भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

पवार को मारे थप्पड़ ने किया जीना हराम!

Add caption
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और पूर्व दूर संचार मंत्री सुखराम को थप्पड़ मारने वाले युवक हरविंदर सिंह पर पिछले कई दिनों से हमला होने का मामला सामने आया है। हरविंदर के मुताबिक पिछले दो माह के दौरान उसके साथ कई बार मारपीट और गाली-गलौज की घटना हो चुकी है।

युवक ने बताया कि 25 फरवरी को रिठाला मेट्रो स्टेशन के नजदीक कुछ लोगों ने कार में उसका अपहरण कर लिया और उसकी जमकर पिटाई की। इसके बाद उसे रोहिणी के एक अस्पताल के बाहर फेंक कर चले गए।हरविंदर ने बताया कि 15 जनवरी को दिल्ली के उत्तर-पश्चिम इलाके में स्थित उसके घर पर करीब छह लोगों ने हमला कर किया था। उस दौरान हमलावरों ने हॉकी स्टिक और लोहे की रॉड से उसे बुरी तरह से पीटा। जब वह मेडिकल सर्टिफिकेट के साथ इस हमले की शिकायत करने जिला के आला अधिकारियों के पास पहुंचा तो उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।

युवक ने बताया कि फरवरी में करीब चार लोग एक दिन रात को साढ़े ग्यारह बजे उसके घर पहुंच गए और दरवाजा खटखटाने लगे। दरवाजा नहीं खोलने पर उन लोगों ने उसे और उसके परिवार को जमकर गालियां सुनाई। अगले दिन जब हरविंदर इस घटना की शिकायत करने पुलिस के पास पहुंचा तो उन्होंने इसे नकार दिया। हरविंदर अपने मां-पिता और एक भाई के साथ रहता है।


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

जागो इंडिया जागो


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

रुपये की नई परिभाषा


  • एक रुपया : एक भूखा हिंदुस्तानी ...
  • एक हजार : एक बाबू ...
  • एक लाख : एक अफसर... 
  • एक करोड़ : एक आई-ए-एस ... 
  • 500 करोड़ : एक कोड़ा... 
  • 1,000 करोड़ : एक राडिया... 
  • 10,000 करोड़ : एक कलमाडी... 
  • 100,000 करोड : एक राजा... 
  • उपरोक्त सभी संख्याओं का योग : एक पवार...
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

ग्रामीणों ने किया सारे प्रत्याशिओं का बहिष्कार...


आगरा ग्रामीण क्षेत्र के सिकंदरपुर में बूथ संख्या 83 पर ग्रामीणों ने किया सारे प्रत्याशिओं का बहिष्कार...सबने डाले के 49-O के तहत वोट...क्षेत्रीय लोगों ने कहा हर राजनीतिक पार्टी के लोग सिर्फ चुनाव के समय लुभावने प्लान लेकर आते हैं लेकिन चुनाव के बाद सब भूल जाते हैं...लोगों का रोष इस कदर था कि 681 में से लगभग 289 वोट 49-O तहत पड़े..ये जानकारी पर्यवेक्षक ने दी.

SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

उत्तर प्रदेश बीज निगम में करोड़ों का घोटाला

उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। यह गड़बड़ी बीजों की खरीद-बिक्री, अनुपयोगी सामानों की नीलामी और किसानों को किए गए भुगतान में हुई है।

बीज विकास निगम के प्रबंध निदेशक और वित्त नियंत्रक के बीच आरोप-प्रत्यारोप की शिकायतों के बाद इस घोटाले का खुलासा हुआ है। सचिव की ओर से शिकायतों की जांच करवाई जा रही है तो कुछ शिकायतों के संबंध में विभागीय ऑडिट रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है। वहीं, प्रबंध निदेशक आदेश कुमार बिश्नोई की शिकायत के बाद वित्त नियंत्रक एसके गुप्ता को पद से हटा दिया गया है।

उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड में पूर्णकालिक वित्त नियंत्रक के पद पर कार्यरत एसके गुप्ता को 28 फरवरी 2011 को बीज निगम में वित्त नियंत्रक का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था। गुप्ता द्वारा निगम और शासन के नियमों के विपरीत बीजों की खरीद-बिक्री करने, नीलामी प्रक्रिया अपनाने आदि बिंदुओं पर आपत्ति को लेकर दोनों अधिकारियों में ठन गई। प्रबंध निदेशक ने पिछले साल अग्रिम आयकर रिटर्न की आड़ लेकर बगैर शासन की स्वीकृति के गुप्ता का नाम हटाकर उप वित्त नियंत्रक पीआर मनचंदा को बीज निगम के चेक पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत कर दिया।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

Performance of parliament 2010-2011


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

यह मशाल जलती रहनी चाहिए


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

संसद की गरिमा : चलचित्र देखें और मित्रो को भी दिखाएँ


Indian Parliament Polititians fight each other over a civil right issue throwing chairs and papers. Turns very nasty.

SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

रामदेव की हुंकार- भ्रष्ट नेताओं को गद्दाफी की तरह गद्दी से उतारना होगा

योग गुरु बाबा रामदेव ने यहां रविवार को भारत में लीबिया की तरह क्रांति की कल्पना की और कहा कि भ्रष्ट नेताओं को लीबिया के तानाशाह मुअम्मार गद्दाफी की तरह सत्ता की गद्दी से उतारना होगा। भ्रष्टाचार, कालेधन और अवैध खनन के खिलाफ यहां एक दिन का अनशन पूरा होने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में बाबा रामदेव ने यह भी कहा कि एक परिवार और एक पार्टी भारत को दिवालिया बनाने और लूटे जाने के लिए जिम्मेदार है।

उन्होंने कहा, "जो भ्रष्ट लोग सत्ता में हैं, उन्हें गद्दाफी की तरह सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर किया जाएगा। अंतर सिर्फ यह है कि वहां के लोगों ने हिंसा का रास्ता अपनाया, जबकि मैं लोकतांत्रिक तरीकों की वकालत कर रहा हूं।"

नेहरू-गांधी परिवार और कांग्रेस का सीधे तौर पर नाम न लेते हुए रामदेव ने कहा कि आजादी मिलने के समय से ही एक परिवार और एक पार्टी भारत को दिवालिया बनाने और लूटे जाने के लिए जिम्मेदार है।

उन्होंने कहा, "मैं उनका नाम नहीं ले रहा हूं, क्योंकि बड़े-बुजर्गो ने मुझे सिखाया है कि ऐसे लोगों के नाम का उच्चारण नहीं करना चाहिए।" पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल बताते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि उत्तराखण्ड और गोवा में कांग्रेस का 100 फीसदी सफाया होना तय है।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

टीम अन्ना आज से करेगी गोवा में प्रचार


Add caption


गोवा में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में टीम अन्ना मंगलवार से प्रचार अभियान की कमान संभालेगी। कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त संतोष हेगड़े भी इस अभियान में टीम अन्ना के साथ नजर आएंगे। राज्य के मतदाताओं को जागरूक करने के लिए टीम अन्ना तीन दिनों में दस सभाएं करेंगी।
टीम अन्ना ने सोमवार को यहां एक बयान में कहा कि गोवा में चुनाव प्रचार के दौरान वह किसी विशेष पार्टी पर निशाना साधने से बचेगी। टीम अन्ना की ओर से संतोष हेगड़े, अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, संजय सिंह, मनीष सिसोदिया, मौलाना शमून काजमी, गोपाल राय और मंयक गांधी सार्वजनिक सभाओं को संबोधित करेंगे। टीम अन्ना से मतभेद के कारण हेगड़े ने उत्तराखंड, पंजाब और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लिया था।
गोवा में 3 मार्च को मतदान होना है। मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ कांग्रेस-राकांपा गठबंधन और भाजपा व महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के गठबंधन के बीच है। 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा के लिए 215 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

देश रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी पुण्यतिथि पर शत शत नमन

देश रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी पुण्यतिथि पर शत शत नमन
क्या यही वो जनतंत्र है जिसके लिए इन्होने और इनके जैसे जाने कितने औरों ने अंग्रेजों से आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी?



