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अच्छे दिन आने वाले हैं

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दश लाख में सूट सिला हैै,पाँच कराेड में बिक जाता है
अच्छे दिन की शूरूआतों में भैया ये भी तो आता है
स्मृति, उमा, सुषमा देवी, बडे पदों पर डोल् रही हैं
अच्छे दिन की परिभांषा को नारी शक्ति बोल रही है
राजनाथ अब गृह मत्री हैं, वित्त जेतली देख रहा है
अमितशाह अध्यक्ष बना ,खुल कर जुमले फेंक रहा है
अच्छी-अच्छी नस्ल के तोते हर चैनल में चिल्लाते हैं
चाय बेचने वाला पी.एम.,अच्छे दिन की सौगाते है
मंहगायी के होने पर भी मध्य-वर्ग सब कुछ खाता है
मेरे भाषण को सुन कर तो नंगा भी खुश होजाता है
बी.जे.पी,आर.एस.एस देखो,खुशी से नंगे नाच रहे हैं
अच्छे दिन आने वाले हैं, दुनिया में सब बाँच रहे हैं
भारत में मँहगायी होना राष्ट्र -उदय का शुभ लक्षण है
मठ, मन्दिर, उद्योग - पति को मेरा पूरा संरक्षण है
ब्रह्म सत्य ,जग मिथ्या है,फिर नंगो की क्या आशा है
भूखा, नंगा जीवन जीना,अच्छे दिन की परिभांषा है
पन्द्रह-पन्द्रह लाख रूपैया फिर से खातो में डालूंगां
भारत के हर भूखे - नंगे को भाषण से ही पालूंंगा
भारत में तो नंगा होना आध्यात्म का चमत्कार है
सारे नेता फेल हो गये, ये मोदी का आविष्कार है
अभी ताे कुर्तों, पायजामो, कच्छो के अम्बार लगे हैं
चौराहों पर बोली होगी,भारत के अब भाग्य जगे हैं
बस चलता तो पुरातत्व के बूढो की भी बोली होती
कुण्ठित प्रतिभा बहुत पडी है,ये सब दर्शन टोली होती
इतनी जल्दी क्या है भाई बिना बात क्यों चिल्लाते हो
हम चाहै जो कुछ भी पहने, गाना नंगो का गाते है
कई करोड में सूट बिकेंगे, ये सब मेरी नई चालें है
थोडा सा तो धीरज रक्खो अच्छे दिन आने वाले हैं
अच्छे दिन आने वाले है ,सच्चे दिन जल्दी आयेंगे
सारे माया मोह छोड कर,कन्द-मूल फल अब खायेगे
भारत-वाशी राष्ट्र - गीत अब मेरा ही घर-घर गायेंगे
कवि आग लिखते ही जाओ,अच्छे दिन जल्दी आयेंगे।।
राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा