भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ 30 मार्च से पदयात्रा करेंगे : अन्ना हजारे

वर्धा (महाराष्ट्र) : भूमि अधिग्रहण क़ानून में संशोधन के विरोध में वरिष्ठ गांधीवादी नेता अन्ना हज़ारे अपने सहयोगियों के साथ 30 मार्च से पदयात्रा शुरू करेंगे.
यह पदयात्रा महाराष्ट्र में वर्धा स्थित सेवाग्राम से दिल्ली तक होगी और लगभग 1100 किलोमीटर का सफ़र तय करने के बाद एक मई के आसपास दिल्ली पहुंचेगी. वर्धा के बापू कुटीर में पदयात्रा कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए सोमवार को अन्ना ने मेधा पाटकर, राजेंद्र सिंह, राजगोपाल, विश्वंभर चौधरी और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की.बताया गया कि आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव अलग से अन्ना हज़ारे से मिलेंगे.बीजेपी शासित राज्यों में पदयात्रा  अन्ना हजारे करेंगे पदयात्रा घोषित कार्यक्रम के अनुसार, अन्ना पंजाब में शहीद भगत सिंह के गांव जाकर उनके स्मृतिस्थल का दर्शन करेंगे. वहां से वर्धा पहुंचकर वे अपनी पदयात्रा शुरू करेंगे.

अन्ना ने कहा कि इस पदयात्रा के दौरान वे भूमि अधिग्रहण क़ानून पर किसानों को जागृत करेंगे.
वर्धा से दिल्ली तक की पदयात्रा प्रमुख रूप से भाजपा शासित राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा आदि राज्यों से गुजरेगी.

'क़ानून किसान विरोधी'
अन्ना के अनुसार, नरेंद्र मोदी सरकार का संशोधित भूमि अधिग्रहण विधेयक किसानों के हित में नहीं है.
अन्ना हजारे करेंगे पदयात्रा. अन्ना ने अपने सहयोगियों को चेताते हुए कहा कि आंदोलन के दौरान उन्हें एक सुर में ही बोलना होगा. अन्ना ने कहा कि जो भी अलग सुर में बात करेगा, उसे मंच पर स्थान नहीं मिलेगा और पदयात्रा के दौरान यदि हिंसा हुई तो इसे स्थगित कर दिया जाएगा.

मोदी सरकार का दिमाग जगह पर लाना जरूरी- अन्ना

नई दिल्ली। भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर अन्ना हजारे का जंतर-मंतर पर दूसरे दिन भी प्रदर्शन जारी है। उन्होंने बुधवार को कहा कि मैं अनशन करके नहीं बल्कि समाज और देश के लिए लड़ते हुए मरूंगा। प्रदर्शन के आखिरी दिन अन्ना ने कहा कि किसान आज भी झोपड़ी में रहा है लेकिन सत्ता के दलालों की ऊंची बिल्डिंग बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि देश भर में पदयात्रा का खाका तैयार हो रहा है। हम देशभर में जेल भरो आंदोलन चलाएंगे और सरकार को बिल वापस लेने के लिए मजबूर करेंगे।

77 वर्षीय समाजसेवी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 70 फीसद किसानों का गला घोटने वाला है। सरकार को चिंता करोड़पतियों की है न कि किसानों की। हम गांव-गांव में पदयात्रा कर खेतों में काम करने वालों को जगाएंगे। नए कानून के मुताबिक जमीन अधिग्रहण के खिलाफ हम किसी अदालत में नहीं जा सकता, ये तो जुल्म है।
मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए अन्ना ने कहा कि सरकार नौ महीने में भ्रष्टाचार का नाम नहीं ले रही है। जनलोकपाल की चर्चा ही नहीं की। सरकार काला धन, जनलोकपाल और सत्ता का विकेंद्रीकरण पर दिशा भूल गई। ग्राम सभा लोकसभा और विधानसभा से ऊंची है। भूमि अधिग्रहण बिल पर सरकार की छवि धूमिल हुई है। अध्यादेश इतना ही अच्छा है तो आंदोलनकारी पागल हैं क्या? सरकार भ्रमित कर रही है।