बाबू राजेन्द्र प्रसाद के पूर्वज मूलरूप से कुआँगांव, अमोढ़ा (उत्तर प्रदेश) के निवासी थे। यह एक कायस्थ परिवार था। कुछ कायस्थ परिवार इस स्थान को छोड़ कर बलिया जा बसे थे। कुछ परिवारों को बलिया भी रास नहीं आया, वे वहां से बिहार के जिला सारन के एक गांव जीरादेई में आ बसे थे। इन परिवारों में कुछ शिक्षित लोग भी थे। इन्हीं परिवारों में राजेन्द्र प्रसाद के पूर्वजों का भी परिवार भी था। जीरादेई के पास ही एक छोटी सी रियासत थी - हथुआ। चूंकि राजेन्द्र बाबू के दादा पढ़े-लिखे थे, अतः उन्हें हथुआ रियासत की दीवानी मिल गई पच्चीस-तीस सालों तक वे उस रियासत के दीवान रहे। उन्होंने स्वयं भी कुछ जमीन खरीद ली थी। राजेन्द्र बाबू के पिता श्री महादेव सहाय इस जमींदारी की देखभाल करते थे। राजेन्द्र प्रसाद जी के चाचा श्री जगदेव सहाय भी घर पर ही रहकर जमींदारी का काम देखते थे। जगदेव सहाय जी की अपनी कोई संतान नहीं थी। अपने पांच भाई-बहनों में वे सबसे छोटे थे, इसलिए पूरे परिवार में सबके प्यारे थे।


उनके चाचा के चूंकि कोई संतान नहीं थी, इसलिए वे राजेन्द्र प्रसाद को अपने पुत्र की भांति ही समझते थे। दादा, पिता और चाचा के लाड़-प्यार में ही राजेन्द्र बाबू का पालन-पोषण हुआ। दादी और माँ का भी उन पर पूर्ण प्रेम बरसता था।


बचपन में राजेन्द्र बाबू जल्दी सो जाते थे और सुबह जल्दी उठ जाते, तो मां को भी जगा लिया करते और फिर उन्हें सोने नहीं देते। अतः मां भी उन्हें प्रभाती सुनाती, रामायण और महाभारत की कहानियां और भजन, कीर्तन आदि सुनातीं।


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

Albert Einstein


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

Top 35 MP's with serious criminal offences against them

Top 35 MP's with serious criminal offences against them.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

निराश थे पर घर नहीं बैठे


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

कसौटी पर अन्ना आंदोलन : एक किताब लेखक आशुतोष

पिछले दिनों कई संपादकों की किताबें आई जिनमें आउटलुक के प्रधान संपादक विनोद मेहता की लखनऊ ब्यॉय और एस निहाल सिंह की इंक इन माई वेंस अ लाइफ इन जर्नलिज्म प्रमुख हैं । ये दोनों किताबें कमोबेश उनकी आत्मकथाएं हैं जिनमें उनके दौर की राजनीतिक गतिविधियों का संक्षिप्त दस्तावेजीकरण है । विनोद मेहता और एस निहाल सिंह की किताब के बाद युवा संपादक आशुतोष की किताब आई है - अन्ना-थर्टीन डेज दैट अवेकंड इंडिया । जैसा कि किताब के नाम से ही स्पषट है कि यह किताब अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को केंद्र में रखकर लिखी गई है । एक ओर जहां विनोद मेहता और निहाल सिंह की किताब एक लंबे कालखंड की राजनीतिक घटनाओं को सामने लाती है वहीं आशुतोष अपनी किताब में बेहद छोटे से कालखंड को उठाते हैं और उसमें घट रही घटनाओं को सूक्ष्मता से परखते हुए अपने राजनीतिक विवेक के आधार पर टिप्पणियां करते चलते हैं। 


किताब की शुरुआत बेहद ही दिलचस्प और रोमांचक तरीके से होती है । रामलीला मैदान में अपने सफल अनशन के बाद अन्ना मेदांता अस्पताल में इलाज करवा रहे होते हैं अचानक एजेंसी पर खबर आती है कि उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई है । जबकि कुछ घंटे पहले ही अन्ना के डॉक्टरों ने ऐलान किया था उन्हें पूरी तरह से ठीक होने में चार से पांच दिन लगेंगे । अचानक से आई इस खबर के बाद संपादक की उत्तेजना और टेलीविजन चैनल के न्यूजरूम में काम कर रहे पत्रकारों के उत्साह से लबरेज माहौल से यह किताब शुरू होती है । जिस तरह से खबर आगे बढ़ती है उसी तरह से रोमांच अपने चरम पर पहुंचता है । इसमें एक खबर को लेकर संपादक की बेचैनी और उसके सही साबित होने का संतोष भी लक्षित किया जा सकता है । आशुतोष ने अपनी इस किताब में भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुई मुहिम को शुरुआत से लेकर अन्ना के मुंबई के असफल अनशन तक को समेटा है । अन्ना और उनके आंदोलन पर लिखी गई इस किताब को आशुतोष ने बीस अध्याय में बांटकर उसके पहलुओं को उद्घाटित किया है ।


एक संपादक के तौर पर आशुतोष उस वक्त चिंतित और खिन्न दिखाई पड़ते हैं जब बाबा रामदेव की अगुवाई के लिए प्रणब मुखर्जी के एयरपोर्ट जाने की खबर आती है । आशुतोष लिखते हैं- जब यह खबर आती है तो वो एडिटर गिल्ड की मीटिंग में प्रणब मुखर्जी के साथ मौजूद हैं । दफ्तर से जब यह पूछते हुए फोन आता है कि क्या प्रणब मुखर्जी बाबा रामदेव की अगुवानी के लिए एयरपोर्ट जा रहे हैं तो उसके उत्तर में वो कहते हैं- क्या तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है । तुम ये सोच भी कैसे सकते हो कि प्रणब मुखर्जी रामदेव को रिसीव करने जाएंगे । रामदेव कोई हेड ऑफ स्टेट नहीं हैं । इसके बाद जब यह खबर सही साबित होती है तो आशुतोष इसे सरकार के संत्रास के दौर पर देखते हैं और उसके राजनीतिक मायने और आगे की राजनीति पर पड़नेवाले प्रभाव पर अपनी चिंता जताते हैं । दरअसल आशुतोष अन्ना के दिल्ली के आंदोलनों के चश्मदीद गवाह रहे हैं चाहे वो जंतर मंतर का अनशन हों या राजघाट का अनशन या फिर रामलीला मैदान का ऐतिहासिक अनशन जिसने सरकार को घुटने पर आने को मजबूर कर दिया था । आशुतोष की इस किताब को पढ़ने के बाद एक बात और साफ तौर उभर कर सामने आती है कि इस आंदोलन के दौरान उनके अंदर का रिपोर्टर बेहद सक्रिय था । 


