सकता है।
आरटीआई के इस मामले का मजाक तो तब बना जब 22 दिसंबर को चीफ इलेक्टोरल ऑफिस ने चुनाव आयोग से मिले लेटर को अपने 9 दफ्तरों में भेज दिया और कहा कि 7 दिनों में आवेदक को इन्फर्मेशन दिया जाए। मगर 7 दिन की मुद्दत के बदले 1 महीने और 7 दिन बीत गए हैं , मगर अब तक कोई जवाब नहीं आया है। आवेदक मनोरंजन रॉय का कहना है कि चुनाव आयोग इस मामले को दबाना चाहता है , क्योंकि जो जानकारी सीधे चुनाव आयोग से मिलनी चाहिए , उसे 9 विभागों में ट्रांसफर करने का क्या मतलब ? क्या मुझे 9 जगह एक ही जवाब पाने के लिए अपील करनी होगी , जो कि असंवैधानिक है। उनकी मांग है कि इस मामले में लीपापोती करने वाले अधिकारियों पर 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना वसूला जाना चाहिए।
दरअसल , जुहू के आरटीआई कार्यकर्ता मनोरंजन रॉय ने 12 दिसंबर 2011 को चुनाव आयोग से सूचना अधिकार कानून के जरिए जानकारी मांगी थी कि सोनिया गांधी को कब मतदाता पहचान पत्र इशू किया गया था और श्रीमती गांधी ने यह मतदाता पत्र को पाने के लिए कौन से डॉक्युमेंट सबमिट किए थे। इसके अलावा सबमिट किए गए डॉक्युमेंट्स की भी कॉपी मांगी गई थी , और यह भी पूछा गया था कि अगर आपके ( चुनाव आयोग के ) पास यह जानकारी नहीं है तो इसे संबंधित विभाग में ट्रांसफर कर दिया जाए। चूंकि मामला सोनिया गांधी जैसी बड़ी हस्ती से जुड़ा था , सो चुनाव आयोग ने इस आवेदन को 19 दिसंबर को चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर ( रजिस्ट्रेशन ) को ट्रांसफर कर दिया और कहा कि वह चुनाव आयोग को बताए बिना पूरी जानकारी आवेदक को दे सकता है।
आरटीआई के इस मामले का मजाक तो तब बना जब 22 दिसंबर को चीफ इलेक्टोरल ऑफिस ने चुनाव आयोग से मिले लेटर को अपने 9 दफ्तरों में भेज दिया और कहा कि 7 दिनों में आवेदक को इन्फर्मेशन दिया जाए। मगर 7 दिन की मुद्दत के बदले 1 महीने और 7 दिन बीत गए हैं , मगर अब तक कोई जवाब नहीं आया है। आवेदक मनोरंजन रॉय का कहना है कि चुनाव आयोग इस मामले को दबाना चाहता है , क्योंकि जो जानकारी सीधे चुनाव आयोग से मिलनी चाहिए , उसे 9 विभागों में ट्रांसफर करने का क्या मतलब ? क्या मुझे 9 जगह एक ही जवाब पाने के लिए अपील करनी होगी , जो कि असंवैधानिक है। उनकी मांग है कि इस मामले में लीपापोती करने वाले अधिकारियों पर 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना वसूला जाना चाहिए।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
IAC plans to start group discussion/charcha samuh all over India.
IAC plans to start group discussion/charcha samuh all over India. If you are also interested in starting a discussion group in your area please watch the video.
For further information also visit:
http://www.indiaagainstcorruption.org/start-your-discussion-forum.html
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
Cannot censor the Web: Google to India
Ahead of a court hearing, technology giant Google facing controversy in India for allegedly hosting obscene and objectionable content has made it clear that it is not possible for the company to monitor everything on its website.
Google and Facebook are among the 21 companies whose executives have been summoned to appear in person in a lower court in Delhi on March 13.
“I am hoping there will be a balanced debate around it and eventually the right thing would happen,” Google's Chief Business Officer Nikesh Arora said.
“We cannot censor the Web. We cannot censor the ability of people to express themselves around the world,” Mr. Arora said here. “You are asking to censor the entire World Wide Web. The web has no borders. I think the idea of censoring everything and pre-clearing everything is going to fundamentally, sort of, taint the growth of the Indian economy,” he added.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGESGoogle and Facebook are among the 21 companies whose executives have been summoned to appear in person in a lower court in Delhi on March 13.
“I am hoping there will be a balanced debate around it and eventually the right thing would happen,” Google's Chief Business Officer Nikesh Arora said.
“We cannot censor the Web. We cannot censor the ability of people to express themselves around the world,” Mr. Arora said here. “You are asking to censor the entire World Wide Web. The web has no borders. I think the idea of censoring everything and pre-clearing everything is going to fundamentally, sort of, taint the growth of the Indian economy,” he added.