अन्ना का कहना है कि देश की मालिक जनता है। संसद में उसने अपने सेवक को भेजा है। लेकिन आज वही सेवक अपने मालिक से गद्दारी कर रहा है। सरकार यदि यह भूमि अधिग्रहण अध्यादेश वापस नहीं लेती है, तो देश भर के किसानों को जागरूक करने के लिए पदयात्रा निकाली जाएगी।

उधर, भारतीय किसान यूनियन ने हरियाणा और केंद्र सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि 5 मार्च तक यदि सरकार ने स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू न की और भूमि अधिग्रहण बिल वापिस नहीं लिया तो पीपली महापंचायत में आंदोलन की घोषणा कर दी जाएगी। आंदोलन शुरू करने के बाद किसान मांग पूरी हुए बिना घर वापस नहीं जाएंगे।
इससे पहले भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन किए जाने का विरोध कर रहे समाजसेवी अन्ना हजारे के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मंच साझा किया। राजनीति में आने के बाद से यह पहला मौका था, जब केजरीवाल और अन्ना साथ साथ एक ही मंच पर नजर आए। इस मौके पर अन्ना ने एक बार फिर जेल भरो आंदोलन करने का एलान किया।

उन्होंने कहा कि मैं अभी तक 16 बार अनशन कर चुका हूं, लेकिन अब अनशन करके जान नहीं देनी है। चार माह बाद भूमि अधिग्रहण में संशोधन के खिलाफ जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाएगा। देश की सारी जेल भरने के बाद नरेंद्र मोदी का दिमाग ठिकाने पर आ जाएगा।

मोदी सरकार उद्यमियों की प्रॉपर्टी डीलर: केजरी
अरविंद केजरीवाल ने भूमि अधिग्रहण मुद्दे पर मोदी सरकार को उद्योगपतियों का प्रॉपर्टी डीलर तक कह दिया। केजरीवाल अपने तय समय के अनुसार मंगलवार दोपहर लगभग पौने तीन बजे संसद मार्ग पहुंचे, जहां अन्ना के नेतृत्व में धरना चल रहा था। केजरीवाल मंच के नीचे लोगों की भीड़ में ही खड़े रहे। उनके साथ दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया व कुछ अन्य विधायक भी मौजूद थे। मंच पर अन्ना हजारे के अलावा मेधा पाटकर, प्रशांत भूषण और राजेंद्र कुमार आदि मौजूद थे। लगभग तीन बजे अरविंद केजरीवाल मंच पर पहुंचे और अन्ना के चरण स्पर्श कर उन्हीं के नजदीक बैठ गए। कुछ देर बाद उन्हें मंच पर संबोधन के लिए बुलाया गया। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में 365 गांव हैं। यदि हमारी सरकार किसी किसान की जमीन अधिग्रहण भी करेगी तो उसे बाजार भाव के अनुसार मुआवजा देगी।

अन्ना को दिया सचिवालय आने का न्यौता
इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे को दिल्ली सचिवालय आने का न्यौता भी दे डाला। केजरीवाल ने कहा कि मैं अन्ना की बहुत इज्जत करता हुं। मैं उन्हें पिता समान मानता हूं। मैं उनसे निवेदन करता हूं कि यदि वह दस मिनट का समय निकाल कर सचिवालय आएं। उनके चरण से सचिवालय शुद्ध हो जाएगा।

समर्थन में पहुंचे वाम नेता
अन्ना के मंच पर वाम नेताओं की भी मौजूदगी देखी गई। कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान, समाजवादी नेता सुनीलम व एमडीएमके के राष्ट्रीय महासचिव वाइको काफी देर तक अन्ना के साथ मंच पर देखे गए।