संपादक के अंदर का वह रिपोर्टर का एक साथ टीम अन्ना और सरकार के अपने सूत्रों से जानकारियां ले रहा था । अपने सूत्रों से मिल रही जानकारियों से ना सिर्फ अपने प्रतियोगियों को पीछे छोड़ रहा था बल्कि दर्शकों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभा कर संतोष का अनुभव कर रहा था । अन्ना हजारे को जब उनके सहयोगियों अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के साथ दिल्ली के मयूर विहार से हिरासत में लिया गया था उस वक्त अरविंद के एसएमएस लगातर उनके पास आ रहे थे जो अन्ना की पल पल की गतिविधयों की जानकारी दे रहे थे । इसी तरह रामलीला मैदान में अनशन के दौरान भी उनके पास खबरें पहले आ रही थी ।

अपनी इस किताब में आशुतोष ने अन्ना के आंदोलन को ठीक तरीके नहीं निबट पाने के लिए गैर राजनीतिक मंत्रियों को जिम्मेदार माना है । उनके मुताबिक यह एक राजनीति आंदोलन था जिसे राजनीतिक रूप से ही निबटा जा सकता था । आशुतोष के मुताबिक दो गैरराजनैतिक वकील मंत्रियों ने इस पूरे मामले को मिसहैंडिल किया । जाहिर तौर पर उनका इशारा चिदंबरम और कपिल सिब्बल की ओर है । आंदोलन के दौरान सोनिया गांधी की देश से अनुपस्थिति को भी आशुतोष उसी मिसहैंडलिंग से जोड़कर देखते हैं । आशुतोष अन्ना के आंदोन में संघ की भागीदारी पर बेबाकी से कलम चलाते हैं और कई संदर्भों और लोगों की बातों को आधार बनाकर अपनी बात कहते हैं ।

इस किताब की खूबसूरती इस बात में है कि इसमें अन्ना के आंदोलन के समाने और परदे के पीछे के तथ्यों और गतिविधियों का प्रामाणिक दस्तावेजीकरण किया गया है । लेकिन जब भी जहां भी लेखक को लगता है वो अन्ना और उनकी टीम की आलोचना से भी नहीं हिचकते हैं । जब इमाम बुखारी के बयान के दबाव में अनशन स्थल पर रोजा खुलवाने जैसा कार्यक्रम आयोजित किया जाता है तो उसे आशुतोष सस्ता राजनीति हंथकंडा के तौर पर देखते हैं और कड़ी टिप्पणी करते हैं । किताब के अंत में एपिलॉग में आशुतोष ने मुंबई में अन्ना के आंदोलन के असफल होने की वजहें भी गिनाई हैं । इस किताब का प्राक्कथन मशहूर समाजवादी चिंतक आशीष नंदी और इंड्रोडक्शन योगेन्द्र यादव ने लिखा है । अगर हम समग्रता में देखें तो इस किताब में अन्ना के आंदोलन को एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखा और परखा गया है । अन्ना के आंदोलन को जानने और समझने के लिए यह एक जरूरी किताब है।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

आगरा के व्यापारियों का निराला अंदाज

मतदातो को जागरूक करने का आगरा के व्यापारियों ने अनूठे अंदाज में समर्थ किया छोटे छोटे दुकानदार भी जो एक एक पैसा इकट्ठा करके अपने परिवार का पेट पलते हे
बो अपनी आमन्दनी पर छूट देकर मतदाता को जागरूक कर रहे हे.

वोट डालने की पहचान दिखने पर जैन साईकिल बेलन गंज आगरा की और से दो पहिया वहां पर सात दिन के लिए हबा डालना बिलकुल फ्री.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

The full speech by Arvind Kejriwal at Matdada Jagrookta sammelan at Greater Noida.


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

We are offended

They are threatening to sue me for sedition and for insulting Parliament. I hv stated the truth n m willing to face consequences thereof. --- Arvind Kejriwal on Twitter.

SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

इल्यास आजमी द्वारा प्रेस रिलीज

इल्यास आजमी (पूर्व सांसद, लोकसभा) द्वारा प्रेस रिलीज सांसदों पर अरविंद केजरीवाल के बयान का समर्थन करते हुए|


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर उनको शत शत नमन!

है लिये हथियार दुश्मन ताक मे बैठा उधर,
और हम तैयार हैं सीना लिये अपना इधर|
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है|


चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर उनको शत शत नमन!


जरा सोचिये, क्या यही वो आज़ादी है जिसके लिए चंद्रशेखर आजाद और उनके जैसे जाने और भी कितने शहीदों ने अपनी जान की आहुति दी?
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर उनको शत शत नमन!

है लिये हथियार दुश्मन ताक मे बैठा उधर,
और हम तैयार हैं सीना लिये अपना इधर|
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है|


चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर उनको शत शत नमन!


जरा सोचिये, क्या यही वो आज़ादी है जिसके लिए चंद्रशेखर आजाद और उनके जैसे जाने और भी कितने शहीदों ने अपनी जान की आहुति दी?
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

क्रांति


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

संसद में हत्यारे और बलात्कारी हैं: केजरीवाल

Add caption
नई दिल्ली।। मजबूत लोकपाल कानून के लिए यूपी में जन जागरूकता अभियान चला रही टीम अन्ना शनिवार को ग्रेटर नोएडा में आपे से बाहर हो गई। टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भारतीय संसद में हत्यारे और बलात्कारी बैठे हैं। उन्होंने कहा कि मुलायम, लालू और राजा जैसे लोग संसद में बैठ कर देश का कानून बना रहे हैं। वे पैसा इकट्ठा कर रहे हैं। इन लोगों को संसद से बाहर करने की जरूरत है। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने केजरीवाल के बयान की कड़ी निंदा की है।

ग्रेटर नोएडा में आयोजित एक सभा में उन्होंने कहा कि लुटेरे और बलात्कारी सहित सभी प्रकार के बुरे तत्व संसद पर कब्जा जमाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि संसद से बुरे तत्वों को निकालने के लिए लड़ाई लड़ी जाएगी। बुरे तत्व हम सभी के लिए एक बड़ी परेशानी बने हुए हैं।

बदलाव का साल होगा 2014 : अन्ना हजारे

गांधीवादी नेता अन्ना हजारे ने यहां यूथ कैंप को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2014 बदलाव का साल होगा। उल्लेखनीय है कि अगले आम चुनाव इसी साल होने हैं।