अन्ना हजारे की तबीयत बिगड़ी, इलाज के लिए दिल्ली आएंगे
नई दिल्ली। समाजसेवी अन्ना हजारे की तबीयत अचानक बिगड़ गई है। बताया जा रहा है कि एलयोपेथिक की दवाओं की वजह से उन्हें साइड इफेक्ट हो गया है। अब अन्ना को आगे के इलाज के लिए दिल्ली लाया जाएगा। इसके बाद उन्हें गुड़गांव के मेदांता मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा। मालूम हो कि अभी तक अन्ना का इलाज पुणे के संचेती अस्पताल के डॉक्टर कर रहे थे।
इस बारे में टीम अन्ना के सदस्य मनीष सिसौदिया ने कहा कि अन्ना की तबीयत काफी खराब है। पिछले कुछ दिनों से अन्ना से शरीर में दर्द बढ़ गया था और सूजन बी बढ़ गई थी। इसलिए पुरी जांच के लिए वो दिल्ली आएंगे। तबीयत खराब होने के वजह से अन्ना पांच राज्यों के चुनाव में दौरा नहीं कर पाए हैं।
जानकारी के मुताबिक अन्ना कल दिल्ली आएंगे और एयरपोर्ट से सीधे मेदांता अस्पताल जाएंगे। जहां वो 2-3 दिन तक भर्ती रहेंगे। वहां पर उनके जरूरी टेस्ट किए जाएंगे। जिसके बाद किस तरीके से उनका इलाज किया जाए इल पर विचार किया जाएगा। कहा जा रहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो अन्ना को आयुर्वेद विधि से इलाज के लिए बैंगलोर भी ले जाया जा सकता है। गौरतलब है कि इससे पहले भी मेदांता अस्पताल के डॉक्टर अन्ना का इलाज कर चुके हैं।
इस बारे में टीम अन्ना के सदस्य मनीष सिसौदिया ने कहा कि अन्ना की तबीयत काफी खराब है। पिछले कुछ दिनों से अन्ना से शरीर में दर्द बढ़ गया था और सूजन बी बढ़ गई थी। इसलिए पुरी जांच के लिए वो दिल्ली आएंगे। तबीयत खराब होने के वजह से अन्ना पांच राज्यों के चुनाव में दौरा नहीं कर पाए हैं।
जानकारी के मुताबिक अन्ना कल दिल्ली आएंगे और एयरपोर्ट से सीधे मेदांता अस्पताल जाएंगे। जहां वो 2-3 दिन तक भर्ती रहेंगे। वहां पर उनके जरूरी टेस्ट किए जाएंगे। जिसके बाद किस तरीके से उनका इलाज किया जाए इल पर विचार किया जाएगा। कहा जा रहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो अन्ना को आयुर्वेद विधि से इलाज के लिए बैंगलोर भी ले जाया जा सकता है। गौरतलब है कि इससे पहले भी मेदांता अस्पताल के डॉक्टर अन्ना का इलाज कर चुके हैं।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
फर्जीवाडा
प्रशिक्षित शिक्षकों की इस सूची की पडताल बताती है कि इस सूची में, जिसमें 34540 शिक्षकों को जिला आवंटित किया गया है, भारी गडबडी है. अनियमितताएं है. फर्जीवाडा है. चौथी दुनिया की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट:
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
लाला लाजपत राय को उनकी 147 वें जन्म तिथि पर शत् शत् नमन्
पंजाब केसरी (शेर-ए-पंजाब) लाला लाजपत राय(28 January 1865 – 17 November 1928) को उनकी 147 वें जन्म तिथि पर शत् शत् नमन् ॥
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
मैंने कभी हिंसा की वकालत नहीं की: अन्ना
भ्रष्टाचार के लिए थप्पड़ संबंधी टिप्पणी को लेकर विवादों में घिरे अन्ना हजारे ने इससे अपने को अलग करने का प्रयास करते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी हिंसा की वकालत नहीं की और आरोप लगाया कि राजनेताओं का एक वर्ग उन्हें बड़े अपराधी के रूप में पेश करने का षडयंत्र कर रहा है.
हजारे ने अपने ताजा ब्लाग में कहा कि वह कई वर्षों से भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं लेकिन उन्होंने कभी भी मारपीट करने की बात नहीं की.
उन्होंने कहा कि लेकिन मेरे साथ कई बार इसे (किसी के साथ मारपीट) जोड़ा गया. अब मेरी बात सुने या समझे बिना मुझे बड़े अपराधी के रूप में पेश किया जा रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. उनका यह बयान फिल्म ‘गली गली चोर है’ देखने के बाद की गयी उनकी कथित टिप्पणी पर पैदा विवाद के बाद आया है.
मजबूत लोकपाल विधेयक के लिए आंदोलन का जिक्र करते हुए 74 वर्षीय हजारे ने कहा कि उन्होंने कभी भी हिंसा की भाषा का इस्तेमाल नहीं किया और उनके सभी आंदोलन अहिंसक रहे हैं
हजारे ने अपने ताजा ब्लाग में कहा कि वह कई वर्षों से भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं लेकिन उन्होंने कभी भी मारपीट करने की बात नहीं की.
उन्होंने कहा कि लेकिन मेरे साथ कई बार इसे (किसी के साथ मारपीट) जोड़ा गया. अब मेरी बात सुने या समझे बिना मुझे बड़े अपराधी के रूप में पेश किया जा रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. उनका यह बयान फिल्म ‘गली गली चोर है’ देखने के बाद की गयी उनकी कथित टिप्पणी पर पैदा विवाद के बाद आया है.
मजबूत लोकपाल विधेयक के लिए आंदोलन का जिक्र करते हुए 74 वर्षीय हजारे ने कहा कि उन्होंने कभी भी हिंसा की भाषा का इस्तेमाल नहीं किया और उनके सभी आंदोलन अहिंसक रहे हैं
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
Uttar Pradesh ke karmath apradhi ummidwar: ...
Congress:
Kalawati Bind (Zamania) – A former village chief, Kalawati is contesting the first assembly election of her life, from jail. She along with many others was charged with lynching a policeman, T Rama Rao, in January last year.
Babban Rajbhar (Rasra) – He is facing charges of abduction, vandalism, violence and threat to murder. He had contested the last election on a BSP ticket.
Ajay Rai (Pindra) – Rai has been charged with cases of arson, loot, inciting violence, attempt to murder and creating obstruction in official work. In the past Rai had contested under the banner of the BJP.
Fakhir Siddiqui (Lucknow Central) – Siddiqui is facing charges like arson, violence, threatening a government employee and obstructing government functioning etc. In the past he has enjoyed the hospitality of both SP and BSP.
Vijay Dubey (Khadda) – A former BJP candidate, Dubey is facing charges of attempt to murder, loot, arson and threatening a government employee in office.
Samajwadi Party:
Kaptan Singh Rajput (Charkhari) – Kaptan Singh along with his brother Brijnandan Singh operates a gang in Mahoba and Jalaun where 15 different cases are registered against them. These include charges under the Arms Act and Gangster Act. Kaptan Singh is contesting for an assembly seat for the first time.
Bhagwan Sharma (Dibai) – Sharma was arrested thrice – once for murder, once for rape and later for abducting block level officers during a local body election. Sharma was with the BSP in the last election.
Mehboob Ali (Amroha) – Ali is facing over two dozen cases and he has been booked under the Gangster Act. In 2002, he contested the election from jail from SP ticket.
Abhai Singh (Gosaiganj) – Abhai Singh is facing murder charges along with over two dozen other cases such as crime, including arson and inciting violence. In the last election he contested from the BSP.
Mitrasen Yadav (Bikapur) – Yadav had been convicted for murder but was pardoned. Recently he has again been convicted under serious corruption charges. He, too, is facing over two dozen serious cases of crime. Even his son Anandsen has been convicted for murder. Mitrasen started as a communist leader then went to the SP and in last election he joined the BSP.
BJP:
Radhey Shyam Gupta (Fatehpur) – Gupta is facing cases of looting, violence, arson besides charges of threatening to murder.