अच्छे दिन आने वाले हैं


दश लाख में सूट सिला हैै,पाँच कराेड में बिक जाता है
अच्छे दिन की शूरूआतों में भैया ये भी तो आता है
स्मृति, उमा, सुषमा देवी, बडे पदों पर डोल् रही हैं
अच्छे दिन की परिभांषा को नारी शक्ति बोल रही है
राजनाथ अब गृह मत्री हैं, वित्त जेतली देख रहा है
अमितशाह अध्यक्ष बना ,खुल कर जुमले फेंक रहा है
अच्छी-अच्छी नस्ल के तोते हर चैनल में चिल्लाते हैं
चाय बेचने वाला पी.एम.,अच्छे दिन की सौगाते है
मंहगायी के होने पर भी मध्य-वर्ग सब कुछ खाता है
मेरे भाषण को सुन कर तो नंगा भी खुश होजाता है
बी.जे.पी,आर.एस.एस देखो,खुशी से नंगे नाच रहे हैं
अच्छे दिन आने वाले हैं, दुनिया में सब बाँच रहे हैं
भारत में मँहगायी होना राष्ट्र -उदय का शुभ लक्षण है
मठ, मन्दिर, उद्योग - पति को मेरा पूरा संरक्षण है
ब्रह्म सत्य ,जग मिथ्या है,फिर नंगो की क्या आशा है
भूखा, नंगा जीवन जीना,अच्छे दिन की परिभांषा है
पन्द्रह-पन्द्रह लाख रूपैया फिर से खातो में डालूंगां
भारत के हर भूखे - नंगे को भाषण से ही पालूंंगा
भारत में तो नंगा होना आध्यात्म का चमत्कार है
सारे नेता फेल हो गये, ये मोदी का आविष्कार है
अभी ताे कुर्तों, पायजामो, कच्छो के अम्बार लगे हैं
चौराहों पर बोली होगी,भारत के अब भाग्य जगे हैं
बस चलता तो पुरातत्व के बूढो की भी बोली होती
कुण्ठित प्रतिभा बहुत पडी है,ये सब दर्शन टोली होती
इतनी जल्दी क्या है भाई बिना बात क्यों चिल्लाते हो
हम चाहै जो कुछ भी पहने, गाना नंगो का गाते है
कई करोड में सूट बिकेंगे, ये सब मेरी नई चालें है
थोडा सा तो धीरज रक्खो अच्छे दिन आने वाले हैं
अच्छे दिन आने वाले है ,सच्चे दिन जल्दी आयेंगे
सारे माया मोह छोड कर,कन्द-मूल फल अब खायेगे
भारत-वाशी राष्ट्र - गीत अब मेरा ही घर-घर गायेंगे
कवि आग लिखते ही जाओ,अच्छे दिन जल्दी आयेंगे।।
राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा

अन्याय का सामराज्य

जमीनों के कमीनों के बढ.ते भाव तो देखो
धरा गज,फुट में बिकती है उजडते गांव तो दखो
नारी, नर के आपस में रगडते पांव तो देखो
भारत मां की छाती में ये सढते घाव तो देखो
लुटती हैं सियासत में किसानों की जमीने भी
कमाते हैं दलालों से ये सत्ता के कमीने भी
मॅंडराती हैं क्यों चीलें पुस्तैनी धरोहर में
यहाॅं खेतों से चित्कारें उगलती हैं सभी घर में
ये मुर्दे भी ,शरीरों से कफन को खींच लाते हैं
यहाॅं सत्ता , विरोधी भी , सियासी गीत गाते हैं
ये नाटक रोज चलता है वजीरों में दलालों में
सियारों को छिपे देखो यहाॅं शेरों की खालों में
जहाॅं राजस्व की भूमि ,कब्जा है रियासत का
जमीने भी बदलती हैं ये जज्बा है सियासत का
मंत्री के इशारों से यहाॅं राजस्व चलता है
कमीनों के करारों से ये कारोबार फलता है
कहीं दाखिल कहीं खारिज होता हैं विरक्तों का
कॅंहा दिखता है घोटाला यहाॅं पर ताजतख्तों का
यहाॅं तो धन कुबेरों की ही लीजें रोज कटती हैं
विरक्तोंऔर कमीनो से धरती क्यों सिमटती है
कंही अव्वल ,कंही दोयम, ये पटवारी बताता है
यंहा गुमनाम खातों में नेता जी का खाता है
नौकर-शाहों के खातों में बी0 बी0 दर्ज होती है
सियासत में रियासत में ये टी0वी0मर्ज होती है
बिना घरबार के डीलर जमीनो को दिखाते हैं
सारा माल चौराहो के ,ये दफ्तर ही खाते हैं
पूरे देश के खसरे, खतौनी इनके हाथो में
फाइल भी खिसकती है दलालो की ही बातो में
दो परसेन्ट के धन्धे मे लाखो वारे - न्यारे हैं
दल्लों और पुछल्लों के हूकूमत मे नजारे हैं
सत्ता भी जमीनो और कमीनो से ही चलती है
नेता की गृहस्थी भी कमीनो से ही पलती है
यहाॅं भूमिधरी काबिज के हाथों में ही जाती है
कमीनों को तो कब्जे की जमीने रास आती हैं
कफन,खादी के कुर्तोे सेअमनऔर चैन खोता है
ये कैसी राष्ट्र - भक्ति है ,जो हिन्दुस्तान रोता है
गृहस्ती का खुले आकाश के नीचे ठिकाना है
महलों में विरक्तों का ये कैसा आशियाना है
अब तो नारियो में भी दिगम्बर का जमाना है
यहाॅ शहरो में अय्यासी का,ये नक्कार खाना है
लेकर आड. धर्मो की अधर्मी घूमते देखो
चरित बिकता है चौराहे में नंगे झूमते देखो
भरे बाजार में नारी , लफंगे चूमते देखो
कमीने राज नेता की जरा हूकूमते देखो
कंही खूनी, कंही कतली, भरे खद्दर लिबाशों में
वतन जीता है बूढे राज नेताओं के झांसो में
शकुनि ही छिपा बैठा है हर चैपड़ के पासों में
वतन की आबरु अब भी पढी है मुर्दा लाशों में
जमीनो को कमीनो से क्या अन्ना बचायेगा
क्या संसद से जमीनो का नया कानून आयेगा
सभी दहशत में हैं डाकू , अन्ना की अदाओं से
कविता आग लिखता है, इस धरती की गांवो से।।
राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा

