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राहुल गांधी को अन्ना की चिठ्ठी...

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श्रीमान्‌ राहुल गांधी,
उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी,
नई दिल्ली.

महोदय,

सस्नेह वन्दे।

देश और देश की जनता के भलाई के बारे में आप जो बोलते हैं उसे सुन कर अच्छा लगता है। आप एक युवक हैं। मेरी सोच में युवा शक्ति एक राष्ट्र शक्ति है। यह युवा शक्ति अगर जाग जाए तो देश का उज्वल भविष्य दूर नहीं। युवा शक्ति ही हमारा आशा स्थान है।


देश के उज्वल भविष्य के लिए यदि आप तन, मन से सोचते हैं, तो जनता की तरफ से हम भी आपसे कुछ अपेक्षाएं रखते हैं। 1857 से 1947 तक के नब्बे सालों में लाखों शहीदों की कुर्बानी के बाद सन 1947 में देश को आज़ादी मिली, 1949 में हमारा संविधान डॉ. बाबासाहब आंबेडकरजी ने संसद को अर्पण किया। 26 जनवरी 1950 को देश प्रजासत्ताक हो गया। इस देश की मालिक प्रजा बन गई। मतलब, सरकारी तिजोरी में जमा होने वाला पैसा जनता का है। हम सब कहने लगे कि हमारे देश में जनतंत्र आ गया। जनतंत्र के माने जनता ने, जनता के लिये, जन सहभाग से चलाया हुआ जो तंत्र वह है जनतंत्र। देश में जनतंत्र को आ कर 63 साल बीत चुके हैं। लेकिन देश की हर व्यक्ति मानो आज कह रही है कि कहा है वह जनतंत्र? उस जनतंत्र पर पक्ष और पार्टी तंत्र का अतिक्रमण हुआ है।


देश में पार्टी तंत्र के द्वारा जनतंत्र पर किए गए अतिक्रमण के कारण आज उस जनतंत्र का पक्ष पार्टी तंत्र, सरकार तंत्र, अधिकारी तंत्र बन गया है। जनता ने जनता के लिए जन सहभाग से चलाया जा रहा जनतंत्र कहीं भी नहीं रहा। जनतंत्र नेस्तनाबूद हो गया है। संविधान में कहीं पर भी ऐसा नहीं कहा है कि पार्टी तंत्र आ जाए और जनतंत्र को पार्टी तंत्र से दबा दिया जाए या नेस्तनाबूद किया जाए। देश और देश की जनता का भविष्य बनाना अगर आप चाहते हैं, तो मेरी सोच में, जनता ने जनता के लिए जन सहभाग से चलाया तंत्र- जनतंत्र को मज़बूत करने से ही देश का भविष्य बदलेगा।


आज पक्ष पार्टी तंत्र के कारण पार्टियों में सत्ता, संपत्ति को हथियाने की होड सी लगी है। कोई भी पार्टी यह नहीं सोचती कि, जिस उम्मीदवार को पार्टी का टिकट दिया जा रहा है वह चारित्र्यशील हो। चारित्र्यशील उम्मीदवार यदि संसद में जाएं, तो समाज और देश की भलाई में अच्छे कानून बनवाएं। कई पक्ष और पार्टियॉं भ्रष्टाचारी, लुटारू, गुंडा, व्यभिचारी लोगों को उम्मीदवारी देती हैं। सत्ता में आने के लिये कुछ भी करना पडे। यह जानते हुए कि वह भ्रष्टाचारी है, गुंडा है लेकिन उसके पीछे मतों का गठ्ठा है, इस लिए उन को टिकट देती हैं। नतीजतन विधानसभा और लोकसभा जो लोकशाही के पवित्र मंदिर हैं, वहॉं गुनाहगार उम्मीदवार भी भेजे जाते हैं।


ऐसे दागी उम्मीदवारों के संसद में जाने से समाज और देश में परिवर्तन लाने वाले सशक्त कानून नहीं बन पाते हैं। सही जनतंत्र आने के लिये किसी भी गांव, मोहल्ला, वार्ड सभा की कोई भी जमीन, जंगल, पानी केंद्र सरकार या राज्य सरकारों को यदि लेनी है, तो ग्रामसभा, वार्डसभा, मोहल्ला सभा की अनुमति के बिना नहीं ली जायेगी, ऐसे सशक्त कानून बनवाने होंगे। सत्ता जो मंत्रालयों में केंद्रित हुई है, उसका विकेंद्रीकरण कर जनता की ग्राम सभा, वार्ड सभा, मोहल्ला सभा को अधिकार देना जरूरी है। तब सही जनतंत्र आ सकता है।


गांव, वार्ड, मोहल्ला के विकास के लिये जो पैसा आता है उसे खर्च करते समय ग्रामसभा, मोहल्ला सभा, वार्ड सभा की जनता की अनुमति ले कर ही खर्च किया जाना चाहिए। जो पैसा खर्चा हुआ है, उसका हिसाब हर दो माह में जनता को दिया जाना चाहिए। जो अधिकारी हिसाब नहीं देंगे उनको जनता नौकरी से हटा पायेगी, ऐसे सशक्त कानून बनने से जनतंत्र आयेगा। आज संसद में बैठे हुए कुछ सांसद संविधान का पालन नहीं करते हैं। संविधान कहता है, जाति, पांति का भेद ना रहे, गरीब-अमीर का फासला ना बढे, प्रकृति-मानवता का शोषण ना हो, दलित, आदिवासी, घुमंतू, मछुआरे, पिछडे वर्ग के लोग, अल्पसंख्यांक, इन के बेहतर जीवन के लिये योजनाएं बनाई जाय। आज संसद में बैठे हुए लोग ही संविधान का पालन नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति में जन संसद को अधिकार हो कि जनसंसद, संसद को बरखास्त करे। दिल्ली की संसद, राज्य की संसद जनसंसद ने बनवाई है, इस लिये जन संसद का स्थान राज्य और केंद्र की संसद से बहुत ऊंचा है। जनसंसद सर्वोच्च स्थान पर है।