Lallu Singh (Ayodhya) – Singh, a leader who emerged after the Babri Masjid demolition, has been facing cases of dacoity, threatening government officials in their office and restricting official work and of inciting violence. Lallu has always been a BJP man.
Santram Senger (Madhavgarh) – Senger, a BJP man, is facing charges of arson, inciting violence and threatening government officers. He is also facing cases under the SC/ST Act.
Baavan Singh (Katra) – He is facing cases of attempt to murder, issuing murder threats, inciting violence and many such serious charges. Singh is a first timer.
Udaybhan Karwaria (Allahabad) – A sitting MLA, Karwaria is facing cases of murder and attempt to murder. His elder borther Kapilmani Karwari is a MP from the BSP.
BSP:
Ram Sewak Patel (Badaun) – Patel has been involved in about two dozen cases, including murder, attempt to murder, violence, arson and under Arms Act. He had contested in the last assembly election as an independent.
Indra Pratap Tiwari (Gosaiganj) – Once upon a time, Tiwari was facing more than two dozen cases of serious crimes. He contested the last elections on the SP ticket but could not win.
Manoj Tiwari (Pratapgarh) – There is a non-bailable warrant against Tiwari in a murder case. He has been declared absconding. Besides that he is facing involvement in over a dozen other criminal cases.
Haji Alim (Bulandshahr) – Alim is facing a non-bailable warrant for his involvement in a rape and molestation case. He is a sitting MLA of the BSP. He runs a circus and during Mulayam’s regime his circus was raided and over 15 minor girls from Nepal were rescued.
Noor Saleem Rana (Charthawal) – Rana is involved in several criminal cases, including murder.
The state also has many others in jail who are using their clout to help their family members in the poll fray. Amarmani Tripathi, who is in Hardwar jail for the murder of a politically ambitious poetess Madhumita Shukla, is a case in point. The strict jail rules have not stopped Tripathi from recording a video on a mobile. The DVDs made out of it are being used as publicity material for his son Amanmani Tripathi, who is contesting on a Samajwadi Party ticket. In his speech, Amarmani is seen pleading to people to ensure the victory of SP so that he could be set free.
Besides, SP MLA, Vijay Mishra, who was involved in the murder of a BSP MLA Nand Gopal Nandi in 2010 in Allahabad, is also contesting from jail.
A majority of these leaders claim that the cases they are facing are politically motivated and were filed when they were out of power.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
….फिर भी थप्पड़ को मेरे साथ जोड़ा जा रहा है
पिछले ३० साल से मैं भ्रष्टाचारियों के खिलाफ़ लड़ रहा हूं, न मैंने किसी को थप्पड़ मारा है, न ही किसी को मारने के लिए कहा, फिर भी थप्पड़ को मेरे साथ जोड़ा जा रहा है। थप्पड़ के बारे में मेरे बयान को बगैर सोचे, न समझते हुए इस देश के बहुत बड़े अपराधी के रूप में मेरा चित्र रंगाया जा रहा है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।
मैं तो पहले भी बता चुका हूं कि गांधीजी के पैरों के पास बैठने की भी मेरी पात्रता नहीं है, गांधीजी के साथ मुझे जोड़ना ठीक नहीं। गांधीजी ने तो किसी के लिए कठोर शब्द प्रयोग करने का भी शुमार हिंसा में किया है। लेकिन मैंने कई बार देश और समाज के साथ गद्दारी करने वालों का विरोध कर कठोर शब्दों का प्रयोग किया है, जो कि मैं मानता हूं कि देश और समाज की भलाई के ही लिए किया है, हालाँकि गांधीजी के विचारों में वह भी हिंसा ही है।
एक दुर्भाग्यपूर्ण साजिश के तहत थप्पड़ के बारे में गलतफहमियाँ फैला कर मेरी बदनामी करने के प्रयास किये जा रहे हैं। यह पहली घटना नहीं है। मेरी बदनामी की कोशिशें कई बार हो चुकी हैं। लेकिन सत्य हमेशा सत्य ही होता है। इतिहास गवाह है कि सत्य को कोई झूठ नहीं साबित कर पाया। फिर भी सत्य के मार्ग पर चलने वालों को काफी तकलीफें सहनी पड़ी हैं। उनकी हमेशा निन्दा होती रही है, बुराई के साथ उन्हें संघर्ष भी करना पड़ा है, फिर हम पाते हैं कि मानव जाति के इतिहास में सत्य कभी भी पराजित नहीं हुआ। सत्य हमेशा सत्य ही रहा है। इस बात का मैंने अपने जीवन में खुद अनुभव किया है। पिछले २५ सालों से मेरी बदनामी के प्रयास होते रहे हैं। लेकिन मन्दिर में रहने वाले अण्णा पर उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि अण्णा अपने निजी स्वार्थ के लिए कुछ भी तो नहीं कर रहा है। निन्दा करने वालों को मैं बताना चाहता हूं कि थप्पड़ का सच क्या है। ‘अण्णा कहते हैं भ्रष्टाचारियों को थप्पड़ मारो।’ इसी बात को लेकर इस थप्पड़ को गांधीजी की समाधि के साथ तक जोड़ा गया…’गांधी के चोले में थप्पड़’, ‘क्यों पड़ी अण्णा को थप्पड़ की जरूरत’, वगैरह-वगैरह। इन बातों को कह कर मेरी बदनामी का चित्र रंगाया गया जो कि मैं समझता हूं कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है।
१६ अगस्त को रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के विरोध में हुए आन्दोलन में करोड़ों की संख्या में देश की जनता रास्ते पर उतर आई थी। मैंने बार-बार जनता से अपील की कि सभी भाई-बहनों ने, युवकों ने शान्ति के मार्ग ही से आन्दोलन करना है। कहीं पर भी हिंसा नहीं करनी है। अहिंसा में बहुत शक्ति है। अगर कहीं छुटपुट भी हिंसा हुई तो सरकार इस आन्दोलन को तोड़ देगी, कुचल देगी। इतना विशाल आन्दोलन हुआ मगर पूरा का पूरा शान्तिपूर्ण हुआ। न सिर्फ देश में बल्कि पूरी दुनिया में इस बात की चर्चा जरूर हुई कि भारत में करोड़ों लोग रास्ते पर उतर आए, पर देश भर में कहीं भी एक पत्थर भी किसी ने नहीं उठाया। इसके पीछे क्या रहस्य छिपा है?