नेशनल यूथ इंटीग्रेशन कैंप का उद्घाटन करते हुए हजारे ने कहा कि भारत के युवाओं में तेजी से बदलाव आ रहा है और यही वजह है कि 2014 भी बदलाव का साल होगा। अन्ना के अनुसार अगर युवा प्रण लें तो वे सिस्टम को बदल सकते हैं।

हजारे ने कहा कि हमारा लक्ष्य सत्ता में बदलाव नहीं है, बल्कि व्यवस्था में बदलाव का है। हर समस्या के लिए सिस्टम, राजनीतिक पार्टियों और सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता।

हम सभी को छोटे-छोटे प्रयासों से शुरुआत करनी होगी। समाज के पिछड़े लोगों को आगे बढ़ाना होगा। किसी भी आंदोलन को सफल बनाने के लिए उसके अगुआ की विश्वसनीयता बहुत जरूरी है। मैं पिछले 40 सालों से काम कर रहा हूं। यही वजह है कि समाज भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में मेरे साथ खड़ा हुआ।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

Politics


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

Role of youth in Nation Building


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

फर्रुखाबाद में मनीष सिसोदिया का भाषण


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

केएचबी घोटाला: येदियुरप्पा के खिलाफ केस दर्ज

भूमि आवंटन घोटाला मामले में -

बेंगलूर : लोकायुक्त पुलिस ने आज कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के खिलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की. यह प्राथमिकी भूमि आवंटन घोटाले में धोखाधड़ी के कथित मामले के सिलसिले में दर्ज की गयी है.
लोकायुक्त पुलिस सूत्रों ने कहा कि येदियुरप्पा के खिलाफ़ कर्नाटक आवास बोर्ड भूखंड आवंटन घोटाले में धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र का मामला दर्ज किया गया है.

भाजपा के वरिष्ठ नेता के खिलाफ़ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. यह प्राथमिकी दर्ज किये जाने से पहले प्रधान जिला एवं सत्र अदालत ने 21 फ़रवरी को येदियुरप्पा, उनकी पुत्री एस वाई अरूणादेवी, अरूणा के चार सहायकों तथा कर्नाटक आवासन बोर्ड के दो अधिकारियों के खिलाफ़ निजी मामले को सुनवाई के लिए मंजूरी प्रदान की थी.
यह मामला कर्नाटक आवासन बोर्ड के भूखंडों के आवंटन में विवेकाधीन और प्रेस कोटा के तहत अनियमितता के सिलसिले में है. न्यायाधीश महालक्ष्मी नेराले ने लोकायुक्त पुलिस को निर्देश दिया कि वह भ्रष्टाचार निवारण कानून की धारा 131डी के तहत मामले की जांच करे और 14 मार्च तक अदालत में रिपोर्ट दाखिल करें.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

नेताओं से हेलिकॉप्टर के खर्च का हिसाब मांगेगी टीम अन्ना

टीम अन्ना के सदस्य मनीष सिसौदिया ने कहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव समाप्त हो जाने के बाद टीम अन्ना राहुल गांधी, मायावती, मुलायम सिंह यादव और नितिन गडकरी द्वारा इस्तेमाल किए गए हेलिकॉप्टरों पर हुए खर्च का ब्योरा मांगेगी।




सिसौदिया ने शुक्रवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव में हेलीकाप्टर का इस्तेमाल कर रहे राहुल गांधी, मायावती, मुलायम सिंह यादव और नितिन गडकरी जैसे नेताओं से खर्चे का ब्यौरा मांगा जायेगा ताकि यह पता चल सके कि कहीं वे हेलीकाप्टर औद्योगिक घरानों की तरफ से तो नहीं उपलब्ध कराये गये थे।


राहुल गांधी की उत्तर प्रदेश की स्थिति पर गुस्सा आने संबंधी टिप्पणी पर चुटकी लेते हुए सिसौदिया ने कहा कि उनका गुस्सा कहीं इसलिए तो नहीं है कि मुलायम सिंह यादव ने उनके राज में हुए पुलिस भर्ती घोटाले में कांग्रेस को उसका हिस्सा नहीं दिया। उन्होंने कांग्रेस और सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए राजनीतिक दलों को वंशवाद की राजनीति से मुक्त होना होगा।


संसद में लोकपाल विधेयक पर हुई बहस में उत्तर प्रदेश के दो नेताओं के बिक जाने का आरोप लगाते हुए सिसौदिया ने कहा कि उनकी टीम जन लोकपाल लागू करने के लिए चुनाव बाद एक बड़ा आंदोलन चलायेगी।
सपा के चुनाव घोषणा पत्र में युवकों को लैपटाप दिये जाने के वायदे की खिल्ली उड़ाते हुए उन्होंने कहा कि यदि सपा की सरकार बनी तो एक लैपटाप घोटाला भी होने वाला है। सिसौदिया ने जनता से जाति और मजहब से उपर उठ कर अच्छे उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने की अपील की।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

IAC At World Book Fair

IAC @ World Book Fair
Hall No-11, Stall No-276.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

२०१२ यूपी चुनाव के सभी चरणों के उम्मीदवारों का विश्लेषण


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

व्यंग : सरकारी आमंत्रण : मित्रों से शेयर करना ना भूलें

Add caption

SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

सोचिये ज़रा

Add caption

Sochiye Zara ! That again mean that before 1991 [Pre TN Seshan Era], the congress has won each and every election of Independence India fraudulently using every trick on their command . .
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

मेरी कितनी इनकम है, किसी से ना कहना: सोनिया

अगर सोनिया गांधी यह बता दें कि वह कितना इनकम टैक्स देती हैं, तो क्या इससे उनकी जान को खतरा हो सकता है? जी हां, सोनिया गांधी का कुछ ऐसा ही कहना है। सूचना के अधिकार के तहत जब एक आरटीआई कार्यकर्ता ने सोनिया गांधी के इनकम टैक्स रिटर्न के बारे में जानना चाहा तो, उन्‍होंने निजी आजादी और सुरक्षा का हवाला देते हुए ब्‍योरा देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस सूचना का जनहित से कुछ लेना-देना नहीं है।

आरटीआई कार्यकर्ता वी. गोपालकृष्णन ने फाइनैंशल इयर 2000-2001 और 2010-2011 के बीच सोनिया गांधी के इनकम टैक्स रिटर्न का ब्योरा मांगा था। इसके बाद नई दिल्ली के अस्टिटेंट इनकम टैक्स ऑफिसर ने (जो कि चीफ पब्लिक इन्फर्मेशन ऑफिसर भी हैं) 23 जनवरी को आरटीआई ऐक्ट-2005 के सेक्शन-11 के तहत इसके बारे में सोनिया गांधी को लिखा। इसके जवाब में सोनिया ने लिखा कि किसी तीसरे व्यक्ति को इस तरह की सूचना मुहैया कराने से उनकी प्रिवेसी का तो उल्लंघन होगा ही, उनकी सुरक्षा को भी खतरे पैदा हो सकते हैं। उन्होंने लिखा कि यह सूचना इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को निजी और गुप्त तौर पर सौंपी जाती है। इनकम टैक्स ऐक्ट, 1961 की धारा 138 के तहत यह सूचना किसी तीसरे पक्ष को नहीं मुहैया करानी चाहिए।