लेकिन पक्ष और पार्टी तंत्र से जनसंसद पर जो अतिक्रमण हुआ है, इस कारण जनसंसद को दिल्ली की संसद को भंग करने का अधिकार होते हुए भी जनसंसद उसका अमल नहीं कर पा रही है। जनशक्ति अपनी शक्ति को ही भूल गई है। देश की पूरी जनसंसद अगर संगठित हो जाए तो देश के भ्रष्टाचारी, गुंडा, लुटारू, व्यभिचारी सरकारों को जनसंसद हटा सकती है। लेकिन आज जनसंसद अपने अधिकारों से अनभिज्ञ होने के कारण संगठित नहीं हो पा रही है। सत्तासीन कॉंग्रेस पक्ष के उपाध्यक्ष होने के कारण क्या आप ऐसे कानून बना सकते हैं कि जनसंसद ने संसद के लिये जिन सेवकों को चुन कर सेवा करने के लिये भेजा है, वह सेवक संसद में यदि ठीक से सेवा नहीं करता पाया जाता है, तो ऐसे सेवक को जनसंसद वापिस बुला सकती है? पक्ष पार्टी ने अगर गुंडा, भ्रष्ट, लुटारू, व्यभिचारी उम्मीदवार को टिकट दिया हो तो उनको नकारने का, रिजेक्ट करने का जनता को अधिकार हो (राईट टू रिजेक्ट)? जनता के लिये मत पत्र में यदि आखरी चिह्न नकार का हो तो जनता ऐसे भ्रष्ट, गुंडा, लुटारू लोगों को संसद में जाने से रोक सकती है।


देश और जनता की भलाई के लिये कई बातें करनी होगी। लेकिन जनतंत्र और जनसंसद मजबूत करने का काम हो गया तो देश में सुधार आएगा। सिर्फ पक्ष और पार्टी के मजबूत होने से देश मजबूत नहीं होगा। जनसंसद और जनतंत्र के मजबूत होने से देश और जनता मजबूत होगी।


संविधान में पक्ष और पार्टी तंत्र का कहीं पर भी जिक्र ना होते हुए भी पक्ष और पार्टी तंत्र से जनतंत्र और जनसंसद मजबूत होगी ऐसा जनता ने भरोसा किया था। लेकिन पक्ष और पार्टियॉं जनतंत्र या जनसंसद की मजबूती की चिंता करने के बजाय सिर्फ अपने अपने पक्ष और पार्टी की मजबूती करने में जुट गई। इस कारण जनतंत्र और जनसंसद पर पक्ष और पार्टी तंत्र हावी हो गया। पक्ष पार्टी मजबूत हो गई और जनतंत्र कमजोर हुआ।


हम लोगों ने जनतंत्र मजबूत हो, जनसंसद मजबूत हो इसलिये देश की जनता को शिक्षित कर के संगठित करने का प्रयास शुरू किया है। देश भर में घूम घूम कर हम जनता को जगायेंगे, संगठित करेंगे। जनतंत्र में जनता के इस देश की मालिक होते हुए भी पार्टीतंत्र के अतिक्रमण के कारण जनता को गुलाम बनाया गया है और जो जनप्रतिनिधि और अधिकारी जनता के सेवक हैं, वे मालिक बन गए हैं इन बातों के प्रति जनता में अब जागृति आ रही है इस बात का हमें विश्वास हो चला है।


महसूस होता है कि जनता के जागृत हो जाने पर जनतंत्र और जनसंसद मजबूत होगी। जनतंत्र और जनसंसद मजबुत होने पर भ्रष्टाचारी, गुंडा, लुटारू, व्यभिचारी सरकारों को जनता अपने मतों के आधार पर उखाड फेंक देगी और अपने चारित्र्यशील उम्मीदवारों को संसद में भेजेगी। और केवल चारित्र्यशील उम्मीदवार अगर संसद में गये तो संसद अच्छे अच्छे सशक्त कानून बना पायेगी और सही लोकतंत्र, लोकशाही, जनतंत्र देश में आएगा। कई कानूनों में सुधार होगा, अंग्रेजों के बने कुछ निकम्मे कानूनों को खत्म कर दिया जाएगा और जनतंत्र के अनुरूप जनसंसद कानून बनाएगी। जनता ने जनता के लिये जन सहभाग से चलाया जा रहा जनतंत्र देश में आयेगा।


इस काम के लिये कुछ समय लग सकता है। लोग जितने जाग जाएंगे, संगठित हो जाएंगे, उतनी जल्दी देश में जनतंत्र आनेमें सफलता मिलेगी। इन सभी बातों में एक पक्ष के उपाध्यक्ष होने के नाते और सत्ता में होने के नाते आप क्या योगदान कर सकते हैं, यह जानने की इच्छा रखता हूं।


भवदीय, 


(कि.बा. उपनाम अण्णा हजारे)


प्रति-


मा. डॉ. मनमोहन सिंह जी, पंथप्रधान, भारत सरकार, नई दिल्ली,

श्रीमती सोनिया गांधीजी, अध्यक्ष राष्ट्रीय कॉग्रेस पार्टी, नई दिल्ली

स्थल:- राळेगण सिध्दी,

दिनांक:- 22 अप्रैल 2013