२५ सालों से आन्दोलन चल रहे हैं, कभी भी जीवन में हिंसा का विचार नहीं आया। १६ अगस्त २०११ के इतने बड़े आन्दोलन में कभी हिंसा का विचार मन में नहीं आया। वहीं आन्दोलन के सिर्फ चार महीने बाद हिंसा करने या करवाने के विचार कैसे आ सकते हैं? इन चार महीनों के दौरान कई स्थानों पर मेरी बड़ी-बड़ी सभाएं हुईं। न मैंने कहीं हिंसा की बात रखी, न ही जनता ने भी हिंसा की है। भारतीय सेना में सेवा के दौरान १९६३ से लेकर १९७६ तक १२ वर्ष मैं पाकिस्तान जैसे देश के दुश्मन के साथ लड़ता रहा। खुद के स्वार्थ के लिए नहीं पर देश व समाज के हित के लिए मैंने २६ साल की उम्र में लड़ाई में भी हिस्सा लिया है। आज भी देश में छिपे हुए भ्रष्टाचारियों के साथ जंग जारी है, पर हिंसात्मक नहीं, अहिंसा के मार्ग से जारी है। १९७५ में पहले तो स्वामी विवेकानन्द जी और बाद में गांधीजी के विचारों का प्रभाव जीवन पर हुआ। उस कारण जीवन में कभी भी किसी के साथ हिंसात्मक लड़ाई नहीं की। २५ सालों से भ्रष्ट प्रवृत्ति के खिलाफ़ चल रही इस लड़ाई में राजनीति के कई खिलाड़ियों ने यदि मेरी हद से ज्यादा बदनामी की है, मुझे जेल में भी भिजवाया गया, तरह-तरह के दुर्व्यवहार किये गये, फिर भी मैंने कभी भी थप्पड़ मारने की भाषा नहीं की। इतने वर्षों में न मैंने किसी को थप्पड़ मारा, न ही किसी को मारने के लिए उकसाया। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ़ कानूनी लड़ाई के फलस्वरूप ६ कैबिनेट मिनिस्टर तथा ४०० से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों को अपने घर जाना पड़ा। उस समय भी मेरे साथ उन लोगों ने भाँति-भाँति के दुर्व्यवहार किये, लेकिन उनके साथ भी थप्पड़ की भाषा मैंने कभी नहीं की। समाज और देश की भलाई के लिए कई बार मैंने आन्दोलन किये लेकिन उनमें हमेशा खुद आत्मक्लेश करना और उसकी संवेदना जनता को हो इसी प्रकार से आन्दोलन किये गये, कभी भी थप्पड़ की भाषा का प्रयोग नहीं हुआ।
आत्मक्लेश के तीन अनशन पिछले १० महीनों में किये, नतीजा यह हुआ कि महीने भर से बीमार पड़ा हूं। फिर भी मेरा हौसला कम नहीं हुआ है। पूर्णतया स्वस्थ हो जाऊं तो फिर से भ्रष्टाचारी प्रवृत्ति के विरोध में मैं देश भर में जनता को सम्बोधित करने निकल पडूंगा। उसमें थप्पड़ की बात कभी भी नहीं होगी। कुछ लोगों ने जो यह थप्पड़ का माहौल खड़ा किया है उसके पीछे असलियत क्या है यह मैं जनता को बताना चाहता हूं। वैसे मैं कभी फिल्में देखता नहीं और बीमारी के कारण महीने भर से कमरे के बाहर भी नहीं गया। हमारे कार्यकर्ता यह सन्देश ले आए कि एक फिल्म बनी है ‘गली-गली में चोर’ जो कि भ्रष्टाचार निर्मूलन के विषय पर बनाई गई है। इस फिल्म को दिखाने हेतु फिल्म के निर्माता एवं कलाकार हमारे गाँव में आ रहे हैं। मुझे फिल्म दिखाने की उनकी तीव्र इच्छा थी और चूंकि भ्रष्टाचार निर्मूलन विषय पर आधारित है इसलिए फिल्म देखने को मैं राजी हो गया। मैंने फिल्म देखी। एक परिवार पर पुलिस व राजनीति वाले मिल कर इतने अन्याय अत्याचार करते हैं कि उनका जीना दूभर हो जाता है। अत्याचार सहने की उनकी क्षमता खत्म हो जाती है। पुलिस वाले और राजनायिक विधायक मिल कर उन्हें झूठे मुकदमे में फँसा देते हैं, सताते जाते हैं, फर्जी कागज़ात बना कर उन्हें घर से बेघर करने की कोशिश करते हैं। यह ज़ुल्मों सितम इतना हद से बढ़ जाता है कि अब इसके आगे सह पाना उन्हें असम्भव हो जाता है। आखिरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ने वाला उस परिवार का मुखिया तंग आकर पुलिस वाला और विधायक दोनों के मुंह पर थप्पड़ जमा देता है और जनता को संगठित कर एक जन आन्दोलन को आरम्भ कर देता है।
फिल्म देखने के बाद मुझे फिल्म के बारे में पूछा गया तो मैंने बताया कि फिल्म अच्छी बनी है। आदमी की सहन करने की भी सीमा होती है। अन्याय अत्याचार हद से बढ़ जाए और वह सीमा लाँघ जाएं तो उस आदमी के सामने सिवा थप्पड़ मारने के क्या पर्याय रहता है? यही बात मैंने मीडिया के सामने भी कही। अण्णा हजारे ने न तो किसी को थप्पड़ मारा और न ही किसी को थप्पड़ मारने का सन्देश दिया। बस, इतना ही कहा कि जब सहन करने की क्षमता खत्म हो जाती है तो अन्याय और अत्याचार से ग्रस्त आदमी के सामने सिवा थप्पड़ मारने के कोई पर्याय नहीं बचता।
गांधीजी और स्वामी विवेकानन्द जी के विचारों से प्रेरणा पाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ाई लड़ रहा हूं। इस लड़ाई में मैंने किसी को भी थप्पड़ नहीं मारा है और न ही भविष्य में कभी मारूंगा। लेकिन यह एक मिसाल है कि कोई बदनामी करने पर उतारू हो ही जाए तो कैसे बदनामी की जाती है। न मैंने थप्पड़ मारा, न किसी को मारने के लिए उकसाया। फिल्म देख कर जैसे मुझे लगा मैंने बता दिया। उसी बात को लेकर राजनीति होने लगी और कई लोग षड़यन्त्र बनाने में जुट गये।
जाहिर है कि राजनीति से जुड़े कई लोगों ने हमारे आन्दोलन को बदनाम करने का षड़यन्त्र रचा है। टीम अण्णा के सभी सदस्यों पर आरोप प्रत्यारोप कर उन्हें बदनाम करने की कई कोशिशें हुई हैं। मेरी बदनामी के भी कई प्रयास हुए। सुना है कि राजनीति वालों ने इस काम में करोड़ों रुपये खर्च भी किये हैं। फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिली क्योंकि मैंने अपने जीवन में कहीं छोटा दाग भी नहीं लगने दिया। ऊपर बताये जैसे कोई उदाहरण मेरे साथ जोड़कर मुझे बदनाम करने की साजिश की जाती है। मेरी बदनामी करने वालों को मेरी विनती है कि मैंने क्या बोला इसका सच यदि जानना चाहते हों तो ‘ऑनलाईन प्रश्न-उत्तर’ हो जाएं। किसने किसको क्या कहा और फिल्म में जो थप्पड़ मारा गया उसकी असलियत क्या है इस पर बहस करने को मैं तैयार हूं। मुझे इस बात का भी अन्देशा है कि वे राजनायिक जो हमारे आन्दोलन को एक खतरे के रूप में देखते हैं, उन्होंने हमारी बदनामी का षड़यन्त्र रचा है। लेकिन उन लोगों ने कितने भी कोशिशें कीं तो भी हमारे आन्दोलन पर न ही इसके पूर्व में भी कोई असर हुआ है और न ही भविष्य में भी पड़ेगा।
जिस आदमी ने अपना जीवन समाज और देश के लिए अर्पण किया है, ३५ साल पूर्व अपना घर छोड़ने के बाद फिर से कभी घर नहीं लौटा, अपने भाइयों के बच्चों के नाम तक जिसको मालूम नहीं, करोड़ों रुपयों की योजनाएं पूरी कीं पर कहीं भी बैंक बैलेन्स नहीं रखा है, ऐसे आदमी पर उन राजनायिकों ने कितने भी झूठे आरोप लगाये तो भी क्या होने वाला है? ना ही जनता पर उसका कोई असर होगा। क्यों कि सच तो सच ही होता है। जो आदमी अपने जीवन में शुद्ध आचार, शुद्ध विचार, निष्कलंक जीवन, त्याग और अपमान सहने की शक्ति रखता हो, उसी के शब्दों का लोगों पर प्रभाव होता है। भ्रष्टाचार में डूबे लोगों ने कितने ही आरोप लगाये तो भी उनका असर नहीं होगा।
मेरा स्वास्थ्य सुधरने के बाद जब मैं देश भर में निकल पडूंगा तब इन भ्रष्टाचारियों की समझ में आएगा कि ऐसे आरोपों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। बीमारी के कारण मैं पाँच राज्यों में नहीं जा पाया, लेकिन २०१४ में होने वाले चुनावों के पहले मैं पूरे देश भर में जाऊंगा और मतदाताओं को जगाऊंगा। भ्रष्टाचार के विरोध में जो लम्बी लड़ाई लड़नी है, उसकी तैयारी करूंगा। जनता हमारे साथ है। क्योंकि जनता के लिए भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या है, और उसी की लड़ाई हम लड़ रहे हैं।
केन्द्र में जन लोकपाल, राज्यों में जन लोकायुक्त, ग्राम सभा को पूरे अधिकार, राईट टू रिजेक्ट जैसे कई कानून बनवाने हैं। आज गरीब किसानों की जमीनें मार पीट कर हथिया ली जाती हैं, जैसा कि कभी अंग्रेजों के जमाने में हुआ करता था। शिक्षा के क्षेत्र में भी कई सारी समस्याएं हैं, जिस वजह से गरीबों के बच्चें उच्च शिक्षा नहीं ले पाते हैं।
सही मायने में देश में प्रजातन्त्र लाना हो तो इन विषयों को लेकर लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ेगी जो कई वर्षों तक चल सकती है। देश में प्रजातन्त्र, गणतन्त्र कायम करने के लिए एक ही रास्ता है और वह है जन आन्दोलन का। रात-दिन भ्रष्टाचार में लगे लोगों ने कितने भी आरोप लगाए तो भी ऐसे आरोपों का कोई प्रभाव नहीं होगा। ये लोग ना तो भ्रष्टाचार को मिटाएंगे, ना ही गणतन्त्र- प्रजातन्त्र को कारगर बनाने का प्रयास करेंगे। क्योंकि अगर वे ऐसा करेंगे तो उन्हें डर है कि कहीं अपने हाथों में केन्द्रित सत्ता कम न हो जाये। उन्हें तो ऐसा करने को बाध्य करना होगा और वह केवल जन आन्दोलन के माध्यम से ही सम्भव है। और इसी कारण हमारे संविधान ने जनता को आन्दोलन करने का मौलिक अधिकार दिया है। उसी अधिकार का प्रयोग कर हम सब जनता को उसके अधिकार दिलाने की भरसक कोशिश करेंगे।
मैं तो पहले भी बता चुका हूं कि गांधीजी के पैरों के पास बैठने की भी मेरी पात्रता नहीं है, गांधीजी के साथ मुझे जोड़ना ठीक नहीं। गांधीजी ने तो किसी के लिए कठोर शब्द प्रयोग करने का भी शुमार हिंसा में किया है। लेकिन मैंने कई बार देश और समाज के साथ गद्दारी करने वालों का विरोध कर कठोर शब्दों का प्रयोग किया है, जो कि मैं मानता हूं कि देश और समाज की भलाई के ही लिए किया है, हालाँकि गांधीजी के विचारों में वह भी हिंसा ही है।
एक दुर्भाग्यपूर्ण साजिश के तहत थप्पड़ के बारे में गलतफहमियाँ फैला कर मेरी बदनामी करने के प्रयास किये जा रहे हैं। यह पहली घटना नहीं है। मेरी बदनामी की कोशिशें कई बार हो चुकी हैं। लेकिन सत्य हमेशा सत्य ही होता है। इतिहास गवाह है कि सत्य को कोई झूठ नहीं साबित कर पाया। फिर भी सत्य के मार्ग पर चलने वालों को काफी तकलीफें सहनी पड़ी हैं। उनकी हमेशा निन्दा होती रही है, बुराई के साथ उन्हें संघर्ष भी करना पड़ा है, फिर हम पाते हैं कि मानव जाति के इतिहास में सत्य कभी भी पराजित नहीं हुआ। सत्य हमेशा सत्य ही रहा है। इस बात का मैंने अपने जीवन में खुद अनुभव किया है। पिछले २५ सालों से मेरी बदनामी के प्रयास होते रहे हैं। लेकिन मन्दिर में रहने वाले अण्णा पर उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि अण्णा अपने निजी स्वार्थ के लिए कुछ भी तो नहीं कर रहा है। निन्दा करने वालों को मैं बताना चाहता हूं कि थप्पड़ का सच क्या है। ‘अण्णा कहते हैं भ्रष्टाचारियों को थप्पड़ मारो।’ इसी बात को लेकर इस थप्पड़ को गांधीजी की समाधि के साथ तक जोड़ा गया…’गांधी के चोले में थप्पड़’, ‘क्यों पड़ी अण्णा को थप्पड़ की जरूरत’, वगैरह-वगैरह। इन बातों को कह कर मेरी बदनामी का चित्र रंगाया गया जो कि मैं समझता हूं कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है।