गोपालकृष्णन की यह मांग दूसरी बार खारिज की गई है। इसके पहले चीफ इन्फर्मेशन ऑफिसर ने बिना सोनिया गांधी से पूछे इसे खारिज कर दिया था। दूसरी बार अपीलीय प्राधाकिरण के हस्तक्षेप के बाद चीफ इन्फर्मेशन ऑफिसर ने सोनिया गांधी से इस बारे में पूछा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सोनिया गांधी की चिट्ठी के बाद गोपालकृष्णन को दूसरी बार सूचना देने से मना कर दिया है।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

गड़बड़तंत्र


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

अभिलाषा


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

अन्ना ने मिशन 2014 का ऐलान कर दिया है

अन्ना ने मिशन 2014 का ऐलान कर दिया है. दिल्ली में एक सम्मान समारोह में पहुंचे अन्ना ने बताया कि अब उनकी सेहत में सुधार है और वो आंदोलन के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. अन्ना की लड़ाई अब सिर्फ लोकपाल की नहीं होगी. चुनाव सुधार भी उनके एजेंड में है. गुरुवार को अन्ना ने राइट टू रिजेक्ट के मसले पर चुनाव आयोग से मुलाकत की.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

चिदंबरम पर फिर गहराए संकट के बादल

नई दिल्ली। सुब्रह्मण्यम स्वामी के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने से ऐसा लगता है कि अभी उनके ऊपर संकटों का बादल छाया रहेंगा। अभी हाल ही में चिदंबरम को नीचली अदालत से राहत मिली थी, और अब जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी गृह मंत्री पी. चिदंबरम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। 2जी मामला सरकार के लिए काल शाबित हो रहा है।

स्‍वामी ने याचिका दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट से मांग की है की 2जी घोटाले में चिदंबरम ने भी अहम भूमिका निभाई है, इसलिए उन्‍हें आरोपी बनाया जाए। उन्‍होंने कहा कि जितने गुनहगार तत्‍कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा है, उतने ही चिदंबरम भी है। चिदंबरम जिस समय गृह मंत्री थे समय का ही ये वाक्‍या है। उनकी इजाजत के बिना राजा इस घोटाले को अंजाम नहीं दे पाते।

चिदंबरम उस समय वित्‍त मंत्री थे, और स्‍पेक्‍ट्रम के रेट तय करने में उनकी अहम भूमिका थी। उन्‍होनें कहा क‍ि चिदंबरम को आरोपी बनाये जाने के लिए उन्‍होंने निचली अदालत को कुछ सबूत सैपें थे, लेकिन उसके आधार पर उनको दोषी नहीं ठहराया गया। गौरतलब है कि स्‍वामी की याचिका सीबीआई अदालत ने खारिज कर दी थी। जिसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये है।


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

क्या विकल्प है चुनाव में आपके पास...




SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

मनरेगा में घपला, एक परिवार के चार-चार जॉब कार्ड

यूपी में एनआरएचएम घोटाले के बाद अब मनरेगा में हुआ एक बड़ा घपला सामने आया है। यहां के गोंडा और बुलंदशहर में महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में बड़ा घोटाला सामने आया है। गोंडा में वजीरगंज के ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत अधिकारी और एक अन्‍य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।


इन पर कुछ मजदूरों के नाम पर धन निकासी का आरोप है। बुलंदशहर में भी मनरेगा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में भारी घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। मरनेगा के अध्यक्ष संजय दीक्षित ने कहा कि प्रदेश सरकार और उसके नौकरशाहों ने इसमें लाखों का नहीं करोड़ों का घोटाला किया है। इन सब की जांच के लिए टीम जल्द ही बुलंदशहर पहुंचेगी और जांच के बाद दोषी लोगों पर शिकंजा कसा जाएगा।


दीक्षित ने कहा कि मनरेगा में घपला कर एक-एक परिवार के चार-चार सदस्यों को जॉब कार्ड बना दिए गए हैं जबकि परिवार के एक सदस्य को ही 100 दिन तक काम देने का प्रावधान है। इस घपले के खुलासे के बाद राजनीतिक वातावरण भी गरम हो गया है।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

चीएफ़ इलेक्शन कमीशनर से मिले अन्ना, चुनाव सुधारों पर जोर

अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों ने गुरुवार को चुनाव आयोग से मुलाकात की और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में राइट टू रिजेक्ट के विकल्प को शामिल करने और ऐसे उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की, जिनके खिलाफ अदालत ने आरोप निर्धारित कर दिया है।


अन्ना हजारे ने अपने करीबी सहयोगियों संतोष हेगड़े, प्रशांत भूषण, अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी के साथ यहां मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी से मुलाकात की और चुनाव सुधार से जुड़े मुद्दों पर करीब एक घंटे तक बातचीत की।
टीम अन्ना के सदस्यों ने इस मुलाकात को काफी लाभकारी बताया और कहा कि चुनाव आयोग ने उनके विचारों और उनकी मांगों को बहुत ही ध्यान से सुना।
50
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

रामदेव और दिल्ली पुलिस, दोनों दोषी: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली।। योग गुरु बाबा रामदेव के धरने के दौरान पिछले साल 4 जून की रात रामलीला मैदान में रामदेव के समर्थकों पर लाठीचार्ज किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और रामदेव, दोनों की खिंचाई की। कोर्ट ने आधी रात को लाठीचार्ज की कार्रवाई को गैरकानूनी और गैरजरूरी करार देने के साथ ही बाबा रामदेव को भी लापरवाही का दोषी माना।

सुप्रीम कोर्ट ने लाठीचार्ज में शामिल पुलिस वालों और पुलिस के ऊपर पत्थर फेंकने वाले लोगों पर क्रिमिनल केस दर्ज करने का भी आदेश दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा,'पुलिस की कार्रवाई गलत थी। आधी रात को इतनी हड़बड़ी में मैदान खाली कराने की क्या जरूरत पड़ गई, यह समझ से परे है। पुलिस और राज्य इस हिंसक घटना को टाल सकते थे। दिल्ली पुलिस ने अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल किया और लोगों के मूल अधिकार का हनन किया गया। यह घटना राज्य की शक्ति दिखाती है, जिसने लोकतंत्र की नींव पर हमला किया है।'

कोर्ट ने कहा सत्ता में मौजूद लोग और शासित होने वाले लोगों के बीच विश्वास की कमी का यह स्पष्ट उदाहरण है। इसके साथ ही कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव को भी दोषी मानते हुए कहा, 'उन्हें उस समय पुलिस का कहना मानते हुए मैदान खाली कर देना चाहिए था। अगर इसमें कुछ गलत था, तो उसका फैसला हम करते।'

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिसिया कार्रवाई के दौरान घायल होकर दम तोड़ने वाली राजबाला के परिवार वालों को पांच लाख रुपये, जो लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे उनको 50 हजार रुपये और मामूली रूप से घायल को 25 हजार रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया। मुआवजे की राशि रामदेव के ट्रस्ट और दिल्ली पुलिस संयुक्त रूप से देगी। रामदेव के ट्रस्ट को मुआवजे का 25 फीसदी और दिल्ली पुलिस को 75 फीसदी देना होगा।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

Voting awareness video, watch and share!!