क्या 'अच्छे दिन' सिर्फ बड़े बिल्डरों के लिए: अन्ना हजारे

गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया. भूमि अधिग्रहण अध्यादेश से नाराज अन्ना ने सरकार की तुलना ब्रिटिश हुकूमत से की.

नई दिल्ली के जंतर मंतर में सैकड़ों समर्थकों के बीच अन्ना ने कहा, "यह सरकार द्वारा जमीन पर कब्जा है. ब्रिटिश भी ऐसा ही करते थे." जंतर मंतर ही वह जगह है जहां से 2011 में अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था. देखते ही देखते आंदोलन देश भर में फैल गया और लाखों लोग सड़कों पर उतर आए थे. केंद्र में तब कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार थी.

अब केंद्र में भारी बहुमत से लोकसभा चुनाव जीतने वाली बीजेपी की एनडीए सरकार है. 2014 के चुनावों के दौरान "अच्छे दिन आने वाले हैं" का नारा देने वाले नरेंद्र मोदी अब प्रधानमंत्री हैं. अन्ना ने बीजेपी के इस नारे पर तंज कसते हुए कहा, "अच्छे दिन कहां हैं? क्या अच्छे दिन सिर्फ उद्योगपतियों के लिए हैं, आम आदमी के लिए नहीं."

77 साल के अन्ना मोदी सरकार के द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून में लाए गए बदलावों से नाराज हैं. यह कानून यूपीए सरकार ने बनाया था. दिसंबर 2014 में मोदी सरकार ने अध्यादेश के जरिए इसमें कुछ बदलाव किए. बदलावों के तहत इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप, ग्रामीण आधारभूत संरचना, सस्ते घर और रक्षा क्षेत्र की योजनाओं के लिए सरकार को मालिक की सहमति लिए बगैर जमीन लेने का अधिकार मिल गया.

भूमि अधिग्रहण कानून पर विवाद : अन्ना ने इसका विरोध करते हुए कहा, "जब 2013 में ही कानून पास हुआ तो फिर अध्यादेश लाने की क्या जरूरत है. उद्योगपतियों की जरूरतें पूरी करने के लिए आप किसानों को धोखा कैसे दे सकते हैं?" केंद्र सरकार बजट सत्र में विधेयक लाकर सुधारों को कानून का हिस्सा बनाना चाहती है.
महाराष्ट्र के गांव रालेगढ़ सिद्धी से दिल्ली पहुंचे अन्ना के मुताबिक बहुत ही कम किसानों को नए विधेयक के बारे में जानकारी है. उन्होंने किसानों को इसके प्रति जागरूक करने पर भी जोर दिया. सरकार को अल्टीमेटम देते हुए गांधीवादी समाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि अगर चार महीने के भीतर इन चिंताओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाएगा.