१६ अगस्त को रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के विरोध में हुए आन्दोलन में करोड़ों की संख्या में देश की जनता रास्ते पर उतर आई थी। मैंने बार-बार जनता से अपील की कि सभी भाई-बहनों ने, युवकों ने शान्ति के मार्ग ही से आन्दोलन करना है। कहीं पर भी हिंसा नहीं करनी है। अहिंसा में बहुत शक्ति है। अगर कहीं छुटपुट भी हिंसा हुई तो सरकार इस आन्दोलन को तोड़ देगी, कुचल देगी। इतना विशाल आन्दोलन हुआ मगर पूरा का पूरा शान्तिपूर्ण हुआ। न सिर्फ देश में बल्कि पूरी दुनिया में इस बात की चर्चा जरूर हुई कि भारत में करोड़ों लोग रास्ते पर उतर आए, पर देश भर में कहीं भी एक पत्थर भी किसी ने नहीं उठाया। इसके पीछे क्या रहस्य छिपा है?
२५ सालों से आन्दोलन चल रहे हैं, कभी भी जीवन में हिंसा का विचार नहीं आया। १६ अगस्त २०११ के इतने बड़े आन्दोलन में कभी हिंसा का विचार मन में नहीं आया। वहीं आन्दोलन के सिर्फ चार महीने बाद हिंसा करने या करवाने के विचार कैसे आ सकते हैं? इन चार महीनों के दौरान कई स्थानों पर मेरी बड़ी-बड़ी सभाएं हुईं। न मैंने कहीं हिंसा की बात रखी, न ही जनता ने भी हिंसा की है। भारतीय सेना में सेवा के दौरान १९६३ से लेकर १९७६ तक १२ वर्ष मैं पाकिस्तान जैसे देश के दुश्मन के साथ लड़ता रहा। खुद के स्वार्थ के लिए नहीं पर देश व समाज के हित के लिए मैंने २६ साल की उम्र में लड़ाई में भी हिस्सा लिया है। आज भी देश में छिपे हुए भ्रष्टाचारियों के साथ जंग जारी है, पर हिंसात्मक नहीं, अहिंसा के मार्ग से जारी है। १९७५ में पहले तो स्वामी विवेकानन्द जी और बाद में गांधीजी के विचारों का प्रभाव जीवन पर हुआ। उस कारण जीवन में कभी भी किसी के साथ हिंसात्मक लड़ाई नहीं की। २५ सालों से भ्रष्ट प्रवृत्ति के खिलाफ़ चल रही इस लड़ाई में राजनीति के कई खिलाड़ियों ने यदि मेरी हद से ज्यादा बदनामी की है, मुझे जेल में भी भिजवाया गया, तरह-तरह के दुर्व्यवहार किये गये, फिर भी मैंने कभी भी थप्पड़ मारने की भाषा नहीं की। इतने वर्षों में न मैंने किसी को थप्पड़ मारा, न ही किसी को मारने के लिए उकसाया। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ़ कानूनी लड़ाई के फलस्वरूप ६ कैबिनेट मिनिस्टर तथा ४०० से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों को अपने घर जाना पड़ा। उस समय भी मेरे साथ उन लोगों ने भाँति-भाँति के दुर्व्यवहार किये, लेकिन उनके साथ भी थप्पड़ की भाषा मैंने कभी नहीं की। समाज और देश की भलाई के लिए कई बार मैंने आन्दोलन किये लेकिन उनमें हमेशा खुद आत्मक्लेश करना और उसकी संवेदना जनता को हो इसी प्रकार से आन्दोलन किये गये, कभी भी थप्पड़ की भाषा का प्रयोग नहीं हुआ।
आत्मक्लेश के तीन अनशन पिछले १० महीनों में किये, नतीजा यह हुआ कि महीने भर से बीमार पड़ा हूं। फिर भी मेरा हौसला कम नहीं हुआ है। पूर्णतया स्वस्थ हो जाऊं तो फिर से भ्रष्टाचारी प्रवृत्ति के विरोध में मैं देश भर में जनता को सम्बोधित करने निकल पडूंगा। उसमें थप्पड़ की बात कभी भी नहीं होगी। कुछ लोगों ने जो यह थप्पड़ का माहौल खड़ा किया है उसके पीछे असलियत क्या है यह मैं जनता को बताना चाहता हूं। वैसे मैं कभी फिल्में देखता नहीं और बीमारी के कारण महीने भर से कमरे के बाहर भी नहीं गया। हमारे कार्यकर्ता यह सन्देश ले आए कि एक फिल्म बनी है ‘गली-गली में चोर’ जो कि भ्रष्टाचार निर्मूलन के विषय पर बनाई गई है। इस फिल्म को दिखाने हेतु फिल्म के निर्माता एवं कलाकार हमारे गाँव में आ रहे हैं। मुझे फिल्म दिखाने की उनकी तीव्र इच्छा थी और चूंकि भ्रष्टाचार निर्मूलन विषय पर आधारित है इसलिए फिल्म देखने को मैं राजी हो गया। मैंने फिल्म देखी। एक परिवार पर पुलिस व राजनीति वाले मिल कर इतने अन्याय अत्याचार करते हैं कि उनका जीना दूभर हो जाता है। अत्याचार सहने की उनकी क्षमता खत्म हो जाती है। पुलिस वाले और राजनायिक विधायक मिल कर उन्हें झूठे मुकदमे में फँसा देते हैं, सताते जाते हैं, फर्जी कागज़ात बना कर उन्हें घर से बेघर करने की कोशिश करते हैं। यह ज़ुल्मों सितम इतना हद से बढ़ जाता है कि अब इसके आगे सह पाना उन्हें असम्भव हो जाता है। आखिरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ने वाला उस परिवार का मुखिया तंग आकर पुलिस वाला और विधायक दोनों के मुंह पर थप्पड़ जमा देता है और जनता को संगठित कर एक जन आन्दोलन को आरम्भ कर देता है।
फिल्म देखने के बाद मुझे फिल्म के बारे में पूछा गया तो मैंने बताया कि फिल्म अच्छी बनी है। आदमी की सहन करने की भी सीमा होती है। अन्याय अत्याचार हद से बढ़ जाए और वह सीमा लाँघ जाएं तो उस आदमी के सामने सिवा थप्पड़ मारने के क्या पर्याय रहता है? यही बात मैंने मीडिया के सामने भी कही। अण्णा हजारे ने न तो किसी को थप्पड़ मारा और न ही किसी को थप्पड़ मारने का सन्देश दिया। बस, इतना ही कहा कि जब सहन करने की क्षमता खत्म हो जाती है तो अन्याय और अत्याचार से ग्रस्त आदमी के सामने सिवा थप्पड़ मारने के कोई पर्याय नहीं बचता।
गांधीजी और स्वामी विवेकानन्द जी के विचारों से प्रेरणा पाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ाई लड़ रहा हूं। इस लड़ाई में मैंने किसी को भी थप्पड़ नहीं मारा है और न ही भविष्य में कभी मारूंगा। लेकिन यह एक मिसाल है कि कोई बदनामी करने पर उतारू हो ही जाए तो कैसे बदनामी की जाती है। न मैंने थप्पड़ मारा, न किसी को मारने के लिए उकसाया। फिल्म देख कर जैसे मुझे लगा मैंने बता दिया। उसी बात को लेकर राजनीति होने लगी और कई लोग षड़यन्त्र बनाने में जुट गये।
जाहिर है कि राजनीति से जुड़े कई लोगों ने हमारे आन्दोलन को बदनाम करने का षड़यन्त्र रचा है। टीम अण्णा के सभी सदस्यों पर आरोप प्रत्यारोप कर उन्हें बदनाम करने की कई कोशिशें हुई हैं। मेरी बदनामी के भी कई प्रयास हुए। सुना है कि राजनीति वालों ने इस काम में करोड़ों रुपये खर्च भी किये हैं। फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिली क्योंकि मैंने अपने जीवन में कहीं छोटा दाग भी नहीं लगने दिया। ऊपर बताये जैसे कोई उदाहरण मेरे साथ जोड़कर मुझे बदनाम करने की साजिश की जाती है। मेरी बदनामी करने वालों को मेरी विनती है कि मैंने क्या बोला इसका सच यदि जानना चाहते हों तो ‘ऑनलाईन प्रश्न-उत्तर’ हो जाएं। किसने किसको क्या कहा और फिल्म में जो थप्पड़ मारा गया उसकी असलियत क्या है इस पर बहस करने को मैं तैयार हूं। मुझे इस बात का भी अन्देशा है कि वे राजनायिक जो हमारे आन्दोलन को एक खतरे के रूप में देखते हैं, उन्होंने हमारी बदनामी का षड़यन्त्र रचा है। लेकिन उन लोगों ने कितने भी कोशिशें कीं तो भी हमारे आन्दोलन पर न ही इसके पूर्व में भी कोई असर हुआ है और न ही भविष्य में भी पड़ेगा।
जिस आदमी ने अपना जीवन समाज और देश के लिए अर्पण किया है, ३५ साल पूर्व अपना घर छोड़ने के बाद फिर से कभी घर नहीं लौटा, अपने भाइयों के बच्चों के नाम तक जिसको मालूम नहीं, करोड़ों रुपयों की योजनाएं पूरी कीं पर कहीं भी बैंक बैलेन्स नहीं रखा है, ऐसे आदमी पर उन राजनायिकों ने कितने भी झूठे आरोप लगाये तो भी क्या होने वाला है? ना ही जनता पर उसका कोई असर होगा। क्यों कि सच तो सच ही होता है। जो आदमी अपने जीवन में शुद्ध आचार, शुद्ध विचार, निष्कलंक जीवन, त्याग और अपमान सहने की शक्ति रखता हो, उसी के शब्दों का लोगों पर प्रभाव होता है। भ्रष्टाचार में डूबे लोगों ने कितने ही आरोप लगाये तो भी उनका असर नहीं होगा।
मेरा स्वास्थ्य सुधरने के बाद जब मैं देश भर में निकल पडूंगा तब इन भ्रष्टाचारियों की समझ में आएगा कि ऐसे आरोपों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। बीमारी के कारण मैं पाँच राज्यों में नहीं जा पाया, लेकिन २०१४ में होने वाले चुनावों के पहले मैं पूरे देश भर में जाऊंगा और मतदाताओं को जगाऊंगा। भ्रष्टाचार के विरोध में जो लम्बी लड़ाई लड़नी है, उसकी तैयारी करूंगा। जनता हमारे साथ है। क्योंकि जनता के लिए भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या है, और उसी की लड़ाई हम लड़ रहे हैं।
केन्द्र में जन लोकपाल, राज्यों में जन लोकायुक्त, ग्राम सभा को पूरे अधिकार, राईट टू रिजेक्ट जैसे कई कानून बनवाने हैं। आज गरीब किसानों की जमीनें मार पीट कर हथिया ली जाती हैं, जैसा कि कभी अंग्रेजों के जमाने में हुआ करता था। शिक्षा के क्षेत्र में भी कई सारी समस्याएं हैं, जिस वजह से गरीबों के बच्चें उच्च शिक्षा नहीं ले पाते हैं।
सही मायने में देश में प्रजातन्त्र लाना हो तो इन विषयों को लेकर लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ेगी जो कई वर्षों तक चल सकती है। देश में प्रजातन्त्र, गणतन्त्र कायम करने के लिए एक ही रास्ता है और वह है जन आन्दोलन का। रात-दिन भ्रष्टाचार में लगे लोगों ने कितने भी आरोप लगाए तो भी ऐसे आरोपों का कोई प्रभाव नहीं होगा। ये लोग ना तो भ्रष्टाचार को मिटाएंगे, ना ही गणतन्त्र- प्रजातन्त्र को कारगर बनाने का प्रयास करेंगे। क्योंकि अगर वे ऐसा करेंगे तो उन्हें डर है कि कहीं अपने हाथों में केन्द्रित सत्ता कम न हो जाये। उन्हें तो ऐसा करने को बाध्य करना होगा और वह केवल जन आन्दोलन के माध्यम से ही सम्भव है। और इसी कारण हमारे संविधान ने जनता को आन्दोलन करने का मौलिक अधिकार दिया है। उसी अधिकार का प्रयोग कर हम सब जनता को उसके अधिकार दिलाने की भरसक कोशिश करेंगे।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
अन्ना चुने गए मुंबई के 'हीरो'
'मुंबई का हीरो कौन' के लिए हुई वोटिंग का आयोजन 'इंडिया अगेन्स्ट करप्शन' ने कराया था। वोटरों के पास अन्ना के अलावा विकल्प के तौर पर बाल ठाकरे, राहुल गांधी, शरद पवार, राज ठाकरे और लालकृष्ण आडवाणी का नाम था।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
चुनावबद्ध पांच राज्यों के लिए अन्ना का सन्देश.