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

टीम अन्‍ना ने लगाई 'राइट ट्र रिजेक्ट' की क्लास...

यूपी में मतदाताओं को जागरूक करने निकली टीम अन्ना ने मतदाताओं को दो घण्टे तक 'राइट टू रिजेक्ट' का पाठ पढाया.
टीम की महत्वपूर्ण सदस्य किरण बेदी ने कहा कि आंदोलन का अगला कदम 'राइट टू रिजेक्ट' के बटन को ईवीएम में शामिल कराने का होगा.

अन्ना हजारे के बिना मथुरा में कई स्थानों पर आयोजित सभाओं को संबोधित करने पहुंचे टीम के सदस्यों ने लोगों को विस्तार से अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया. उन्होंने दो घण्टे चले भाषणों में राजनीतिक दलों पर प्रहार किए, तो लोगों को विकल्पहीनता की स्थिति में गलत प्रत्याशी को नही चुनने के लिए मानसिक रूप से तैयार भी किया.

किरण बेदी ने जनता से सीधा संवाद करते हुए कहा कि देश में इमरजेंसी लगने के बाद परिस्थितियां तेजी से बदली हैं. सिस्टम इस तरह का हो गया है कि लोगों को ईमानदार बने रहने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

मुंह में राम बगल में छुरी!

सरकार इतनी ढिठाई से संवैधानिक संस्थाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है कि उसके इस तरह के किसी भी नए दुस्साहस पर किसी को हैरानी नहीं होती। सबकुछ खुल्लमखुल्ला करने की उसकी प्रवृत्ति दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। लेकिन उसके अपने हताश करने वाले स्टैंडर्ड्स से भी देखें तो चुनाव आयोग को अपना पायदान बनाने की कोशिश घिनौनी है।


सब जानते हैं कि देश के कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने उत्तर प्रदेश में अपनी पत्नी के चुनाव प्रचार करने के दौरान किस तरह खुलेआम आयोग को चुनौती दी। यह तक भूल गए कि एक उम्मीदवार का पति होने के अलावा वह एक 'जिम्मेदार' मंत्री भी हैं। इस प्रकरण और इससे चुनाव आयोग को कैसे निपटना चाहिए था, पर काफी कुछ लिखा जा चुका है। बहुत सारे लोगों के साथ मुझे भी लगा था कि आयोग का रवैया लिजलिजा था।


हालांकि, कई विशेषज्ञों ने मुझे बताया कि मामले को ज्यादा तूल न देकर आयोग ने सही किया, क्योंकि इससे अपराध करने वाले से ज्यादा दूसरों को नुकसान पहुंचने की आशंका थी। खैर छोड़िए, यह एक अलग बहस है। इस ब्लॉग में मैं खुद को चुनाव आयोग की तरफ सरकार की ओर से झूठी सहानुभूति दिखाने की कोशिश और 'आदर्श आचार संहित' को वैधानिक दर्जा देने की कवायद तक ही सीमित रखूंगा।


कोई बेवकूफ ही इस तर्क को मानेगा कि इससे चुनाव आयोग मजबूत होगा। आदर्श आचार संहिता की खूबसूरती ही यह है कि यह मॉडल से ज्यादा मॉरल (आदर्श) है। सुप्रीम कोर्ट तक कह चुका है कि कोड के बारे में चुनाव आयोग का मत अंतिम है और उसका पालन होना चाहिए। काफी समय से इसकी अपने-अपने हिसाब से व्याख्या करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अमूमन इसका पालन होता रहा है। सभी पार्टियां इस 'लक्ष्मण रेखा' का सम्मान करती रही हैं।


इसका समाधान यही है कि पार्टियां खुद ही आत्मनिरीक्षण करें और सोचें कि लोकतंत्र के लिए क्या अच्छा है। इसके बाद अपने फायदे के लिए इसकी अवहेलना या गलत व्याख्या न करें। कोड को वैधानिक दर्जा देना निश्चित रूप से समस्या का हल नहीं है। उस परिस्थिति की कल्पना कीजिए कि हर बार इसके उल्लंघन के बाद मामले अदालतों में जाएं और वहां काफी समय तक लंबित पड़े रहें। इसका परिणाम यह होगा कि तुरंत फैसले के आभाव में आचार संहिता का उल्लंघन करने वाला सभी तरह के फायदे उठाएगा और शायद जीत भी जाएगा। इसलिए मेरा मत है कि कोड को वैधानिक दर्जे से चुनाव आयोग को कमजोर बनाने की मंशा रखने वाले को छोड़कर किसी का भला नहीं होगा।


यह भी तर्क दिया जा रहा है कि कोड विकास विरोधी है। यह भी केवल ऊपर से आकर्षक दिखने वाली दलील है। चुनाव हमेशा किसी भी चुनी हुई सरकार के कार्यकाल के अंतिम दिनों में होते हैं और आचार संहिता उस दौरान केवल 2-3 महीनों के लिए लागू होती है। क्या हम यह कहना चाह रहे हैं कि सरकार के 95% कार्यकाल के दौरान विकास का कोई काम नहीं होगा और सबकुछ वह अंतिम तीन महीने में ही करती है, जिसे चुनाव आयोग रोकने की कोशिश कर रहा है? यह बेतुका है। हकीकत यह है कि पहले से चल रही योजनाएं और ऐसी योजनाएं जिनसे सभी पार्टियां समान रूप से प्रभावित होती हैं, आचार संहिता के दायरे में नहीं आतीं।


आयोग के पास इस तरह के सवालों की भरमार होती है कि क्या आचार संहिता के दायरे में है और क्या नहीं, जबकि पोल पैनल की तरफ से कैबिनेट सेक्रेटरी को स्पष्ट निर्देश होता है कि जब तक तय मानकों का पालन किया जा रहा है, कोई भी चीज उसके संज्ञान में लाने की जरूरत नहीं है। आदर्श आचार संहिता सिर्फ इस पर बंदिश लगाती है कि ऐसे वादे नहीं किए जाएंगे, जिनसे मतदाता प्रभावित हों। ऐसा सबको एक समान अवसर मुहैया कराने के लिए किया जाता है। इससे कोई असहमत कैसे हो सकता है?


इसके बावजूद सरकार बेचैन है। चुनाव आयोग को मजबूत बनाने के बहाने उस संस्था को दंतहीन बनाने पर तुली है, जिसे दुनिया में सबसे बेहतरीन चुनाव कराने के लिए जाना जाता है। हालांकि, एक के बाद एक सरकार के दिग्गज कल इस बात से इनकार करते रहे कि चुनाव आयोग को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने तो यहां तक कहा कि आदर्श आचार संहिता के वैधानिक दर्जे पर चर्चा 22 फरवरी को जीओएम की होने वाली मीटिंग के एजेंडे में नहीं है। बहरहाल, सारा भेद मीटिंग का एजेंडा मीडिया के हाथ लगने से खुल गया। इसके एक नोट में इस मुद्दे को चर्चा के लिए रेखांकित करते हुए कहा गया है, 'चेयरमैन का मानना है कि आचार संहिता डिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट्स को रोकने की एक बड़ी युक्ति है, इसलिए कानून मंत्री के आग्रह से सहमति जताते हुए इसे एजेंडे में शामिल किया जाता है।' यह भी सलाह दी गई है कि कानून मंत्रालय चुनाव आयोग के कार्यकारी निर्देशों को वैधानिक दर्जा देने के लिए जरूरी सभी पहलुओं पर विचार कर सकता है। कानून मंत्रालय के सेक्रेटरी से आग्रह किया गया है कि वह जीओएम के सामने प्रजेंटेशन दें कि इस मसले पर क्या प्रगति हुई है।


जैसा कि पहले भी कहा चुका हूं कि यह तर्क पूरी तरह से फर्जी है। चूंकि इस एजेंडे को कानून मंत्री बढ़ा रहे हैं, इसलिए यह प्रेरित भी लग रहा है। आखिर वह चुनाव आयोग से निजी तौर पर खार जो खाए बैठे हैं। लेकिन, जीओएम में विद्वान और बुद्धिमान मंत्री भी हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि वे यह सब जरूर देखेंगे। इसके अलावा, जैसा कि मैं पिछले ब्लॉग में भी कह चुका हूं कि अब आम आदमी भी सबकुछ देख रहा है। आम आदमी यह भी देख रहा है कि कौन देश के शुभचिंतक बनने की आड़ में हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने वाली संस्थाओं को कमजोर कर रहे हैं। कम से कम अपने भले के लिए ही इन दिग्गजों को अपनी नादानी समझनी चाहिए और कदम पीछे खींच लेने चाहिए।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

विधायको की सपत्तियों का तुलनात्मक विश्लेषण


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

पहले मतदान फिर बाकी सारे काम


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

अन्ना हजारे ने फिर से भरी हुंकार

महीनों बाद अन्ना हजारे आज बुधवार को दिल्ली आए और आते ही उन्होंने हुंकार भरी. अन्ना हजारे ने कहा ‘बीमारी की वजह से उन्हें कुछ दिन आराम करना पड़ा लेकिन लोगों ने समझ लिया कि आंदोलन खत्म हो गया है.’

समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा लेकिन अब मैं ठीक हो गया हूं. देशभर के दौरे करुंगा. आंदोलन और तेज होगा.'


अन्ना हजारे ने दिल्ली में होने वाली आज की बैठक के बाद कहाकि टीम फिर से देशभर में घूम कर लोगों को भ्रष्टाचार के खिलाफ जागृत करेगी.

अन्ना हजारे ने कहाकि राजनीतिक दल भ्रष्ट और गुंडों का साथ देते हैं, ये ठीक नहीं है.
चुनाव के वक्त टीम अन्ना ठीक से प्रचार नहीं कर पाई.

अब सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या अन्ना का आंदोलन फिर से खड़ा हो पाएगा ?
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

अगर उम्मीदवार न करे चुनाव में किये वादे पूरे तो


अगर उम्मीदवार न करे चुनाव में किये वादे पूरे तो करो FIR .....
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

ANNA REACHED IN DELHI TODAY


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

अन्ना को 25 लाख और हेगडे को एक करोड का पुरस्कार

नयी दिल्ली ! भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने वाले समाज सेवी अन्ना हजारे, उनकी टीम के सदस्य तथा कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त न्यायमूर्ति संतोष हेगडे एवं श्री मनीष सिसोदिया को गुरू वार को यहां आयोजित एक समारोह में सीताराम जिंदल फाउंडेशन की ओर से पुरस्कृत किया जायेगा1 सूत्रों के अनुसार श्री हजारे के कल शाम यहां पहुंचने की उम्मीद है1

इस पुरस्कार के तहत अन्ना हजारे को 25 लाख रू पये, न्यायमूर्ति संतोष हेगडे को एक करोड रू पये तथा श्री मनीष सिसोदिया को
दस लाख रू पये का पुरस्कार दिया जायेगा1 इस मौके पर पूर्व राष्ट्रपति एवं सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. ए पी जे अब्दुल सहित 27 हस्तियों को भी सम्मानित किया जायेगा1 ये पुरस्कार आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर की ओर से दिये जायेंगे1

डा. कलाम, न्यायमूर्ति हेगडे, श्री धर्मस्थल वीरेन्द्र हेगाडे, धान ..डीएचएएन.. फाउंडेशन, मदुरै और त्रृषि वैली शिक्षा केन्द्र, चित्तौड आंध्र प्रदेश को एक..एक करोड रूपये के पुरस्कार दिये जायेंगे1

श्री हजारे, शंकर आई केयर संस्थान भारत, कोयंबटूर, उत्थान, इलाहाबाद, रामकृष्ण विवेकानंद मिशन, बैरकपुर तथा डा. जी. गोपाल रेडडी, कृषि वैज्ञानिक, नालगोंडा तथा लोक बिरादरी और बाबा आम्टे 1973 में शुरू किये गये प्रकल्प को 25 लाख रू पये का पुरस्कार दिया जायेगा1

भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाने के लिए तहलका..टीम अन्ना के सदस्य मनीष सिसोदिया, डा. राजिंदर कुमार सिंगला, श्री मंजुनाथ शनमुगम ..मरणोपरांत..श्री रमेश वर्मा, आरटीआई कार्यकर्ता सुश्री शेहला मसूद..मरणोपरांत..डा. अशोक खेमका, श्री संजीव चतुर्वेदी, श्री रजनीकांत बोरेले, श्री अजय बी. बोस, सेंट्रल रेलवे, मुंबई, श्री पवन कुमार चौधरी तथा श्री अतुल कुमार, कोलकाता को दस लाख रूपये के पुरस्कार दिये जायेंगे1
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

भ्रष्टाचार मामले में जयललिता को नोटिस

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें भ्रष्टाचार के मामले में जयललिता के खिलाफ दायर प्राथिमिकियों और आरोपपत्रों को मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा रद्द किए जाने को चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति एस.एस. निज्जर की खण्डपीठ ने यह नोटिस तब जारी किया, जब सीबीआई ने कहा कि मामले में प्राथिमिकी और आरोपपत्र दायर करने में कोई विलम्ब नहीं हुआ था। यह मामला जयललिता को वर्ष 1992 में उनके जन्मदिन पर दिए गए दो करोड़ रुपये से अधिक की राशि वाले 89 डिमांड ड्राफ्ट से सम्बंधित है। नोटिस का जवाब चार सप्ताहों में देने को कहा गया है।

ये ड्राफ्ट जयललिता के पक्ष में तमिलनाडु के विभिन्न बैंकों में 57 लोगों के नाम से भुनाए गए। इसके अलावा केनरा बैंक की मुलापोर शाखा में मौजूद ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) नेता के बचत खाते में अन्य 15 लाख रुपये जमा किए गए। इस रकम को जयललिता के आयकर रिटर्न में उपहार के तौर पर दिखाया गया था।

सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता हरिन रावल ने न्यायालय से कहा कि विलम्ब के आधार पर प्राथिमिकी और आरोपपत्र को खारिज कर उच्च न्यायालय ने गलती की है।
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

दौलत करोडो की पर पैन नंबर नहीं


SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES

भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जंग में जॉर्जिया के बरक्स भारत!