2011 में शुरू हुए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान अन्ना के साथ अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी भी थे. आंदोलन के बाद ही 2012 में केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बनाई. अब केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं. केजरीवाल ने साफ किया है कि वो अन्ना के आंदोलन में हिस्सा लेंगे.

भूमि अध्यादेश के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे अन्ना

नई दिल्ली  : केंद्र सरकार से भूमि अधिग्रहण अध्यादेश तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता और एकता परिषद के संस्थापक पी वी राजगोपाल ने आज कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो अन्ना हजारे के नेतृत्व में इस विषय पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जायेगा।

राजगोपाल ने कहा कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ आगामी 24 फरवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन सरकार को ‘चेतावनी’ होगी, लेकिन अगर इस ‘किसान विरोधी’ अध्यादेश को वापस नहीं लिया गया तो अन्ना हजारे के नेतृत्व में इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जाएगा। अन्ना हजारे कल हरियाणा के पलवल से ‘किसान अधिकार चेतावनी सत्याग्रह’ पदयात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे और फिर 24 फरवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर अन्ना की मौजूदगी में इस अध्यादेश के खिलाफ प्रदर्शन होगा।

राजगोपाल ने कहा, ‘आगामी 24 फरवरी को जंतर-मंतर पर होने वाला प्रदर्शन सरकार को चेतावनी होगी। हम चाहते हैं कि सरकार इस किसान विरोधी अध्यादेश को वापस ले। अगर सरकार ने इस अध्यादेश को वापस नहीं लिया तो फिर अन्ना हजारे के नेतृत्व में राष्ट्रव्यापी आंदोलन होगा। अन्नाजी और हम लोग देश भर में घूमकर इस मुद्दे पर किसानों को एकजुट करने का काम करेंगे।’ उन्होंने कहा कि वे लोग इस मामले पर सरकार के साथ बातचीत करने को तैयार हैं।

उन्होंने कहा, ‘हम इस मुद्दे पर सरकार के साथ बातचीत करने को तैयार हैं। अगर सरकार हमें बातचीत के लिए बुलाती है तो हम लोग जरूर जाएंगे।’ भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ आंदोलन में कई किसान संगठनों के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व विचारक केएन गोविंदाचार्य, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, अरूणा रॉय, बाल विजय, एवं स्वामी अग्निवेश, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान, उदय कुमार, राजेन्द्र सिंह और कई दूसरे लोग समर्थन कर रहे हैं।

राजगोपाल ने कहा, ‘हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को पत्र लिखा तथा केंद्र के मंत्रियों नितिन गडकरी एवं जुआल ओरम से मुलाकात भी की। हमें सरकार की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिला जिसके बाद हमने यह आंदोलन करने का फैसला किया।’ गौरतलब है कि केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले साल भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधनों को लेकर एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी। हाल ही में अन्ना हजारे ने इस अध्यादेश को किसानों के खिलाफ बताया था और इसको लेकर केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना की थी।

मोदी सरकार में सिर्फ उद्योगपतियों के आए हैं 'अच्छे दिन': अन्ना

भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ जंतर-मंतर पर अपने विरोध प्रदर्शन से पहले समाजसेवी अन्ना हजारे ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उद्योगपतियों के लिए तो सोच रहे हैं, लेकिन किसानों और गरीबों के लिए नहीं।

अन्ना ने कहा कि मोदी के सत्ता में आने के बाद से सिर्फ उद्योगपतियों के अच्छे दिन आए हैं। उन्होंने दावा किया कि इन नीतियों का पालन करने से भारत का भविष्य उज्ज्वल नहीं रहेगा। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनावों के दौरान अच्छे दिन का नारा भाजपा की प्रचार थीम था।

अन्ना ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तारीफ की और उम्मीद जताई कि उनके पूर्व सहयोगी राजधानी को एक आदर्श शहर बनाने की उनकी कुछ योजनाएं लागू करेंगे। बता दें कि आगामी 23 और 24 फरवरी को अन्ना दिल्ली में किसान संगठनों के साथ मिलकर भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध में प्रदर्शन करने वाले हैं।