अन्ना अस्वस्थ होने की वजह से पांच चुनावबद्ध राज्यों का दौरा नहीं कर पा रहे हैं. स्वस्थ होते ही वे अपना दौरा फिर से शुरू करेंगे. तब तक उन्होंने अपना सन्देश विडियो सीडी के माध्यम से जारी किया है. इस विडियो में उन्होंने लोगों से अपील की है की वे सभी दलों के उम्मीदवारों से पूछें की अगर वे जीतते हैं तो क्या वे अपने राज्य में भी उत्तराखंड जैसा लोकआयुक्त लागू करेंगे? अन्ना ने ये भी कहा है की उनके ठीक होने तक उनकी टीम पांच राज्यों का दौरा करेगी और उनका सन्देश लोगों तक पहुंचायेंगी.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES
जहाँ हर चीज है प्यारी
सभी चाहत के पुजारी
प्यारी जिसकी ज़बां
वही है मेरा हिन्दुस्तां
जहाँ ग़ालिब की ग़ज़ल है
वो प्यारा ताज महल है
प्यार का एक निशां
वही है मेरा हिन्दुस्तां
जहाँ फूलों का बिस्तर है
जहाँ अम्बर की चादर है
नजर तक फैला सागर है
सुहाना हर इक मंजर है
वो झरने और हवाएँ,
सभी मिल जुल कर गायें
प्यार का गीत जहां
वही है मेरा हिन्दुस्तां
जहां सूरज की थाली है
जहां चंदा की प्याली है
फिजा भी क्या दिलवाली है
कभी होली तो दिवाली है
वो बिंदिया चुनरी पायल
वो साडी मेहंदी काजल
रंगीला है समां
वही है मेरा हिन्दुस्तां
कही पे नदियाँ बलखाएं
कहीं पे पंछी इतरायें
बसंती झूले लहराएं
जहां अन्गिन्त हैं भाषाएं
सुबह जैसे ही चमकी
बजी मंदिर में घंटी
और मस्जिद में अजां
वही है मेरा हिन्दुस्तां
कहीं गलियों में भंगड़ा है
कही ठेले में रगडा है
हजारों किस्में आमों की
ये चौसा तो वो लंगडा है
लो फिर गणतंत्र दिवस आया
तिरंगा सबने लहराया
लेकर फिरे यहाँ-वहां
वहीँ है मेरा हिन्दुस्तां
सभी चाहत के पुजारी
प्यारी जिसकी ज़बां
वही है मेरा हिन्दुस्तां
जहाँ ग़ालिब की ग़ज़ल है
वो प्यारा ताज महल है
प्यार का एक निशां
वही है मेरा हिन्दुस्तां
जहाँ फूलों का बिस्तर है
जहाँ अम्बर की चादर है
नजर तक फैला सागर है
सुहाना हर इक मंजर है
वो झरने और हवाएँ,
सभी मिल जुल कर गायें
प्यार का गीत जहां
वही है मेरा हिन्दुस्तां
जहां सूरज की थाली है
जहां चंदा की प्याली है
फिजा भी क्या दिलवाली है
कभी होली तो दिवाली है
वो बिंदिया चुनरी पायल
वो साडी मेहंदी काजल
रंगीला है समां
वही है मेरा हिन्दुस्तां
कही पे नदियाँ बलखाएं
कहीं पे पंछी इतरायें
बसंती झूले लहराएं
जहां अन्गिन्त हैं भाषाएं
सुबह जैसे ही चमकी
बजी मंदिर में घंटी
और मस्जिद में अजां
वही है मेरा हिन्दुस्तां
कहीं गलियों में भंगड़ा है
कही ठेले में रगडा है
हजारों किस्में आमों की
ये चौसा तो वो लंगडा है
लो फिर गणतंत्र दिवस आया
तिरंगा सबने लहराया
लेकर फिरे यहाँ-वहां
वहीँ है मेरा हिन्दुस्तां
टीम अन्ना का गणतंत्र बचाओ अभियान आज से शुरू
नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस के मौके पर टीम अन्ना गणतंत्र बचाओ अभियान भी शुरू करने जा रही है.
इस मौके पर समाजसेवी अन्ना हजारे तो दिल्ली में नहीं होंगे लेकिन वीडियो के जरिए उनका संदेश दिखाया जाएगा.
इस अभियान के जरिए टीम अन्ना देशवासियों को जागरुक करने का काम करेगी. इस अभियान की शुरूआत दिल्ली से होगी.
टीम अन्ना की ओर से दिल्ली के कॉंस्टीट्यूशनल क्लब में गुरूवार को खास सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है.
इस सेमिनार में जनलोकपाल समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी लेकिन इस सेमिनार में समाजसेवी अन्ना हजारे शामिल नहीं होंगे. बताया जा रहा है कि वे अपनी नासाज़ तबियत के चलते इस सेमिनार में शामिल नहीं हो पाएंगे. हालांकि अन्ना हजारे वहां पहुंचे लोगों को वीडियो संदेश देंगे.
गणतंत्र पर होने वाली चर्चा में अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण के अलावा देश के और कई जाने माने बुद्धिजीवी शामिल होंगे. सेमिनार के साथ-साथ इस बात की उम्मीद भी है कि टीम अन्ना पांच राज्यों में होने वाले चुनाव पर भी अपनी रणनीति का खुलासा कर दे.
Subscribe to:
Posts (Atom)