आम बातचीत में अकसर कहा जाता है कि भ्रष्टाचार भारतीय समाज और व्यवस्था में इतना रच-बस चुका है कि इसे खत्म करना संभव ही नहीं है. ऐसे में जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी के इस हालिया बयान से बहुत से लोग असहमत हो सकते हैं कि ‘देश में कैबिनेट के पांच मंत्री भी ईमानदार हो जायें तो भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा.’ लेकिन पिछले दिनों जारी विश्व बैंक की एक रिपोर्ट भी यही बताती है कि सत्ता के शीर्ष पर बैठा एक व्यक्ति भी यदि कारगर रणनीति के साथ भ्रष्टाचार मिटाने की इच्छाशक्ति दिखाये, तो बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है.

जॉर्जिया के राष्ट्रपति मिखाइल साकशविली भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जंग के एक ऐसे ही नायक बनकर उभरे हैं. रिपोर्ट जारी करते हुए विश्व बैंक के यूरोप और मध्य एशि‍या के वाइस प्रेसीडेंट फ़िलिप ले होरो ने कहा, ‘अलग-अलग देशों की स्थानीय, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिस्थितियां चाहे जितनी अलग हों, भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जॉर्जिया की कामयाबी से वे काफ़ी सबक सीख सकते हैं.’ विश्व बैंक ने व्यापार करने योग्य देशों की सालाना सूची में 2012 में जॉर्जिया को 16वें स्थान पर रखा है, जबकि 2005 में वह 112वें स्थान पर था.

उधर, सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के विभिन्न पैमानों पर हर साल भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक ( करप्शन परसेप्शन इंडेक्स ) जारी करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ की रिपोर्ट भी बताती है कि भ्रष्टाचार कम करने वाले देशों में जॉर्जिया पहले स्थान पर है. भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2003 में जॉर्जिया को 10 में से मात्र 1.8 अंक दिये गये थे और यह 124वें स्थान पर था. आठ वर्ष बाद भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2011 में 183 देशों की सूची में जॉर्जिया 4.1 अंक पाकर दक्षिण अफ्रीका के साथ 64वें स्थान पर है. उल्लेखनीय है कि 2011 के सूचकांक में भारत 3.1 अंकों के साथ 95वें स्थान पर है.

1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद अलग देश बने जॉर्जिया में एक दशक बीतते-बीतते भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच गया. 2001 में मिखाइल साकशविली ने स्थानीय सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ़ न्याय मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया. 2003 के विवादित संसदीय चुनावों के बाद उन्होंने देशव्यापी प्रदर्शनों का नेतृत्व किया, जिसे दुनिया ‘ रोज रिवोल्यूशन’ के नाम से जानती है. इस क्रांति के परिणामस्वरूप 23 नवंबर 2003 को तत्कालीन राष्ट्रपति एडुअर्ड सेवार्दनेज को इस्तीफ़ा देना पड़ा. क्रांति की कामयाबी के साथ साकशविली लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच गये और 2004 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें 90 फ़ीसदी से अधिक मत मिले.

रिपोर्ट के मुताबिक भ्रष्टाचार उन दिनों जॉर्जियाई जीवन के लगभग हर पहलू को डंस रहा था. साकशविली ने सत्ता संभालते ही लोकतांत्रिक सुधारों के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ़ एक ‘ तूफ़ानी अभियान’ की शुरुआत कर दी. इसमें सहयोग के लिए उन्होंने उच्च पदों पर कुछ युवा अधिकारियों की नियुक्ति की, जिनमें ज्यादातर ने पश्चिमी देशों में शिक्षा हासिल की थी. अभियान शुरू हुआ तो एक रात में ही 16 हजार ट्रैफ़िक पुलिसकर्मियों को चलता कर दिया गया और उनकी जगह एक माह के अंदर 2300 नये लोगों की नियुक्ति कर दी गयी. एक दिन में ही सार्वजनिक रजिस्ट्री से जुड़े सभी 2200 कर्मचारियों को निलंबन का नोटिस थमा दिया गया. विश्वविद्यालयों में पैसे लेकर प्रवेश बंद करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त प्रवेश परीक्षा शुरू की गयी.


छापामार अभियानों का तूफ़ान थमने के बाद सरकार ने भ्रष्टाचारियों से उनकी काली कमाई का बड़ा हिस्सा हासिल कर उन्हें रिहा करना शुरू कर दिया. एक धनकुबेर ने सर्वाधिक 1.4 करोड़ डॉलर में अपनी रिहाई खरीदी. इस तरह सरकारी खजाने का आकार काफ़ी बढ़ गया. साकशविली का तर्क साफ़ था, ‘भ्रष्ट अधिकारियों और कारोबारियों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि उन्हें जेलों में रख कर उन पर मोटी राशि खर्च करने की जगह हमने उनकी काली कमाई का अधिकतम हिस्सा हासिल कर उन्हें रिहा कर दिया.’ हालांकि सुधार की काफ़ी गुंजाइश अब भी है, खासकर संस्थागत सुधार की. लेकिन आज जॉर्जिया की स्थिति काफ़ी बदल गयी है.


लेकिन जॉर्जिया के बरक्स भारत को देखें तो एक निराशाजनक तसवीर उभरती है. संयोग से भारत में भी मनमोहन सिंह 2004 से ही लगातार सत्ता के शीर्ष पर विराजमान हैं. उनके सत्ता संभालने से पहले, यानी 2003 में भ्रष्टाचार धारणा इंडेक्स में भारत 83वें स्थान पर था. पिछले आठ वर्षो में जॉर्जिया जहां इसमें 60 पायदान ऊपर चढ़ा है, भारत 12 पायदान नीचे फ़िसला है. देश में आज भ्रष्टाचार से जंग के नायक के रूप में अन्ना हजारे, बाबा रामदेव और सुब्रह्मण्यम स्वामी जैसे नाम आम लोगों की जुबान पर हैं, लेकिन सत्ता पक्ष में ऐसा कोई नायक नहीं दिखता. सुब्रह्मण्यम स्वामी कहते हैं, ‘प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मैं व्यक्तिगत रूप में जानता हूं, वह ईमानदार हैं, लेकिन उनमें निर्णय लेने की क्षमता नहीं है.’

हालांकि इस निराशाजनक तसवीर के बावजूद उम्मीद अभी कायम है. भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए एक मजबूत लोकपाल की मांग के साथ लोग जिस तरह से उद्वेलित हैं, वह भविष्य में बदलाव की इबारत लिख सकता है.
SEND THIS POST TO YOUR FACEBOOK FRIENDS/GROUPS/PAGES