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बेदी का भाजपा में जाना अन्ना को नागवार...

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नई दिल्ली - किरण बेदी चाहे जो रही हों और चाहे जो हो जाएं लेकिन एक कसक उन्हें हमेशा रहेगी. अन्ना हजारे ने उन्हें आशीर्वाद देने से सीधा इनकार कर दिया है. जिन अन्ना हजारे के आंदोलन ने किरण बेदी को पहली बार जनता का सार्वजनिक मंच दिया,उन्हीं अन्ना ने किरण बेदी को कहलवा दिया कि वो आइंदे से फोन न करें.बीजेपी की नाव पर सवार किरण बेदी ने सिर्फ अधूरी बात बताई थी और पूरी बात ये है कि अन्ना हजारे ने दिल्ली की अपनी अंतिम सिपाही को आशीर्वाद देने से साफ मना कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक किरण बेदी को आशीर्वाद छोड़िए अन्ना हजारे फोन पर उनका हैलो सुनने को भी तैयार नहीं हैं. लेकिन वो अंतिम समय तक उनके इस्तेमाल की उम्मीद लगाए बैठी रहीं.

हुआ यूं कि बीजेपी में घुसने के दो दिन बाद किरण बेदी ने रात के 9.30 बजे अन्ना हजारे का नंबर मिलाया था. फोन अन्ना के सहायक ने उठाया और अन्ना को इसकी सूचना दी लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. रात के 10 बजे किरण बेदी ने दोबारा फोन मिलाया और अन्ना के सहायक ने फिर से फोन उठाया. उस समय अन्ना दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता पीवी राजगोपाल के साथ बातचीत कर रहे थे लेकिन बताए जाने पर अन्ना ने साफ कह दिया कि किरण बेदी का फोन न उठाया जाए.

ये फर्क किरण बेदी और केजरीवाल का है. जब केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बनाई थी तो अन्ना ने आशीर्वाद भी दिया था और कामयाब होने की कामना भी थी. अन्ना हजारे ने आशीर्वाद न देकर किरण बेदी और केजरीवाल का फर्क जता दिया है. दरअसल किरण बेदी अपने बहाने अन्ना से बीजेपी की राजनीति के लिए वैधता चाहती थीं. किरण बेदी चाहती थीं कि अन्ना हजारे खुद दिल्ली आकर उन्हें आशीर्वाद दें और अगर वो दिल्ली न आ सकें तो रालेगण सिद्धि में ही मीडिया को बुलाकर अपना आशीर्वाद दे दें.